इस ब्लॉग का अंत, तुरंत!
जी नहीं, बात वह नहीं है जो आप नहीं समझ रहे हैं। अगर आप यह ब्लॉग पढते हैं तो आपको अच्छी तरह पता है कि, मुझे टंकी पर चढने का कोई शौक नहीं है। मैं तो चाहता हूँ कि मैं रोज़ लिखूँ, परिकल्पना वाले रोज़ मेरे लेखन को इनाम दें, विभिन्न चर्चा मंच इसे चर्चित करें, यार-दोस्त इसे फेसबुक पर मशहूर करें, सुमन जी "सुपर नाइस" की टिप्पणी दें, आदि, आदि। मगर मेरे चाहने से क्या होता है, वही होता है जो मंज़ूरे खुदा होता है।
... और खुदा को कुछ और ही मंज़ूर था। मुझे भी कहाँ पता था। वह तो भला हो फैमिली रेडियो का जो लगातार चीख-चीख कर यह कहता रहा। नहीं, उसने यह स्पष्ट नहीं कहा कि मैं लिखना बन्द कर दूँ। रेडियो ने तो यह भी स्पष्ट नहीं कहा कि लोग मेरे ब्लॉग को पढना और इसको प्रमोट करना रोकें। इस रेडियो ने इतना ही कहा है कि बाइबिल के वचन और गहन गणनाओं के अनुसार शनिवार 21 मई, 2011 को शाम 6 बजे संसार का अंत हो जायेगा।
फैमिलीरेडिओ की हिन्दी साइट |
संसार के खात्मे की बात पुरानी संस्कृतियों में गहराई तक धंसी हुई थी। तब का मानव महाशक्तिशाली प्रकृति को नाथना सीख नहीं पाया था। प्राकृतिक आपदाओं से जैसे-तैसे बचते-बचते शायद संसार के अचानक समापन की धारणा काफी बलवती हुई। फिर, विज्ञान की प्रगति के साथ-साथ ऐसे विचार सिर्फ कथा-कहानियों या छद्म-विज्ञान चलचित्रों तक ही सीमित रह गये।
अंतिम अंक |
तो भैया, जब हम ही नहीं रहेंगे तो जे बिलागिंग कैसे करैंगे?
[मेरे जैसे भोले भाले मित्रों के लिये डिस्क्लेमर: मई 21, 2011 को संसार के खात्मे की खबरें फैलाई जा रही हैं, मगर मेरा उन पर कोई विश्वास नहीं है। इस आलेख को एक व्यंग्य के रूप में लिख रहा हूँ। ]
मज़ेदार बात यह है कि प्रलय की प्रतीक्षा में बैठे फैमिली रेडियो की वैब साइट पर कॉपीराइट का नोटिस बरकरार है। क्या पता खुदा इरादा बदल ले और इन्हें अपनी किताबों के सर्वाधिकार के लिये दुनियावी अदालत में मुकद्दमा लडना पडा तो? हम तो आपसे पुनः मिलते हैं, इसी समय, इसी जगह, अगले दिन, अगले सप्ताह, हर रोज़!
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सम्बन्धित कडियाँ
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* अमरीकी अभियंता द्वारा प्रलय की गणना (अंग्रेज़ी में)
* फैमिली रेडियो (हिन्दी सहित अनेकों भाषाओं में)
* सीएनएन विडिओ क्लिप (यूट्यूब)
* Harold Camping Gets Doomsday Prediction Wrong
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अपडेट
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टिप्पणियों में आप लोगों के प्रश्नों के बाद मैने पता किया कि समय 6 बजे साँय, ईस्टर्न टाइम है (भारत में - 22 मई सुबह के 3:30) अर्थात इन लोगों का विश्वास है कि पिट्सबर्ग में 6 बजते ही यमराज जी अपना कार्यक्रम शुरू कर देंगे। भक्तजन तो उसी समय स्वर्ग पहुँचा दिये जायेंगे जबकि हम जैसे पापी 6 मास तक तडपेंगे और फिर 21 अक्टूबर में संसार का कम्प्लीट खात्मा होने पर शायद नरक में ट्रांसफर कर दिये जायेंगे।
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तो लीजिए, मेरे हाथ की आखिरी टिप्पणी भी रसीद कर लीजिए। ना जाने शाम के बाद फिर कभी...
