अनुराग शर्मा
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों, विशेषकर सिख और हिंदुओं के प्रति हिंसा और अत्याचार के मामले नए नहीं हैं। लेकिन इस साल तो जैसे इन मामलों की संख्या में बाढ़ सी आ गई है। कराची के हिंदुओं द्वारा अदालत से स्थगनादेश ले आने के बावजूद वहाँ के सोल्जर बाज़ार स्थित एक सौ वर्ष से अधिक पुराना राम पीर मंदिर और उसके परिसर में रहने वाले हिंदुओं के घर एक बिल्डर द्वारा दिन दहाड़े भारी पुलिस की उपस्थिति में गिरा दिये गये है जिसे लेकर वहां का हिंदू समुदाय दुखी है। स्थानीय हिंदुओं ने सरकार से कहा है कि यदि वह उनकी, उनके घरों तथा धार्मिक स्थलों की हिफाजत नहीं कर सकती है, तो वह उन्हें सुरक्षित भारत भिजवाने की व्यवस्था करे। अपने गैर-मुस्लिम नागरिकों के दमन के लिए बदनाम पाकिस्तान के इस कृत्य से वहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर एक बार फिर प्रश्न चिह्न लगा है। मंदिर परिसर में रहने वाले लगभग 40 हिन्दू बेघर हो गए हैं और सर्दी की रातें अपने बच्चों के साथ खुले में आसमान के नीचे बिताने को मजबूर हैं। उनका आरोप है कि पुलिस मंदिर में रखी अनेक मूर्तियां तथा उन पर चढ़ाए गए सोने के आभूषण भी उठाकर ले गई।
अपने अस्तित्व में आने के साथ ही पाकिस्तान में मंदिर नष्ट करने के सुनियोजित प्रयास चलते रहे हैं। कराची में ही पिछले दिनों इवेकुई बोर्ड ने एक मंदिर को एक ऑटो वर्कशॉप चलाने के लिए लीज पर दे दिया था। पाकिस्तान हिंदू कांउसिल (PHC) ने इस बारे में पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखे थे और कोई कार्यवाही न होने पर मन मसोस कर रह गए थे।
कराची के बाहरी इलाके में स्थित श्री कृष्ण राम मंदिर पर इस एक साल में ही दो बार हमला हुआ है। चेहरा छिपाने की कोई ज़रूरत न समझते हुए इन हमलावरों ने नकाब भी नहीं पहन रखा था। उन्होंने हवा में पिस्तौल लहराई, हिन्दुओं के खिलाफ नारे लगाए और प्रतिमाओं से छेड़छाड़ की। मंदिर में उपस्थित किशोर ने बताया कि पाकिस्तानी मुसलमान उन्हें अपने समान नागरिक नहीं समझते हैं और जब चाहे उन्हें मारते-पीटते हैं और मंदिरों पर हमले करते रहते हैं।
वैसे तो मंदिरों पर हमला करने के लिए पाकिस्तान में किसी बहाने की ज़रूरत नहीं पड़ती, लेकिन जब बहाना मिल जाये तो ऐसी घटनाएँ और भी आसानी से घटती हैं। शरारती तत्वों द्वारा यूट्यूब पर डाली गयी बेहूदा वीडियो क्लिप 'इंनोसेंस ऑफ मुस्लिम्स' के खिलाफ 21 सितंबर को पाकिस्तान भर में हुए विरोध प्रदर्शन ने पाकिस्तान के कई बड़े शहरों में हिंसक रूप ले लिया था जिनमें 19 अल्पसंख्यक मारे गए थे और जमकर तोड़फोड़ हुई थी। उसी दिन कराची के गुशलन-ए-मामार मुहल्ले के 25-30 हिन्दू परिवारों के एक मंदिर में रखी देवी-देवताओं की मूर्तियों को हबीउर्रहमान नाम के एक मौलवी के नेतृत्व में आयी एक भीड़ ने क्षतिग्रस्त किया। डर के कारण हिंदू परिवार इस मामले की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराना चाहते थे।
छोटे शहरों या कम प्रसिद्ध मंदिरों की तो कोई खबर पाकिस्तान से बाहर पहुँचती ही नहीं है। इस साल के आरंभ में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित प्रसिद्ध हिंगलाज माता मंदिर की सालाना तीर्थयात्रा शुरू होने से महज दो दिन पहले वहाँ की प्रबंध समिति के अध्यक्ष महाराज गंगा राम मोतियानी का पुलिस की वर्दी में आए लोगों ने अपहरण कर लिया था।
अल्लाहो-अकबर के नारे लगाती एक भीड़ ने मई 2012 में पेशावर में गोर गाथरी इलाके के एक पुरातात्विक परिसर के बीच में स्थित 200 साल पुराने गोरखनाथ मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था। हमलावरों ने मंदिर में रखे धर्म ग्रन्थों और चित्रों में आग लगाई, शिवलिंग को खंडित कर दिया और मूर्तियां अपने साथ ले गये। मंदिर के संरक्षक ने बताया कि दो महीने में मंदिर पर यह तीसरा हमला था।
सिंध प्रांत के उमरकोट स्थित 3 एकड़ में फैले आखारो मंदिर की चारदीवारी के पास करीब 50 दुकानें हैं। फरवरी 2012 में वहाँ के एक व्यापारी जुल्फिकार पंजाबी और उसके भाई हाफिज पंजाबी ने अपनी किराए की दुकान बढ़ाने के लिए बिना मंदिर प्रशासन की इजाजत लिए निर्माण कार्य शुरू कर दिया और मंदिर समिति की आपत्ति पर गोलीबारी कर दी जिसमें दो हिन्दू बुरी तरह घायल हो गए थे।
