Showing posts with label साहित्यकार. Show all posts
Showing posts with label साहित्यकार. Show all posts

Wednesday, May 29, 2013

दूरभाष वार्ता मुखौटों से

चेहरे पर चेहरा

- ट्रिङ्ग ट्रिङ्ग 

- हॅलो?

- नमस्ते जी!

- नमस्ते की ऐसी-तैसी! बात करने की तमीज़ है कि नहीं?

- जी?

- फोन करते समय इतना तो सोचना चाहिए कि भोजन का समय है

- क्षमा कीजिये, मुझे पता नहीं था

- पता को मारिए गोली। पता तो चले कि आप हैं कौन?

- जी ... मैं ... अमर अकबर एंथनी, ट्रिपल ए डॉट कॉम लिटरेरी ग्रुप से ...

- ओह, सॉरी जी, आपने तो हमें पुरस्कृत किया था ... हैलो! आप पहले बता देते, तो कोई ग़लतफ़हमी नहीं होती,  हे हे हे!

- जी, वो मैं ... आपके तेवर देखकर ज़रा घबरा गया था

- अजी, जब से आपने सम्मानित किया, अपनी तो किस्मत ही खुल गई। उस साल जब आपके समारोह गया तो वहाँ कुछ ऐसा नेटवर्क बना कि पिछले दो साल में 12 जगह से सम्मानपत्र मिल चुके हैं, दो प्रकाशक भी तैयार हो गये हैं, अभी - मैंने अग्रिम नहीं दिया है बस ...

- यह तो बड़ी खुशी की बात है। मैं यह कहना चाह रहा था कि ...

- इस साल के कार्यक्रम की सूची बन गई?

- जी, बात ऐसी है कि ...

- मेरा नाम तो इस बार और बड़े राष्ट्रीय सम्मान के लिये होगा न? इसीलिये कॉल किया न आपने?

- जी, इस बार मैं राष्ट्रीय पुरस्कार समिति में नहीं हूँ ...

- ठीक तो है, आप इस लायक हैं ही नहीं ...

- जी?

- रत्ती भर तमीज़ तो है नहीं, भद्रजनों को लंच के समय डिस्टर्ब करते हैं आप?

- लेकिन मैंने तो क्षमा मांगी थी

- मांगना छोड़िए, अब थोड़ा शिष्टाचार सीखिये

- हैलो, हैलो!

- कट, कट!

- लगता है कट गया। बता ही नहीं पाया कि इस बार मैं अंतरराष्ट्रीय सम्मान समिति (अमेरिका) का जज हूँ। अच्छा हुआ इनका नखरीलापन पहले ही दिख गया। अब किसी सुयोग्य पात्र को सम्मानित कर देंगे।

Sunday, January 20, 2013

पद्मभूषण आचार्य शिवपूजन सहाय

आचार्य शिवपूजन सहाय (9 अगस्त 1893 - 21 जनवरी 1963)

आचार्य शिवपूजन सहाय
पद्मभूषण से सम्मानित आचार्य शिवपूजन सहाय का नाम हिंदी साहित्य में एक उच्च शिखर पर है। उनके उपन्यास, कहानियाँ, और संस्मरण तो प्रसिद्ध हैं ही, वे मतवाला, माधुरी, गंगा, जागरण, हिमालय, साहित्य जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक के रूप में प्रतिष्ठित रहे। उनके सम्पादनकाल में कोलकाता से प्रकाशित पत्र मतवाला में भारतीय क्रांतिकारियों के आलेख और विचार उनके छद्मनामों से निर्बाधरूप से प्रकाशित होते रहे थे। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की आत्मकथा का सम्पादन उन्होंने ही किया था।

बिहार के भोजपुर जिले के उन्वास ग्राम में 9 अगस्त 1893 को जन्मे आचार्य शिवपूजन सहाय का जीवन हिन्दी और भारत राष्ट्र को ही समर्पित रहा। उनका जन्म का नाम भोलानाथ था। सन 1960 में उन्हे पद्मभूषण का सम्मान मिला और सन् 1998 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था। बिहार सरकार ने उनके नाम पर एक लाख रूपये का पुरस्कार स्थापित किया है। उनका देहावसान 21 जनवरी 1963 में पटना में हुआ।


वही दिन वही लोग 1965 ,
मेरा जीवन 1985 ,
स्मृतिशेष 1994 ,
हिंदी भाषा और साहित्य 1996 ,
ग्राम सुधार 2007
आचार्य जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धासुमन!
[चित्र व जानकारी इंटरनैट पर उपलब्ध विभिन्न स्रोतों से साभार]

=============
सम्बन्धित कडियाँ
=============
* मति का धीर : आचार्य शिवपूजन सहाय