Sunday, April 14, 2024

खिलाते नहीं (हिंदी ग़ज़ल)

अनुराग शर्मा

अनुराग शर्मा

कदम राजपथ से हटाते नहीं
गली में मेरी अब वे आते नहीं।

कहीं सच में आ ही न जाये कोई
किसी को बेमतलब बुलाते नहीं।

अंधेरे में खुश नापसंद रोशनी 
खिड़की से परदा उठाते नहीं।

नहीं होने देंगे कसक में कमी
घावों को दिल से मिटाते नहीं।

जो बातें हुईं और न होंगी कभी
उन्हें भी कभी भूल पाते नहीं।

भावुक बहुत हैं कृपालु नहीं
कभी भाव अपना गिराते नहीं।

उसूलों के पक्के सदा से रहे
खाते बहुत हैं, खिलाते नहीं॥

9 comments:

  1. "कदम राजपथ से हटाते नहीं
    गली में मेरी अब वे आते नहीं।"
    वाह

    अब जम चुके हैं रक्तबीज हो गए हैं
    उगेंगे कैक्टस राजपथ पर ही पड़े रहेंगे |

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  2. वाह क्या खूब लिखा है आपने .. लाज़वाब गज़ल सर।
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १६ अप्रैल २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हार्दिक आभार!

      Delete

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