मंदिर ही नहीं हिन्दुओं की शमशान भूमि पर भी पाकिस्तान के भू-माफियाओं की नज़र है। मुसलमानों की शह और सरकार की फिरकापरस्ती के चलते न जाने कितने हिंदुओं को मरने के बाद अग्नि संस्कार भी नसीब नहीं हो पाता है। पाकिस्तान से भागकर आए शरणार्थी अपने साथ न जाने कितनी दर्दनाक कहानियाँ लाये हैं। बीस वर्षीय रुखसाना ने कहा कि पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के चलते हिन्दुओं को अपनी पहचान छिपानी पड़ती है और बहुत से लोग इसके लिए वहां मुसलमानों जैसे नाम रख लेते हैं। कभी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक मंदिर के पुजारी रहे रामश्रवण ने कहा कि उनके यहां तालिबान जैसे धर्मांध संगठनों के डर का आलम यह था कि वह मंदिर जाते समय या घर लौटते समय मुसलमानी टोपी लगाकर चलते थे। 13 वर्षीय लक्ष्मी ने कहा कि उसे भारत में पहली बार एक स्कूल में दाखिला मिला है, जबकि पाकिस्तान में वह कभी स्कूल का मुँह नहीं देख सकी थी। वहां हिन्दू-सिख घरों में घुस कर धर्म परिवर्तन को लेकर मार-पीट करते हुए महिलाओं से बदसलूकी करना सामान्य है। सिन्धी समिति के समक्ष एक व्यक्ति ने बताया कि उन्हें बार-बार अपमानित किया जाता है और जबरदस्ती मांस खिलाया जाता है। 45 वर्षीय शांति देवी ने कहा कि वह कभी पाकिस्तान नहीं लौटेंगी और भारत में ही मरना पसंद करेंगी क्योंकि पाकिस्तान में हिन्दुओं को हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार तक नहीं करने दिया जाता है। डेरा इस्माइल खान में 1947 से अब तक एक मात्र हिंदू पंडित खडगे लाल के शव को ही हिंदू रीतिरिवाजों के तहत अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी गई है। डेरा इस्माइल खान में पहले मेडियन कॉलोनी और टाउन हॉल में एक-एक श्मशान घाट था जिनकी नीलामी हो चुकी हैं।
मंदिरों पर हमलों के अलावा पाकिस्तान में हिंदुओं को लगातार ही महिलाओं के अपहरण और जबरन धर्मांतरण का सामना करना पड़ता है। मुसलमानों के निगरानी गुट अल्पसंख्यक हिंदुओं पर दबाव बनाते रहते हैं। सिंध प्रांत में मीरपुर माथेलो से गायब हुई 17 वर्षीय हिंदू लड़की रिंकल कुमारी बाद में एक स्थानीय दरगाह के एक प्रभावशाली मुस्लिम मिट्ठू मियां के परिवार की देख-रेख में मिली थी और उसका धर्म परिवर्तन कराकर एक स्थानीय मुसलमान युवक से उसकी शादी करा दी गई थी। एक तरफ खुशी मनाने और शक्ति प्रदर्शन के लिए दरगाह के हथियारबंद ज़ायरीन हवा में गोलियां चला रहे थे वहीं दूसरी तरफ सामाजिक कार्यकर्ता मिट्ठू मियां पर हिन्दू लड़कियों के संगठित अपहरण और विक्रय के आरोप लगा रहे थे।
26 मार्च 2012 को रिंकल कुमारी ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश इफित्खार मुहम्मद चौधरी को बताया कि नवीद शाह ने उसका अपहरण किया था और अब उसे अपनी माँ के घर जाने दिया जाए। रिंकल के इस साहस के बदले में उसके दादा को गोली मार दी गई और अगली पेशी में उसकी अनुपस्थिति में अदालत को उसका एक वीडियो दिखाया गया जिसके आधार पर उसके अपहरण और धर्मपरिवर्तन को स्वेच्छा बताकर अपहरण, बलात्कार और जबरिया धर्म परिवर्तन के आरोप निरस्त कर दिये गए।
अमेरिकी विदेश विभाग की ताज़ा रिपोर्ट में गहरी चिंता जताते हुए कहा गया है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को अपहरण और जबरन धर्म-परिवर्तन का डर लगा रहता है। पाकिस्तान मानवाधिकार परिषद के अनुसार वहाँ हर महीने 20-25 हिंदू लड़कियां अपहृत कर ली जाती हैं और उन्हें जबरन इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा जाता है। हिन्दू होने भर से किसी को ईशनिन्दा कानून में फंसाकर मृत्युदंड दिलाना या दिन दहाड़े मारना आसान हो जाता है। नवंबर 2011 में चार हिंदू डॉक्टरों की सिंध प्रांत के शिकारपुर जिले में सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
असहिष्णुता के इस जंगल में जहां तहां एकाध आशा की किरण भी नज़र आ जाती है। मारवी सिरमेद जैसी समाज सेविका जहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे अपराधों के विरुद्ध मीडिया और अदालत में अडिग खड़ी दिखती हैं वहीं वकील जावेद इकबाल जाफरी पाकिस्तान सरकार को अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों एवं संपत्ति की रक्षा करने के संवैधानिक कर्तव्य की याद दिलाते हुए पाकिस्तान के मंदिरों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने और उनके पुनर्निर्माण की मांग करते हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपने संपादकीय में सरकार से मांग की है कि राम पीर मंदिर गिराने के लिए हिंदू समुदाय से माफी मांगने की जरूरत है।