ReplyDeleteछाने तो छाने बुरा इरादा moderation, - हमारा कमेन्ट तो नहीं छानेगा - और जजमेंट डे की बात है तो - कल इसी समय या तो यहाँ ब्लॉग पर मिलेंगे - नहीं तो खुदाया जी की अदालत में तो मिलेंगे ही ! फेमिली रेडिओ वाले अपने विश्वास की बात को प्रचारित कर रहे हैं - तो वे भी अपनी जगह तारीफ के ही पात्र हैं!!
ReplyDeleteतीन दिन से मेरी आँख फड़क रही थी समझ नहीं आ रहा था की क्या होने वाला है कल रात अचानक कही देखा दुनिया ख़त्म होने की तारीख तब याद आया की काहे मेरी आँखे फड़की जा रही है | रात से ही हॉलीवुड फिल्म २०१२ के सारे दृश्य आँखों के सामने घूम रहे है कल ही पति से कह दिया की कुछ हुआ तो फिल्म की हीरो की तरह गाड़ी भगाने का काम मै करुँगी उस समय मुझसे इस बात की जिद्द न करने लगना की मै गाड़ी चलाऊंगा | मेरी मानिये गाड़ी की चाभी साथ में रखिये और ड्राइविंग लाइसेंस भी, क्या करे कोई नाव पानी का जहाज तो हमारे पास है नहीं :))))) |
ReplyDeleteप्रलय भी अब बारिश की तरह आती है और चली जाती है।
ReplyDelete@ अंशुमाला जी,
ReplyDeleteगाडी की चाभी और लाइसेंस उस जहाँ में कहाँ काम आयेंगे?
:(
@shilpa mehta
ReplyDeleteखुदा की अदालत में मिल पाने की गारंटी नहीं है। प्रलय के नियमों के अनुसार पापी (मेरे जैसे मूर्तिपूजक आदि)नर्क में सडेंगे जबकि धर्मात्मा सदा के लिये स्वर्ग में रहेंगे। ये शायद दोनों कभी भी आपस में नहीं मिल सकेंगे।
जी - स्मार्ट इंडियन जी - बेचारी अंशुमाला जी तो उस दुनिया में पहुँचने से बचने के लिए गाडी भगाना चाह रही हैं - और आप तो ग्यारंटी दे रहे हैं उस जहान में पहुँचने की!! :( .... वैसे यदि सचमुच गाड़ी भगाने की स्थिति आई - तो कौन ट्राफिक पुलिस वाले लाइसेंस चेक करने रोकने वाले हैं - वे भी तो भाग रहे होंगे अपनी जान हथेली पर लेकर!
ReplyDelete@शिल्पा जी, वैसे भी गाडी जायेगी कहाँ तक, इतनी महंगाई के पेट्रोल में।
ReplyDelete@दिव्या जी, प्रलय वाकई बारिश की तरह आती जाती है आजकल - मुश्किलें इतनी पडीं मुझपे कि आसाँ हो गयीं ...
@ सिद्धार्थ जी, आपकी टिप्पणी अंटी में दबा ली है, न जाने परलोक के किस गेट पर किस गवाही की ज़रूरत पड जाये।
नाई नाई बाल कितने? जजमान सामने ही हैं। तो आ गया 21 मई।
ReplyDeleteहा-हा-हा
ReplyDeleteसिद्धार्थ जी की टिप्पणी पढकर हंसी आ गई। मैं भी वही चेप देता हूं ...
मेरे हाथ की आखिरी टिप्पणी भी स्वीकार कर लीजिए।
किताबों में लिखा हो कुछ भी - हम तो मानते हैं कि खुदाया बड़े रहमदिल हैं | जब हमारे माँ पिताजी ही बार -बार- बार- बार- बार- बार गलती करने पर भी दो घंटे से ज्यादा सजा नहीं देते -तो क्या परमपिता अनंत समय तक नरक में जलाएंगे ? आखिर हम भी बच्चे से कहते हैं - पढाई नहीं की- तो हमेशा के लिए खेलना बंद - तो क्या हमेशा के लिए बंद कर देते हैं? यह तो सिर्फ इसलिए कहते हैं कि सजा के डर से बच्चा वह करे जो उसके अपने लिए अच्छा है.... अब यह तो टिप्पणी के बजाय डिस्कशन हो चला है ... :))
ReplyDelete@शिल्पा जी, खुदा करे आपकी बात सही हो खुदा के बारे में।
ReplyDeleteजिनके पास कुछ है ..वे स्वार्थ वश प्रलय से डर रहे है , जिनके पास कुछ नहीं वे इसके स्वागत में बेचैन है ! यही जीवन की आपा - धापी है ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteखूदा के बन्दे खुदा कैसे हो गये!
ReplyDeleteअपनी माँद में ङी रहें तो बेहतर है!
achhi mouj li 'familiy radio'walon ki............
