आचार्य शिवपूजन सहाय (9 अगस्त 1893 - 21 जनवरी 1963)
पद्मभूषण से सम्मानित आचार्य शिवपूजन सहाय का नाम हिंदी साहित्य में एक उच्च शिखर पर है। उनके उपन्यास, कहानियाँ, और संस्मरण तो प्रसिद्ध हैं ही, वे मतवाला, माधुरी, गंगा, जागरण, हिमालय, साहित्य जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक के रूप में प्रतिष्ठित रहे। उनके सम्पादनकाल में कोलकाता से प्रकाशित पत्र मतवाला में भारतीय क्रांतिकारियों के आलेख और विचार उनके छद्मनामों से निर्बाधरूप से प्रकाशित होते रहे थे। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की आत्मकथा का सम्पादन उन्होंने ही किया था।
बिहार के भोजपुर जिले के उन्वास ग्राम में 9 अगस्त 1893 को जन्मे आचार्य शिवपूजन सहाय का जीवन हिन्दी और भारत राष्ट्र को ही समर्पित रहा। उनका जन्म का नाम भोलानाथ था। सन 1960 में उन्हे पद्मभूषण का सम्मान मिला और सन् 1998 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था। बिहार सरकार ने उनके नाम पर एक लाख रूपये का पुरस्कार स्थापित किया है। उनका देहावसान 21 जनवरी 1963 में पटना में हुआ।
वही दिन वही लोग 1965 ,
मेरा जीवन 1985 ,
स्मृतिशेष 1994 ,
हिंदी भाषा और साहित्य 1996 ,
ग्राम सुधार 2007
=============
सम्बन्धित कडियाँ
=============
* मति का धीर : आचार्य शिवपूजन सहाय
आचार्य शिवपूजन सहाय |
बिहार के भोजपुर जिले के उन्वास ग्राम में 9 अगस्त 1893 को जन्मे आचार्य शिवपूजन सहाय का जीवन हिन्दी और भारत राष्ट्र को ही समर्पित रहा। उनका जन्म का नाम भोलानाथ था। सन 1960 में उन्हे पद्मभूषण का सम्मान मिला और सन् 1998 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था। बिहार सरकार ने उनके नाम पर एक लाख रूपये का पुरस्कार स्थापित किया है। उनका देहावसान 21 जनवरी 1963 में पटना में हुआ।
वही दिन वही लोग 1965 ,
मेरा जीवन 1985 ,
स्मृतिशेष 1994 ,
हिंदी भाषा और साहित्य 1996 ,
ग्राम सुधार 2007
आचार्य जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धासुमन![चित्र व जानकारी इंटरनैट पर उपलब्ध विभिन्न स्रोतों से साभार]
=============
सम्बन्धित कडियाँ
=============
* मति का धीर : आचार्य शिवपूजन सहाय
नकारात्मकता के इस झंझावात में ऐसे पुण्य-स्मरण न केवल मन को राहत देते हैं, भरोसा भी लौटाते हैं और उम्मीद बँधाए रखते हैं।
ReplyDeleteआज सुबह-सुबह आपने मानो, तीर्थ यात्रा का पुणदायी, तीर्थ स्मरण करा दिया।
महान सृजन कर्ता को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि ......
ReplyDeleteविनम्र नमन
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धासुमन..
ReplyDeleteयाद दिलाने के लिए आपका आभार,
ReplyDeleteश्रद्धांजलि ...
महान विभूति को हमारी श्रधांजलि ...
ReplyDeleteआचार्य जी को विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteआचार्य का चित्र आज पहली बार देखा.. धन्यवाद.
ReplyDeleteश्रद्धासुमन अर्पित
ReplyDeleteपद्मभूषण आचार्य शिवपूजन सहाय जी को सादर श्रद्धां सुमन.
ReplyDeleteरामराम.
आचार्य शिव पूजन सहाय जी का परिचय आपके बड़प्पन की निशानी की आपने सागर में गागर भर दिया . आदरणीय को प्रणाम सहित आपको सादर अभिवादन
ReplyDeleteश्रद्धासुमन अर्पित
विनम्र श्रद्धांजलि ....
ReplyDeleteआचार्य शिव पूजन सहाय जी का परिचय पाकर श्रद्धान्मत!!
ReplyDeleteसच तो ये है कि इनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी और जानकारी का यह अभाव क्षोभ पैदा करता है।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धाँजलि।
शिवपूजन सहाय हिन्दी के विशिष्ट शैलीकारों में अन्यतम स्थान रखने वाले साहित्यकार हैं। मेरी भी विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteमेरा भी नमन !
ReplyDeleteशिवपूजन सहाय बिहार के हैं और उन्हें आजतक नहीं पढ़ा मैंने...
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि...
National awards are meant ONLY for social and national service which helps to improve our economy, standard of life, value systems etc in the eyes of the world to get us name and fame - BUT is being misused for sports, film folks who amass lots of money and do little for the country in most cases; they can be honoured with Sports and Entertainment awards in recognition of their talents - we talked ill of Rao Sahib, Rao Bahadur of British Govt but continue same trend with different titles; PITY there is NO sense of justice in our Govt at top and many are "corrupt" to the core to please chamchas and chelaas !!!
ReplyDeleteपरिचय देने के लिए शुक्रिया |
ReplyDeleteआचार्य जी और उनके कार्य को सादर नमन |