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों, विशेषकर सिख और हिंदुओं के प्रति हिंसा और अत्याचार के मामले नए नहीं हैं। लेकिन इस साल तो जैसे इन मामलों की संख्या में बाढ़ सी आ गई है। कराची के हिंदुओं द्वारा अदालत से स्थगनादेश ले आने के बावजूद वहाँ के सोल्जर बाज़ार स्थित एक सौ वर्ष से अधिक पुराना राम पीर मंदिर और उसके परिसर में रहने वाले हिंदुओं के घर एक बिल्डर द्वारा दिन दहाड़े भारी पुलिस की उपस्थिति में गिरा दिये गये है जिसे लेकर वहां का हिंदू समुदाय दुखी है। स्थानीय हिंदुओं ने सरकार से कहा है कि यदि वह उनकी, उनके घरों तथा धार्मिक स्थलों की हिफाजत नहीं कर सकती है, तो वह उन्हें सुरक्षित भारत भिजवाने की व्यवस्था करे। अपने गैर-मुस्लिम नागरिकों के दमन के लिए बदनाम पाकिस्तान के इस कृत्य से वहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर एक बार फिर प्रश्न चिह्न लगा है। मंदिर परिसर में रहने वाले लगभग 40 हिन्दू बेघर हो गए हैं और सर्दी की रातें अपने बच्चों के साथ खुले में आसमान के नीचे बिताने को मजबूर हैं। उनका आरोप है कि पुलिस मंदिर में रखी अनेक मूर्तियां तथा उन पर चढ़ाए गए सोने के आभूषण भी उठाकर ले गई।
अपने अस्तित्व में आने के साथ ही पाकिस्तान में मंदिर नष्ट करने के सुनियोजित प्रयास चलते रहे हैं। कराची में ही पिछले दिनों इवेकुई बोर्ड ने एक मंदिर को एक ऑटो वर्कशॉप चलाने के लिए लीज पर दे दिया था। पाकिस्तान हिंदू कांउसिल (PHC) ने इस बारे में पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखे थे और कोई कार्यवाही न होने पर मन मसोस कर रह गए थे।
कराची के बाहरी इलाके में स्थित श्री कृष्ण राम मंदिर पर इस एक साल में ही दो बार हमला हुआ है। चेहरा छिपाने की कोई ज़रूरत न समझते हुए इन हमलावरों ने नकाब भी नहीं पहन रखा था। उन्होंने हवा में पिस्तौल लहराई, हिन्दुओं के खिलाफ नारे लगाए और प्रतिमाओं से छेड़छाड़ की। मंदिर में उपस्थित किशोर ने बताया कि पाकिस्तानी मुसलमान उन्हें अपने समान नागरिक नहीं समझते हैं और जब चाहे उन्हें मारते-पीटते हैं और मंदिरों पर हमले करते रहते हैं।
वैसे तो मंदिरों पर हमला करने के लिए पाकिस्तान में किसी बहाने की ज़रूरत नहीं पड़ती, लेकिन जब बहाना मिल जाये तो ऐसी घटनाएँ और भी आसानी से घटती हैं। शरारती तत्वों द्वारा यूट्यूब पर डाली गयी बेहूदा वीडियो क्लिप 'इंनोसेंस ऑफ मुस्लिम्स' के खिलाफ 21 सितंबर को पाकिस्तान भर में हुए विरोध प्रदर्शन ने पाकिस्तान के कई बड़े शहरों में हिंसक रूप ले लिया था जिनमें 19 अल्पसंख्यक मारे गए थे और जमकर तोड़फोड़ हुई थी। उसी दिन कराची के गुशलन-ए-मामार मुहल्ले के 25-30 हिन्दू परिवारों के एक मंदिर में रखी देवी-देवताओं की मूर्तियों को हबीउर्रहमान नाम के एक मौलवी के नेतृत्व में आयी एक भीड़ ने क्षतिग्रस्त किया। डर के कारण हिंदू परिवार इस मामले की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराना चाहते थे।
छोटे शहरों या कम प्रसिद्ध मंदिरों की तो कोई खबर पाकिस्तान से बाहर पहुँचती ही नहीं है। इस साल के आरंभ में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित प्रसिद्ध हिंगलाज माता मंदिर की सालाना तीर्थयात्रा शुरू होने से महज दो दिन पहले वहाँ की प्रबंध समिति के अध्यक्ष महाराज गंगा राम मोतियानी का पुलिस की वर्दी में आए लोगों ने अपहरण कर लिया था।
अल्लाहो-अकबर के नारे लगाती एक भीड़ ने मई 2012 में पेशावर में गोर गाथरी इलाके के एक पुरातात्विक परिसर के बीच में स्थित 200 साल पुराने गोरखनाथ मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था। हमलावरों ने मंदिर में रखे धर्म ग्रन्थों और चित्रों में आग लगाई, शिवलिंग को खंडित कर दिया और मूर्तियां अपने साथ ले गये। मंदिर के संरक्षक ने बताया कि दो महीने में मंदिर पर यह तीसरा हमला था।
सिंध प्रांत के उमरकोट स्थित 3 एकड़ में फैले आखारो मंदिर की चारदीवारी के पास करीब 50 दुकानें हैं। फरवरी 2012 में वहाँ के एक व्यापारी जुल्फिकार पंजाबी और उसके भाई हाफिज पंजाबी ने अपनी किराए की दुकान बढ़ाने के लिए बिना मंदिर प्रशासन की इजाजत लिए निर्माण कार्य शुरू कर दिया और मंदिर समिति की आपत्ति पर गोलीबारी कर दी जिसमें दो हिन्दू बुरी तरह घायल हो गए थे।
मंदिर ही नहीं हिन्दुओं की शमशान भूमि पर भी पाकिस्तान के भू-माफियाओं की नज़र है। मुसलमानों की शह और सरकार की फिरकापरस्ती के चलते न जाने कितने हिंदुओं को मरने के बाद अग्नि संस्कार भी नसीब नहीं हो पाता है। पाकिस्तान से भागकर आए शरणार्थी अपने साथ न जाने कितनी दर्दनाक कहानियाँ लाये हैं। बीस वर्षीय रुखसाना ने कहा कि पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के चलते हिन्दुओं को अपनी पहचान छिपानी पड़ती है और बहुत से लोग इसके लिए वहां मुसलमानों जैसे नाम रख लेते हैं। कभी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक मंदिर के पुजारी रहे रामश्रवण ने कहा कि उनके यहां तालिबान जैसे धर्मांध संगठनों के डर का आलम यह था कि वह मंदिर जाते समय या घर लौटते समय मुसलमानी टोपी लगाकर चलते थे। 