सप्ताहांत में पिट्सबर्ग का अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव देखने का अवसर मिला। यह उत्सव पिछले 54 वर्षों पिट्सबर्ग में होता रहा है। जिसमें विभिन्न देशों, और देशविहीन राष्ट्रीयताओं के लोग अपनी संस्कृति की जानकारी देते रहे हैं। देश, संस्कृति, वेश-भूषा और लोक कलाओं का परिचय देते हुए विभिन्न किओस्क, देश-विदेश की हस्तकलाओं की दुकानें, अंतर्राष्ट्रीय भोजन के स्टाल, बच्चों को लोककलायें सिखाने वाले बूथ और लोकसंगीत व लोकनृत्य के कार्यक्रम। प्रस्तुत हैं कुछ झलकियाँ, चित्रों के माध्यम से।
बुद्ध की मालायें, ॐ के चिह्न आदि भी मिले परंतु भारतीय बूथ पर नहीं बल्कि एक विनम्र चीनी महाशय की दुकान पर। हमने झट से लपक लिये। बच्चों के लिये काष्ठ के कुछ खिलौने भी लिये। और डाक टिकटों के बूथ पर मिलीं निशुल्क टिकटें और बहुमूल्य जानकारियाँ। वैसे मिले तो समोसे और भटूरे भी जो हमने श्रीमती जी की नज़र बचाकर गटक लिये।
"स्टैम्पमैन" जॉन का बूथ कई सालों से देख रहा हूँ। अपने सहयोगियों के साथ वे अपनी ओर से बच्चों को डाक टिकट, पुस्तिकायें और विभिन्न जानकारियाँ देते हैं। उनके उत्साह को देखकर उनकी आयु का अन्दाज़ लगाना कठिन है।
विचार शून्य की मांग और मोसम की धमकी के बाद जोडे गये चित्र:
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
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भारतीय दल की प्रस्तुति |
सोनिया महाजन का नृत्य दल |
भारत और नेपाल के ध्वज |
हमने क्या इकट्ठा किया |
"स्टैम्पमैन" जॉन |
मेरा भारत महान |
विचार शून्य की मांग और मोसम की धमकी के बाद जोडे गये चित्र:
कालेधन के अलावा भी बहुत कुछ है स्विट्ज़र्लैंड में |
लिथुआनिया की पारम्परिक वेश-भूषा |
बल्गैरिया |
कंस के कारागार में बालगोपाल कृष्ण कन्हैया |
चीन का बूथ |
विएतनाम की कलाकृतियाँ |
भारत से एक और नृत्य प्रदर्शन - नन्दिनी मण्डल की छात्रायें |
फिलिपींस का एक प्रदर्शन |
फिलिपींस का मण्डप |
सीरिया |
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
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ऐसे आयोजनों में मजा बहुत आता है. मुझे तो तस्वीरें बहुत कल लगी. ज्यादा होनी चाहिए. कंजूसी कर रहे हैं क्या? कहीं अमेरिका में भी पेट्रोल के दाम तो बढ़ नहीं गए.
ReplyDeleteहमारी संस्कृति की झलक जहाँ भी मिले हृदय गौरव अनुभव करता है।
ReplyDeleteआप गौरवमयी प्रस्तुति का कोई अवसर नहीं चुकते!!
शुभकामनाएँ
पाण्डेय जी का बिना शर्त समर्थन(जैसे कांग्रेस करेगी ममता दी का)। मांगें न मानी गईं तो मिसेज़ शर्मा तक आपके भ्रष्टाचार सॉरी भटूराचार की खबर वाया विकीलीक्स पहुंचा दी जाएगी।
ReplyDeleteभारतीय दल को कोई ईनाम शिनाम मिला कि नहीं? आपके एक्स शाखा प्रबंधक याद आ गये, ’मन्नै के मिलैगा?’
सुंदर पोस्ट .... ऐसे आयोजनों में अगर कुछ हिदुस्तानी दिख जाये सच बड़ा अच्छा लगता है.... सारे फोटो बढ़िया हैं ....
