(अनुराग शर्मा)
यह सच नहीं है कि
कविता गुम हो गई है
कविता आज भी
लिखी जाती है
पढ़ी जाती है
वाहवाही भी पाती है
लेकिन तभी जब वह
चपा चपा चरखा चलाती है
कविता आज केवल
दिल बहलाती है
अगर महंगी कलम से
लिखी जाये तो
दौड़ा दौड़ा भगाती है
थोड़ा-थोड़ा मंगाती है
नफासत की चाशनी में थोड़ी
रूमानियत भी बिखराती है
कविता आजकल
दिल की बात नहीं कहती
क्योंकि तब मित्र मंडली
बुरा मनाती है
इसलिए कविता अब
दिल न जलाकर
जिगर से बीड़ी जलाती है
कविता सक्षम होती थी
गिरे को उठा सकती थी
अब इतिहास हुई जाती है
इब्नबबूता से शर्माती है
बगल में जूता दबाती है
छइयाँ-छइयाँ चलाती है
व्यवसाय जैसे ही सही
अब भी लिखी जाती है
कविता की चिंता छोडकर सुनिए मनोरंजन कर से मुक्त बाल-फिल्म किताब का यह मास्टरपीस
कभी गाड़ी नदी में, कभी नाव सड़क पर - पित्स्बर्ग का एक दृश्य |
कविता गुम हो गई है
कविता आज भी
लिखी जाती है
पढ़ी जाती है
वाहवाही भी पाती है
लेकिन तभी जब वह
चपा चपा चरखा चलाती है
कविता आज केवल
दिल बहलाती है
अगर महंगी कलम से
लिखी जाये तो
दौड़ा दौड़ा भगाती है
थोड़ा-थोड़ा मंगाती है
नफासत की चाशनी में थोड़ी
रूमानियत भी बिखराती है
कविता आजकल
दिल की बात नहीं कहती
क्योंकि तब मित्र मंडली
बुरा मनाती है
इसलिए कविता अब
दिल न जलाकर
जिगर से बीड़ी जलाती है
कविता सक्षम होती थी
गिरे को उठा सकती थी
अब इतिहास हुई जाती है
इब्नबबूता से शर्माती है
बगल में जूता दबाती है
छइयाँ-छइयाँ चलाती है
व्यवसाय जैसे ही सही
अब भी लिखी जाती है
कविता की चिंता छोडकर सुनिए मनोरंजन कर से मुक्त बाल-फिल्म किताब का यह मास्टरपीस