13 वर्षीय लक्ष्मी ने कहा कि उसे भारत में पहली बार एक स्कूल में दाखिला मिला है, जबकि पाकिस्तान में वह कभी स्कूल का मुँह नहीं देख सकी थी। वहां हिन्दू-सिख घरों में घुस कर धर्म परिवर्तन को लेकर मार-पीट करते हुए महिलाओं से बदसलूकी करना सामान्य है। सिन्धी समिति के समक्ष एक व्यक्ति ने बताया कि उन्हें बार-बार अपमानित किया जाता है और जबरदस्ती मांस खिलाया जाता है। 45 वर्षीय शांति देवी ने कहा कि वह कभी पाकिस्तान नहीं लौटेंगी और भारत में ही मरना पसंद करेंगी क्योंकि पाकिस्तान में हिन्दुओं को हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार तक नहीं करने दिया जाता है। डेरा इस्माइल खान में 1947 से अब तक एक मात्र हिंदू पंडित खडगे लाल के शव को ही हिंदू रीतिरिवाजों के तहत अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी गई है। डेरा इस्माइल खान में पहले मेडियन कॉलोनी और टाउन हॉल में एक-एक श्मशान घाट था जिनकी नीलामी हो चुकी हैं।
मंदिरों पर हमलों के अलावा पाकिस्तान में हिंदुओं को लगातार ही महिलाओं के अपहरण और जबरन धर्मांतरण का सामना करना पड़ता है। मुसलमानों के निगरानी गुट अल्पसंख्यक हिंदुओं पर दबाव बनाते रहते हैं। सिंध प्रांत में मीरपुर माथेलो से गायब हुई 17 वर्षीय हिंदू लड़की रिंकल कुमारी बाद में एक स्थानीय दरगाह के एक प्रभावशाली मुस्लिम मिट्ठू मियां के परिवार की देख-रेख में मिली थी और उसका धर्म परिवर्तन कराकर एक स्थानीय मुसलमान युवक से उसकी शादी करा दी गई थी। एक तरफ खुशी मनाने और शक्ति प्रदर्शन के लिए दरगाह के हथियारबंद ज़ायरीन हवा में गोलियां चला रहे थे वहीं दूसरी तरफ सामाजिक कार्यकर्ता मिट्ठू मियां पर हिन्दू लड़कियों के संगठित अपहरण और विक्रय के आरोप लगा रहे थे।
26 मार्च 2012 को रिंकल कुमारी ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश इफित्खार मुहम्मद चौधरी को बताया कि नवीद शाह ने उसका अपहरण किया था और अब उसे अपनी माँ के घर जाने दिया जाए। रिंकल के इस साहस के बदले में उसके दादा को गोली मार दी गई और अगली पेशी में उसकी अनुपस्थिति में अदालत को उसका एक वीडियो दिखाया गया जिसके आधार पर उसके अपहरण और धर्मपरिवर्तन को स्वेच्छा बताकर अपहरण, बलात्कार और जबरिया धर्म परिवर्तन के आरोप निरस्त कर दिये गए।
अमेरिकी विदेश विभाग की ताज़ा रिपोर्ट में गहरी चिंता जताते हुए कहा गया है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को अपहरण और जबरन धर्म-परिवर्तन का डर लगा रहता है। पाकिस्तान मानवाधिकार परिषद के अनुसार वहाँ हर महीने 20-25 हिंदू लड़कियां अपहृत कर ली जाती हैं और उन्हें जबरन इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा जाता है। हिन्दू होने भर से किसी को ईशनिन्दा कानून में फंसाकर मृत्युदंड दिलाना या दिन दहाड़े मारना आसान हो जाता है। नवंबर 2011 में चार हिंदू डॉक्टरों की सिंध प्रांत के शिकारपुर जिले में सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
असहिष्णुता के इस जंगल में जहां तहां एकाध आशा की किरण भी नज़र आ जाती है। मारवी सिरमेद जैसी समाज सेविका जहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे अपराधों के विरुद्ध मीडिया और अदालत में अडिग खड़ी दिखती हैं वहीं वकील जावेद इकबाल जाफरी पाकिस्तान सरकार को अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों एवं संपत्ति की रक्षा करने के संवैधानिक कर्तव्य की याद दिलाते हुए पाकिस्तान के मंदिरों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने और उनके पुनर्निर्माण की मांग करते हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपने संपादकीय में सरकार से मांग की है कि राम पीर मंदिर गिराने के लिए हिंदू समुदाय से माफी मांगने की जरूरत है।
[आभार: चित्र व सूचनाएँ विभिन्न समाचार स्रोतों से]
उन्होंने सहअस्तित्व के सिद्धान्त को कभी स्वीकार ही नहीं किया और न ही उनका इस तरह का कोई इरादा है। हमें अपने अर्थ स्वयं ढूँढ़ने होंगे।
ReplyDeleteघृणा की नींव पर हुए निर्माण में यही सब होगा। पाकिस्तान की सरकार के अतिरिक्त और कोई भी सरकार इन पीडितों की सीधी सहायता कर पाएगी इसमें सन्देह ही है। विश्व हिन्दू परिषद् जैसे गैर सरकारी संगठनों की जिम्मेदारी ऐसे मामलों में स्वत: ही सामने आती है।
ReplyDeleteसारे मामले निस्सन्देह धार्मिक असहिष्णुता के कारण ही हैं किन्तु हैं पाकिस्तान के अन्दरूनी मामले। ऐसे में पीडितों को अपनी मदद आप ही करनी पडेगी।
बहुत गम्भीर मसला है, लेकिन इस पर हमारी चुप्पी यह दिखाती है कि हम लोगों के अन्दर अपनी पहचान जैसी कोई चीज बची ही नहीं. आज जुबान चुप है कल यही चुप्पी आत्मघाती सिद्ध होगी.
