चेहरे पर चेहरा |
- ट्रिङ्ग ट्रिङ्ग
- हॅलो?
- नमस्ते जी!
- नमस्ते की ऐसी-तैसी! बात करने की तमीज़ है कि नहीं?
- जी?
- फोन करते समय इतना तो सोचना चाहिए कि भोजन का समय है
- क्षमा कीजिये, मुझे पता नहीं था
- पता को मारिए गोली। पता तो चले कि आप हैं कौन?
- जी ... मैं ... अमर अकबर एंथनी, ट्रिपल ए डॉट कॉम लिटरेरी ग्रुप से ...
- ओह, सॉरी जी, आपने तो हमें पुरस्कृत किया था ... हैलो! आप पहले बता देते, तो कोई ग़लतफ़हमी नहीं होती, हे हे हे!
- जी, वो मैं ... आपके तेवर देखकर ज़रा घबरा गया था
- अजी, जब से आपने सम्मानित किया, अपनी तो किस्मत ही खुल गई। उस साल जब आपके समारोह गया तो वहाँ कुछ ऐसा नेटवर्क बना कि पिछले दो साल में 12 जगह से सम्मानपत्र मिल चुके हैं, दो प्रकाशक भी तैयार हो गये हैं, अभी - मैंने अग्रिम नहीं दिया है बस ...
- यह तो बड़ी खुशी की बात है। मैं यह कहना चाह रहा था कि ...
- इस साल के कार्यक्रम की सूची बन गई?
- जी, बात ऐसी है कि ...
- मेरा नाम तो इस बार और बड़े राष्ट्रीय सम्मान के लिये होगा न? इसीलिये कॉल किया न आपने?
- जी, इस बार मैं राष्ट्रीय पुरस्कार समिति में नहीं हूँ ...
- ठीक तो है, आप इस लायक हैं ही नहीं ...
- जी?
- रत्ती भर तमीज़ तो है नहीं, भद्रजनों को लंच के समय डिस्टर्ब करते हैं आप?
- लेकिन मैंने तो क्षमा मांगी थी
- मांगना छोड़िए, अब थोड़ा शिष्टाचार सीखिये
- हैलो, हैलो!
- कट, कट!
- लगता है कट गया। बता ही नहीं पाया कि इस बार मैं अंतरराष्ट्रीय सम्मान समिति (अमेरिका) का जज हूँ। अच्छा हुआ इनका नखरीलापन पहले ही दिख गया। अब किसी सुयोग्य पात्र को सम्मानित कर देंगे।