ReplyDeletepranam.
milte hai ek break ke baad...
ReplyDeleteअभी तो बस राम राम
ReplyDeleteबाकि की टिप्पणी २२ मई को करूँगा
बढ़िया रहा व्यंग्य....
ReplyDeleteपर इस तरह की भविष्यवाणी करनेवाले यह नहीं समझते कि बच्चों के कोमल दिल पर इसका कैसा असर होता है....एक ब्लोगर मित्र ने अपनी चिंता बांटी कि उनकी बेटी के मन के अंदर से यह भय निकल ही नहीं रहा....
अब तो इंतज़ार है..२२ मई का...कि ये भय उस बच्ची का साथ छोड़ दे.
जब आपको लोग सुनना बंद कर दें तो महाप्रलय की घंटी बजा दीजिये.
ReplyDelete@ शिल्पा जी
ReplyDeleteआज चारा तो मैंने खूब खा लिया है क्योकि प्रलय से बच गए तो ( हम तो बड़े आशावादी है और अभी जीने की काफी इच्छा है अपनी बिटिया के साथ जब फिल्म में इतना होने के बाद भी हीरो हिरोगिरी दिखाते हुए बच गया तो हम क्यों नहीं बचेंगे ) पता नहीं दुबारा कब खाने को मिले पता चला उसके बाद भूखे मर गए | और गाड़ी का इंतजाम इसलिए कहा की प्लेन की जरुरत ही नहीं है घर से बस बीस मिनट पर समन्दर है वह कोई नाव तो मिल ही जाएगी प्रलय से बचने के लिए | और अनुराग जी को लाइसेंस इसलिए कहा रखने के लिए की फिल्म टायटेनिक देखी है जहाज डूब रहा है और संगीत बजाने वाले उसे बजाये जा रहे है कहते है की हमारा कर्तव्य है छोड़ कर नहीं जायेंगे | वहा का क्या भरोषा जहा अनुराग जी रहते है कोई पुलिस वाला मिल ही जाये सिग्नल पर तो लाइसेंस उसके मुंह पर मार कर भागने का मौका तो रहेगा ना भारत में तो आप बिना प्रलय के भी बिना लाइसेंस के गाड़ी चला सकती है :))
@ अनुराग जी
हम मूर्ति पूजक नहीं है पर उस जहा में पहुंचे तो आप से मुलाकात तो मेरी भी नरक में ही होगी अपने कर्मो पर मुझे पूरा भरोषा है | वैसे मुझे तो लगता है की हरे ब्लोगर हमें वही पर मिलेंगे :))
जियो जब तक जिन्दगी है।
ReplyDeleteवैसे हर देश का टाइम फर्क होता हैं तो दुनिया एक दिन तो ख़तम होने से रही
ReplyDeleteवैसे पोस्ट का शीर्षक देख कर ये ही समझी थी की शायाद इस ब्लॉग की चलाचली की बेला हैं सो सोचा देखू गंगा जल कौन कौन डाल रहा हैं और
कंधा कौन कौन दे रहा हैं
वैसे जिस दिन प्रलय होगी हिंदी ब्लोग्गर कहीं बैठ कर पुरूस्कार ले रहे होगे
मै ज़िंदा हूं, मेरे यहाँ शाम के छह कब के बज गए ! सीडनी आस्ट्रेलिया से एक ज़िंदा मनुष्य !
ReplyDeleteयाने जीने के लिए सिर्फ एक घंटा ही शेह्स है...अब इस एक घंटे में ऐसा क्या कर लेंगे जो पिछले कई बरसों में नहीं कर पाए...जो होगा सो देखा जायेगा कहते हैं और मुस्कुरा लेते हैं...
ReplyDeleteनीरज
@ इस तरह की भविष्यवाणी करनेवाले यह नहीं समझते कि बच्चों के कोमल दिल पर इसका कैसा असर होता है....एक ब्लोगर मित्र ने अपनी चिंता बांटी कि उनकी बेटी के मन के अंदर से यह भय निकल ही नहीं रहा....
ReplyDeleteरश्मि जी,
यह लोग अपने स्वयम के ज्ञान के अभिमान में अन्धे लोग हैं जिन्हें किसी की सम्वेदना का ध्यान नहीं आता है। उनके बारे में लिखते समय भी मुझे नीचे डिस्क्लेमर लिखने का ख्याल इन्हीं बच्चों के कारण आया था। क्या विश्व के अन्य लेखक, विचारक भी काफी हद तक इसी प्रवक्ता की तरह अपने ज्ञान के मद में अन्धे नहीं हैं?