ReplyDeleteभारत में भी हालात कम खराब नहीं.
भोजीपुरा में एक मौलवी ने अपने भाषण में कहा कि वोट देकर इतना मजबूत कर दो कि हिन्........को करने की ताकत मिले. लेकिन कुछ नहीं हुआ.
बहेड़ी में दो लोगों में धर्म को लेकर दो लोगों में वाद विवाद हो गया, फेसबुक पर.. नतीजा बहुसंख्यक रात में ही गिरफ्तार.
यह आलम पाकिस्तान में ही नहीं है। मुस्लिम जहाँ भी अपनी ज़मात का बल देखते हैं वहीं मनमानी पर उतर आते हैं। भारतीय हैदराबाद के विधायक ओबैसी के कृत्य हिन्दू विरोधी ही नहीं राष्ट्रविरोधी भी हैं। पाकिस्तान से आये मुट्ठी भर हिन्दुओं को भारत में शरण नहीं मिल पाती जबकि बांग्लादेश से आये मुस्लिमों को राशन कॉर्ड से लेकर मतदाता पत्र तक उपलब्ध हो जाते हैं। ये स्थितियाँ जिस ओर इशारा कर रही हैं वह गम्भीर है ..इसे हर भारतीय को समझना होगा। हम बहुत थोड़ॆ से राष्ट्रवादी मुस्लिमों से क्षमा चाह्ते हैं यह कहते हुये कि उनकी ज़मात के शेष अधिक लोग भारत को इस्लामिक देश बनाने के लिये हर सम्भव कु-उपाय कर रहे हैं। उत्तरी भारत के एक हिस्से को मोलिस्तान बनाने की बात उठने लगी है। आज बात उठी है, कल आन्दोलन होंगे ...परसों ज़ेहाद होगा ..और अगले दिन एक और फ़िलिस्तीन-इज़्रायल दुनिया के सामने होगा। यह समझना भारी भूल होगी कि "कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी"। आर्यावर्त के कितने खण्ड हो चुके हैं अभी तक ...कितने हिन्दू बहुल दक्षिण एशियायी देश मुस्लिम बहुल हो चुके हैं ....यदि मुस्लिमों को इस्लाम में मुक्ति का मार्ग दिखायी देता है तो हमें हमारी सनातन परम्पराओं और आदर्शों में जीवन का सुख और मुक्ति का मार्ग दिखायी देता है। अब समय आ गया है कि क्षद्म निरपेक्षता का सक्रिय विरोध किया जाय। धर्मांतरण को राष्ट्रद्रोह घोषित कर प्रत्येक धर्मानतरण की घटना पर दोषियों को सज़ा दी जाय। खोखले आदर्शों से हमारा अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा।
Deleteयह आलम पाकिस्तान में ही नहीं है। मुस्लिम जहाँ भी अपनी ज़मात का बल देखते हैं वहीं मनमानी पर उतर आते हैं। भारतीय हैदराबाद के विधायक ओबैसी के कृत्य हिन्दू विरोधी ही नहीं राष्ट्रविरोधी भी हैं। पाकिस्तान से आये मुट्ठी भर हिन्दुओं को भारत में शरण नहीं मिल पाती जबकि बांग्लादेश से आये मुस्लिमों को राशन कॉर्ड से लेकर मतदाता पत्र तक उपलब्ध हो जाते हैं। ये स्थितियाँ जिस ओर इशारा कर रही हैं वह गम्भीर है ..इसे हर भारतीय को समझना होगा। हम बहुत थोड़ॆ से राष्ट्रवादी मुस्लिमों से क्षमा चाह्ते हैं यह कहते हुये कि उनकी ज़मात के शेष अधिक लोग भारत को इस्लामिक देश बनाने के लिये हर सम्भव कु-उपाय कर रहे हैं। उत्तरी भारत के एक हिस्से को मोलिस्तान बनाने की बात उठने लगी है। आज बात उठी है, कल आन्दोलन होंगे ...परसों ज़ेहाद होगा ..और अगले दिन एक और फ़िलिस्तीन-इज़्रायल दुनिया के सामने होगा। यह समझना भारी भूल होगी कि "कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी"। आर्यावर्त के कितने खण्ड हो चुके हैं अभी तक ...कितने हिन्दू बहुल दक्षिण एशियायी देश मुस्लिम बहुल हो चुके हैं ....यदि मुस्लिमों को इस्लाम में मुक्ति का मार्ग दिखायी देता है तो हमें हमारी सनातन परम्पराओं और आदर्शों में जीवन का सुख और मुक्ति का मार्ग दिखायी देता है। अब समय आ गया है कि क्षद्म निरपेक्षता का सक्रिय विरोध किया जाय। धर्मांतरण को राष्ट्रद्रोह घोषित कर प्रत्येक धर्मानतरण की घटना पर दोषियों को सज़ा दी जाय। खोखले आदर्शों से हमारा अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा।
Deleteकौशलेन्द्र जी की बात से सहमत... ऐसी स्थित्तियां तो भारत में भी है जहाँ जहाँ मुस्लिमबाहुल्य है...
