ईश्वर को साधारण प्रिय हैबार बार रचता क्यों वरना खास बनूँ यह चाह नहीं हैमुझको भी साधारण रहनान अति ज्ञानी न अति सुन्दरमिल जाऊँ सबमें वह गहना साधारण जन विश्व चलातेनायक प्रभु कृपा हैं पातेसाधारण अधिनायक होतेअनहोनी सम्भव कर जाते॥