@आशीष श्रीवास्तव जी,
ReplyDeleteशुभकामनायें! हैरोल्ड कैम्पिंग कैलिफोर्निया के हैं। शायद उन्होने वहाँ के स्थानीय समय के 18:00 बजे की बात की होगी।
हे भगवान - इस हिसाब से तो अभी और १२ घंटे तक इंतज़ार करना है? आये दिन प्रलय की भविष्यवाणियाँ -वह भी निश्चित समय के साथ - नोर्मल इंसान के मन में प्रलय ला देती थी कभी - अब तो जोक बन गया है यह !! ये फेमिली रेडिओ वाले कम से कम अपना रेडिओ चैनल ही ख़त्म कर दें उस समय पर - तो काफी है | पर नहीं - अगले दिन फिर किसी कहानी के साथ शुरू हो जायेंगे ...
ReplyDeleteलो जी इंतजार करते रहे…………
ReplyDeleteअब यह पहली टिप्पणी।
यह आधा घंटा उपर, शायद नव-युग का प्रारम्भ!!
प्राकृतिक आपदाओं से जैसे-तैसे बचते-बचते शायद संसार के अचानक समापन की धारणा काफी बलवती हुई।
सत्य वचन!!!
@पोस्ट का शीर्षक देख कर ये ही समझी थी की शायाद इस ब्लॉग की चलाचली की बेला हैं सो सोचा देखू गंगा जल कौन कौन डाल रहा हैं और
ReplyDeleteकंधा कौन कौन दे रहा हैं
वो आयें मुझको ढूंढने, और मैं मिलूँ नहीं
ऐसी भी ज़िन्दगानी में तकदीर चाहिये ...
अब तो कल २२ को नई पोस्ट का इन्त्ज़ार रहेगा .
ReplyDeleteइस ब्लॉग की आखिरी पोस्ट.... शीर्षक ने हैरान कर दिया...यहाँ कुछ और ही पढ़ने को मिला....
ReplyDeleteअगर सच में आखिरी शाम है तो आखिरी सलाम टिप्पणी के जरिए दें ही दें..
बधाई, हम हीदेन लोगों का ब्लॉग अभी छ महीना और चलेगा। :)
ReplyDeleteयह रोक कर रखा था, सोचा प्रलय के बाद लिखूंगा।
ReplyDeleteहालांकि यहाँ बारिश हुई, आंधी आई, फिर भी जीव-जीवन सकुशल है।
@यह रोक कर रखा था, सोचा प्रलय के बाद लिखूंगा।
ReplyDeleteअविनाश भाई, ऐसा जुल्म क्यों करते हो? खुदा न खास्ता, अगर फैमिलीरेडिओ की खुदा के साथ इनसाइडर ट्रेडिंग होती और प्रलय सचमुच हो जाती तो हम तो आपके दर्शन को ही तरस जाते।
भारत में तो धूम धाम से शादी हो रही है। नई पीढ़ी के स्वागत की तैयारी...अभी कहाँ प्रलय! अभी तो अंधी आधुनिकता अपने पूरे जोशो खऱोश से दौड़ रही है। प्रलय से पहले ठहर जायेगी जिंदगी।
ReplyDeleteहम तो बैठे थे चुपचाप ...लिख कर फायदा क्या था ...प्रलय के बाद कौन पढता ....
ReplyDeleteनवीन युग की बधाई !
धर्म के ठेकेदारों की खूब पोल खोली है ! जब से पैदा हुए हैं पता नहीं कितनी बार प्रलय की घोषणाएं सुन चुके हैं ! जब बच्चे थे सहम जाया करते थे ! कुछ बड़े हुए तो कौतुहल होता था ! अब ये घोषणाएं केवल मनोरंजन का साधन बन गयी हैं ! बहुत ही दिलचस्प पोस्ट !
ReplyDeleteऊपर कैबिनेट की बैठक में दुनिया को खत्म करने का फैसला अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया...
ReplyDeleteदेवों का कहना है कि छह अरब से ऊपर मानव धरती से ऊपर आ गए तो पूरे परलोक का भी नर्क बनना तय है...इसलिए समस्त देवों के पुनर्वास के लिए जब तक कोई उपयु्क्त स्थान नहीं मिल जाता, दुनिया को खत्म करना कैंसिल...
जय हिंद...
सुप्रभात अनुराग जी, प्रलय के बाद का पहला दिन मुबारक हो...