Deleteबहुत दुखद है यह सब ।
ReplyDeleteसच्चाई तो यह है कि यह सब करने वाले अपने आप को अपने धर्म का स्तम्भ मानते हैं, गर्वित होते हैं सब कुकर्म कर कर । "दूसरों के धर्म" (जो सच में धर्म हो - वह "मेरा और दुसरे का" हो सकता है कभी?) को विनष्ट कर के उन्हें पाने धर्म की स्थापना करने का गुमान होता है ।
असलियत में यह महामूर्खता ही है । जिस धर्म को / जिस इश्वर को / जिस सत्य को, अपने अस्तित्व को स्थापित करने के लिए दुसरे को नष्ट करना पड़े - वह तो सीमित होगा - वह धर्म /या इश्वर / या सत्य हो ही कैसे सकता है ? यदि कोई इश्वर है - तो वह सम्पूर्ण है - उसमे सब कुछ समाहित है । उसे अपने आप को स्थापित करने के लिए "दूसरे" को नष्ट करने की आवश्यकता नहीं होगी । और जिसे यह करने की आवश्यकता है - वह पूर्ण नहीं क्षुद्र है - तो न वह सत्य है, न धर्म है, न इश्वर ।
और
यह सब करने वाले / करना चाहने वाले मूर्ख दोनों ओर हैं ।
बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDelete1.gandhi ke desh main ya to gandhi ki tarh rah lo ek gaal par khakar dusara gaal gaal age kar do.....
ReplyDelete2.Azad ki tarah koie aap ke gaal ki taraf chata marne ki koshish kare to uska haath hi tod do..
ab sochana aap ko hai..
jai baba banaras....
दुखद स्थिति है, वहां के अल्पसंख्यको को भारत जैसा संरक्षण भी उपलब्ध नहीं।
ReplyDeleteachchhi jankaari
ReplyDeleteअसहिष्णुता के इस जंगल में जहां तहां एकाध आशा की किरण भी नज़र आ जाती है। मारवी सिरमेद जैसी समाज सेविका जहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे अपराधों के विरुद्ध मीडिया और अदालत में अडिग खड़ी दिखती हैं वहीं वकील जावेद इकबाल जाफरी पाकिस्तान सरकार को अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों एवं संपत्ति की रक्षा करने के संवैधानिक कर्तव्य की याद दिलाते हुए पाकिस्तान के मंदिरों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने और उनके पुनर्निर्माण की मांग करते हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपने संपादकीय में सरकार से मांग की है कि राम पीर मंदिर गिराने के लिए हिंदू समुदाय से माफी मांगने की जरूरत है।
ReplyDeleteकोई तो वहां बचा है जो इंसानियत का रखवाला है . हम भी कहाँ मुर्दों के बीच जीवन खोजते हैं
दुखद है यह सारी घटनाएँ.. पहली बार तस्लीमा नसरीन की पुस्तक में विस्तार से पढ़ा था... आज आपने सिलसिलेवार बताया.. वे एक ऐसे ही समाज से हैं और उनका सिद्धांत ही नहीं रहा कभी.. जबकि दुबई भी इस्लामी मुल्क है. वहाँ शुक्रवार को मंदिर और मस्जिद में बहुत भीड़ होती थी. भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए पुलिस तैनात होती थी. लेकिन मैंने गौर किया कि मंदिर की तरफ तैनात सारे पुलिसकर्मी अपनी चप्पलें उतारकर खड़े होते थे.
ReplyDeleteबहुत ही संतुलित आलेख!!
इस्लाम के इस स्वरूप पर भला किसे आपत्ति होगी!
Deleteमुझे पाकिस्तान की सरकार या वहां के अल्पसंख्यक समर्थकों से बहुत उम्मीद नहीं है। बर्बर राष्ट्र है वह।
ReplyDeleteनक्कारख़ाने में तूती की आवाज! कल को कोई तालिबानी उनकी हत्या न कर दे कहीं। ईश्वर उनकी रक्षा करे।
Deleteऐसा लगा लज्जा में पश्चिमी बांग्लादेश के बारे में पढ़ रहा हूं...
ReplyDeleteफिरकापरस्ती की आग हर तरफ फैली है और हमारे मंदिर-मस्जिद इसके शिकार हैं। इस मसले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को प्रखरता से अपनी बात रखनी चाहिए। कट्टरपंथियों को जब तक पाकिस्तान की सरकार सख्त संदेश नहीं देगी, ऐसी घटनाएँ जारी रहेंगी और सरकार पर ऐसे सख्त कदम बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सख्त दबाव आवश्यक है। आपने इस संवेदनशील पक्ष को पोस्ट के माध्यम से रखा, इसके लिए साधुवाद
ReplyDeleteजो खुद अपनों के नहीं हो सकते वो हमारे क्या होंगे.बहुत दुखद है यह सब.पता नहीं कैसे जीते होंगे वहां हिंदू.
ReplyDeleteजीते हैं ? कौन कहता है कि पाकिस्तान में हिन्दू जीते हैं ? इस जीने को भी जीने की संज्ञा दी जा सकती है भला! इसी वर्ष तो वहाँ कई हिन्दू लड़कियों को जबरन उठा कर जवान/अधेड़ या किसी डोकरे मुसलमान के साथ निकाह के लिये बाध्य किया गया है। सोचिये ! कैसी ज़िन्दगी होगी उन लड़कियों की? जनगणना के आँकड़ों में पाकिस्तान ने दुनिया को बता दिया है कि हमारे मुल्क में 1947 के बाद से हिन्दू आबादी में निरंतर गिरावट आयी है जिसे जो करना हो करले। इधर भारत में आँकड़े ठीक इसके उलट हैं ......अब यहाँ भी जिसे जो करना हो करले ...धर्मांतरण तो होता रहेगा ...भारत में मौलिस्तान की आवाज़ तो बुलन्द होती रहेगी ...क्योंकि यह धर्मनिरपेक्ष देश है ...हम हर किसीकी माँगों को आदर के साथ मंज़ूर करते रहेंगे।
Deleteवे दुनिया भर में कहीं रहें धर्म के नाम पर एक हो कर तांडव मचाने लगते हैं - है कोई सामना करनेवाला?यहां तो सब उपदेश पिला कर शान्ति से बैठ जायेंगे.