ReplyDeleteअच्छा लगा फोटो देखकर
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्र हैं .. हमारे साथ साझा करने के लिए शुक्रिया !!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर तस्वीरें हैं....कई देशों की झलकियाँ देख अच्छा लगा...
ReplyDeleteऔर भारतीय नृत्य के तो क्या कहने....बहुत ही ग्रेसफुल लग रहे हैं...
एक सम्पूर्ण लोक महोत्सव -वसुधैव कुटुम्बकम को साकार करते हुए
ReplyDeleteआपने बहुत कुछ झटका गटका:)
चित्रहार,
ReplyDeleteभारत का प्यार।
सुन्दर प्रस्तुति,अनुपम चित्र
ReplyDeleteसच में आनंद आ गया अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव के बारे मन जानकर.
आप अपनी श्रीमतीजी की आँख बचाकर समोसों और भटूरों पर हाथ साफ़ कर पाए,यह तो कमाल कर दिया. उनको भी चखवाये की नहीं?
भारत तो देखते ही हैं; ये स्टैम्पमैन जॉन और लिथुआनियाई महिला की पोशाक बहुत जमे।
ReplyDeleteजॉन साहब की उम्र क्या होगी भला? मुस्कान तो बच्चों वाली है।
इतनी सुन्दर चित्रमयी प्रस्तुति के लिए आभार ... अच्छा लगा भारत की प्रस्तुति के चित्र देखकर
ReplyDeleteपूरा आयोजन आपके चित्रों के माध्यम से देख लिया अनुराग जी ... भारत की झाँकियाँ भी मस्त हैं ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर फोटो हैं.बल्गैरिया लिथुआनिया की पारम्परिक वेश-भूषा बहुत भली लगी.
ReplyDeleteघुघूती बासूती
गर्व की बात है !
ReplyDeleteॐ के चिन्ह आदि भी मिले परंतु भारतीय बूथ पर नहीं,बल्कि एक विनम्र चीनी महाशय की दुकान पर..
ReplyDeletebhartiya booth par kya mila?? shayad tathakathit dharm-nirpekshata ke jhande.
blog ki khubsurat film fhir dekhta hun.
aankhon ko badi bhali lagin.
mere bhoudhik star me sudhaar ho raha hai, sachmuch.
एक पोस्ट में विश्व दर्शन..
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्र, भारत के चित्र सब से अच्छॆ लगे फ़िर मेरे पडोसी देश के बाकी सभी चित्र भी मस्त लगे, कितने समोसे खाये ओर कितने भटरे यह क्यो नही लिखा;) ओर आंख बचा कर क्यो खाये? क्या अकेले ही खाये ओर बीबी जी को भुखे ही घुमाया :)ना ना जी यह गलत बात हे, बीयर भी जरुर पी होगी फ़िर तो
ReplyDeleteआकर्षक, नयनाभिराम, मनमोहक, आनन्ददायक। आपके परिश्रम को नमन। आपने तो घर बैठे पूरा समारोह दिखा दिया।
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteसभ्यता जहां सबसे पहले आई ....दुनियां को गिनती सिखाई ....आगे बढ़ा ओर बढ़ता ही गया ...वो भारत देश है मेरा ......................बहुत बहुत शानदार पोस्ट
ReplyDelete@जॉन साहब की उम्र क्या होगी भला? मुस्कान तो बच्चों वाली है।
ReplyDeleteपाण्डेय जी, श्री जॉन रोज़ आजकल 86 वर्ष के हैं।
मन खुशी से दूर देश में अपना सा है कुछ कुछ तिरंगा, माला और आप...
ReplyDeleteबहुत बढिया. बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढिया. बधाई।
ReplyDeleteबढ़िया, स्वीटजरलैंड में सच में बहुत कुछ है :)
ReplyDeleteदेर से पहुंचा, धन्यवाद. रोचक, शामिल होने को मन करे ऐसा.
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