ReplyDeleteलोग कुछ नहीं हुआ तो अब आपकी पोस्ट आखिरी नहीं रही ।
ReplyDeleteना पता था कि ये ठिकाना तुम्हारा हैं
ReplyDeleteवरना आना जाना लगा ही रहता
पोस्ट देखकर तो एकबारगी चौंक ही गयी थी ..
ReplyDeleteहमको तो छः महीने एक्स्ट्रा मिल रहे हैं
ReplyDeleteजिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठ
ReplyDeleteमैं बूढा आपुन डरा, रहा किनारे बैठ
जब तक जिंदगी है ... मौत के कयास लगते रहेंगे ...
ReplyDeleteजो लोग प्रलय की बातें करते हैं ... सच प्रलय आएगा तो सबसे ज्यादा हाय तौबा यही मनाएंगे ... मना भी रहे हैं ...
मन के भ्रम
ReplyDeleteजब कभी कभी
मन को भ्रमित करते हैं
मन के विश्वास
तब ही जीवन को
गति देते
........राहत हुई!
ReplyDeleteअजी आप लोगों का अनुराग ही था जिसने इस अनुराग को बचा लिया वर्ना संतों ने तो स्वर्ग भेजने की ठान ही ली थी।
ReplyDeleteहेडिंग देख कर तो दर ही गयी...... :) पोस्ट पढ़कर राहत मिली....
ReplyDeleteहे राम, अभी और जीना पड़ेगा। अच्छी खबरें अधिकतर अफ़वाह ही क्यों होती हैं?
ReplyDelete8 मई को रचित कविता और प्रभावी हो सकती थी, आपकी यह पोस्ट पड़ने के बाद लगा.....
ReplyDeleteपोस्ट का शीर्षक डराने वाला है....
"इस ब्लॉग की आखिरी पोस्ट?"
सब घबराहट नाहक है, धरती बड़ी नियामक है
इस इक्कीस क़यामत है,भ्रामक है अति भ्रामक है
पावन पुस्तक का आधार, लेकर उल्टा-पुल्टा सार
ऐसे खोजी को धिक्कार,करते भय का कटु-व्यापार,
गर इसपर विश्वास अपार, नहीं पंथ का दुष्प्रचार
करके पक्का सोच-विचार,खुद को ले जल्दी से मार
जो आनी सचमुच शामत है,इस 21 क़यामत है
भ्रामक है अति भ्रामक है, धरती बड़ी नियामक है
सर्दी इधर उधर बरसात, घटते दिन तो बढती रात
लावा से हो सत्यानाश, बढती फिर जीने की आस
तेल उगलती तपती रेत,बन जाते उपजाऊ खेत
करे संतुलित सारी चीज,अन्तर्निहित रखे हर बीज
पाप हमारे करती माफ़, बाधाओं को करती साफ़
सब घबराहट नाहक है, धरती बड़ी नियामक है
इस 21 क़यामत है, भ्रामक है अति भ्रामक है
रविकर जी,
ReplyDeleteआपकी कविता बहुत सुन्दर लग रही है। आप ब्लॉग पर भी अपडेट कर सकते हैं। इंटरनैट मीडिया पर सबसे बडा लाभ यही है कि जब चाहे अपडेट किया जा सकता है।
हो गया 21 मई का भंडाफोड़...
ReplyDeleteआपकी आवाज़ में "सुजान सांप" सुनी - गिरिजेश जी की कहानी | बहुत heart touching story है | अब यदि क़यामत हो गई होती - तो सांप भाई और सुजान भाई मिलते क्या?
ReplyDeleteआज २३ मई को भी दुनिया बची रह गयी | इस पोस्ट को पढ़ने का और टिपण्णी देने का अवसर मिल गया |
ReplyDeleteदो दिन बीत जाने के बात जब पूरी तरह इत्मिनान हो गया कि मैं जीवित हूँ और ये दुनिया वैसी ही बदसूरत है जैसी उस दिन थी जिस दिन आपने ये अंतिम पोस्ट लिखी थी तो लगा अब हाजिरी लाजिमी हो गयी है!!
ReplyDeleteवैसे उस रात जब बिजलियाँ कड़क रही थीं और बेतहाशा बारिश हो रही थी, मैं रात को साढ़े ग्यारह बजे अपनी गाड़ी में लौट रहा था, सामने एक ट्रक और गाड़ी की भिडंत हो रखी थी.. तब लगा कि शायद हो ही गया वो जिसे क़यामत कहते हैं..
चलो,यह भी बीत गया।
ReplyDeleteजान बची और लाखों पाए,
लैट के बुद्धू घर को आए।
बढ़िया व्यंग्य।