ReplyDeleteविचारनीय आलेख सार्वभौमिकता का पुट लिये ..यह निर्विवाद है कि बर्बर पूर्वाग्रही विचारों से न्याय और आचार विचलित हो जाते हैं ...यह कोई नया नहीं है ,हम नए हैं कि पुरातन शौर्य को दरकिनार करते हैं ....
ReplyDeleteवहां मानवाधिकार संस्थाएं काम नहीं करती क्या ?
ReplyDeleteबहुत दुखद !
पाकिस्तान सरकार पर ऐसे सख्त कदम बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सख्त दबाव आवश्यक है। बहुत दुखद है। .........
ReplyDeleteबहुत दुखद
ReplyDeleteपाकिस्तान सरकार पर ऐसे सख्त कदम बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सख्त दबाव आवश्यक है। बहुत दुखद है। .........
ReplyDeleteअपने को ऐसे समाचारों से कोई हैरानी नहीं होती। हैरानी तब भी नहीं होगी जब पांच-दस साल में भारत में भी यही सब होगा और विश्व हिन्दु परिषद जैसे गैर सरकारी संगठनों की जिम्मेदारी बताकर हम अपनी जिम्मेदारी पूरी करेंगे।
ReplyDelete:(
Deleteमंदिर मस्जिद तोड़ने से किसी को कुछ नही मिलता फिर भी लोग....बेहतरीन आलेख आपने लिखी है काश लोग इन बातों पर अमल दे और खुद का और अपने देश का विकास करें ..बेकार की बातों से सिर्फ़ हिंसा ही फैल सकती है और कुछ नही..
ReplyDeleteसामयिक और बेहतरीन आलेख के लिए धन्यवाद सर,,
इसे पढकर हमारे वे मुसलमान भाई कुछ सबक ले सकते हैं जो देश नही केवल धर्म के आधार पर अपना दृष्टिकोण तय करते हैं ।
ReplyDeleteअत्यन्त दुःखद। पाकिस्तान में हिन्दुओं की जो दुर्दशा है, वे सोचते होंगे कि आखिर उनके पूर्वज हिन्दुस्तान क्यों न चले गये। जीवित रहते ही नरक देख रहे हैं वे। कोई उनके लिये कुछ नहीं करता, पाकिस्तान से तो क्या उम्मीद करें, भारत के अल्पसंख्यक प्रेम में अन्धे नेता भी उन्हें भारत आने नहीं देना चाहते। लाखों बांग्लादेशी घुसपैठियों को तो गले से लगाते हैं लेकिन असली दयनीय मुट्ठी भर हिन्दू शरणार्थियों को भारत में रहने नहीं देते।
ReplyDeleteपाकिस्तान में रहने वाले हिन्दुओं का क्या गुनाह है? यही न कि वे अखण्ड भारत के उस हिस्से में पैदा हुये थे जिसे धर्म के नाम पर भारत से छीन लिया गया। आज उनके पूर्वजों की उस धरती पर उनका कोई नहीं है। पूर्व के अखण्ड भारत से लेकर आज के खण्डित भारत तक में उनका कोई नहीं है। उनकी सम्पत्ति छीन लेने के लिये है ...उनकी बेटियाँ उठा लेने के लिये हैं ...उनकी स्त्रियाँ बलात्कार के लिये हैं ...उनके बच्चे मुसलमान बनाकर फ़िदायीन बना देने के लिये हैं ...जाओ अपने भारत में ...तबाह करदो अपने हिन्दुओं को। अपनी माँ या लाड़ली बहन की इज़्ज़त के नाम पर बेचारा पाकिस्तानी-हिन्दू फ़िदायीन बनकर ख़ुद को बम से उड़ा लेता है ...मगर अफ़सोस कि उसे यह कभी पता नहीं चल पाता कि अब तक उसकी माँ या बहन की इज़्ज़त तार-तार की जा चुकी है और वे ज़िन्दा अपने शव को ढोने के लिये बाध्य हैं .......क्या मानवता के नाम पर भारत की सरकार का कोई कर्तव्य नहीं बनता? ....उन लोगों के लिये ..जो कभी अखण्ड भारत के नागरिक हुआ करते थे? किस गुनाह की सज़ा दी जा रही है उन्हें ?
Deleteएक सभ्य समाज का बदनुमा दाग है यह समाज
ReplyDeleteaabhar !
ReplyDeleteइस प्रकार की दुखद घटनाएँ पढ़कर मन दुखी होता है ....पता नहीं मंदिर मज्जित के यह झगडे
ReplyDeleteकभी ख़तम होंगे भी या नहीं ....अभी कुछ महीनों से हमारे शहर हैदराबाद में इसी मुद्दे को लेकर
मामला संवेदनशील बना हुआ है ...चारमिनार के सामने बने हुए भाग्यलक्ष्मी मंदिर को लेकर !
बढ़िया आलेख है ....आभार !
अब कैसी स्थिति है हैदराबाद में?
Deleteहैदराबाद में वहाँ के विधायक ओबैसी के कारण स्थितियाँ लगभग सदा ही तनावपूर्ण बनी रहती हैं शर्मा जी! वहाँ के कुछ मन्दिरों में इन्हीं महोदय की कृपा से घण्टियाँ बजाने पर प्रतिबन्ध है। पुलिस का पहरा रहता है, कोई हिन्दू घण्टा नहीं बजा सकता, इससे मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात होता है। होली पर रंग खेलने पर प्रतिबन्ध की मांग की जाती है। दीपावली पर भाग्यलक्ष्मी मन्दिर में सजावट और प्रकाश करने पर प्रतिबन्ध लगाने की बात उठाई गई। क्या इस सबसे यह प्रमाणित नहीं होता कि भारत के अन्दर एक और पाकिस्तान जन्म लेने की प्रक्रिया में है? और ये ख़बरें व्यक्तिगत सूचना तंत्र के ज़रिये शेष भारत तक पहुँच पाती हैं। हैदराबाद को लेकर पूरे देश को अँधेरे में रखा जा रहा है। और हम सब ख़ामोश हैं। लानत है ऐसी मर्दानगी और आत्मतुष्टि पर।
Deleteकुछ दिन पूर्व तो कर्फ्यू था अब पुलिस का पहरा है !
ReplyDeleteगर्व का विषय है सुमन जी! भारत में दीपावली पर मन्दिर में प्रकाश करने को लेकर ओबैसी की माँग पर शहर में कर्फ़्यू! हिन्दू तीज-त्योहारों पर प्रतिबन्ध .....ओबैसी कल को स्वतंत्र हैदराबाद की माँग करेगा, वह भी मान लिया जायेगा। जय हो आर्यावर्त के आर्यों की!
Deleteदुखद स्थिति..बहुत सार्थक आलेख...
ReplyDeleteham to secular ka dhol pite ja rahe , aur vo mahari bhavnaon se hamesha khelte rahe hai.
ReplyDeleteपाकिस्तान हीन भावना से ग्रसित है
ReplyDeleteअनुराग जी! अभी एक ऐतिहासिक उपन्यास पढ़ रहा हूँ ..."आमचो बस्तर" (हमारा बस्तर)। बस्तर पर अभी तक लिखी गयी किसी भी सामग्री की अपेक्षा इसमें अधिक प्रामाणिक ऐतिहासिक तथ्य दिये गये हैं। आदिवासी बहुल भोले-भाले बस्तर में अंग्रेजों और अरबियों ने जिस तरह लूटपाट, हत्या और बलात्कार किये हैं वह इन लोगों के माथे का स्थाई कलंक है। बस्तर ही नहीं भारत में भी इन जातियों ने सारी मानवीयता को तिलांजलि देकर जघन्य अपराध किये हैं। किसी पराये मुल्क में जाकर हिन्दुओं ने कभी ऐसा कुछ किया हो ऐसा इतिहास हमने नहीं पढ़ा। जबकि अंग्रेजों और मुसलमानों का इतिहास ऐसे ही जघन्य अपराधों से भरा पड़ा है। और हम अभी भी इतिहास से कोई सबक नहीं लेना चाहते। हमारी सिर्फ़ एक ही मांग है कि धर्मांतरण को भारत में राष्ट्रद्रोह माना जाय। जिस तरह आज दामिनी के लिये पूरा राष्ट्र चिंतित है उसी तरह धर्मांतरण के लिये भी चिंतित होने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteअनुराग जी, ये दुःख तो पहले से ही था की पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ बहुत बुरा बर्ताब किया जाता है लेकिन अथाह दुःख उस दिन हुआ जब वहां से आये हिन्दुओं ने बताया की वहां मुस्लिम अंतिम संस्कार भी ढंग से नहीं करने देते हैं... ११-११ साल की बहन बेटियों को उठाकर ले जाते हैं... घोर निंदनीय आचरण मुस्लिम समाज का, पकिस्तान का और भारत सरकार को जो इस तरह की घटनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त तक नहीं करती...
ReplyDeleteस्थितियां वाकई दुखद और चिंताजनक हैं. इस मसले को लेकर पाक कभी भी सहज नही रहा, अपनी हीन भावना को छुपाने के लिये यही एक मात्र उपाय उनको सुझता है. आपने एक अहम मुद्दे पर विस्तृत रोशनी डाली है.
ReplyDeleteरामराम
हालांकि फिर भी यही कहेंगे कि अपने देश में अगर ये सब होता तो हमें अच्छा न लगता, बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना भी दुर्भाग्यपूर्ण था, इस संवेदना के कारण ही हम भारतवासी कहे जाते हैं। यही भारतीयता है।
ReplyDeleteसहमत हूं वर्षा जी, अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जन्मभूमि की इमारत का तोड़ा जाना हर बार गलत था।
Deleteदुखद। उस देश से उम्मीद मुझे तो नहीं :( वक़्त ही बतायेगा क्या होना है ऐसी असहिष्णुता का।
ReplyDeleteमैं एक वाकये का जिक्र करना चाहूँगा 'जिंदगी लाइव' टी.वी. शो पर आयी एक मेहमान ने बताया कि एक दंगे में उसके खानदान के १८ लोगों को उसकी आँखों के आगे क़त्ल कर दिया गया , उसके पति को जिन्दा जला दिया गया , उसकी तीनों बेटियों को बलात्कार करके उसी आग में फेंक दिया गया | उनमे से एक बच्ची महज ४ साल की थी |(मैं अमुक उदहारण में किसी धर्मविशेष , जातिविशेष या स्थानविशेष का नाम नहीं लेना चाहूँगा |)
ReplyDeleteमैं सिर्फ एक सवाल पूछना चाहूँगा कि क्या आपका धर्म आपकी इंसानियत से ऊपर है (वो चाहे जो भी धर्म हो |) ?
सादर