तकनीक भी क्या कमाल की चीज़ है। यह आधुनिक तकनीक का ही कमाल है कि आजकल लगभग हर रोज़ ही मेरी भेंट श्री ज्ञानदत्त पाण्डेय से होती है। वे अपनी सुबह की सैर पर माँ गंगा के दर्शन करते हैं और लगभग उसी समय मैं अमेरिका के किसी भाग में अपनी शाम की सैर पर पैतृक सम्पत्ति में से बचे अपने एकमात्र खेत को दो भागों में बांटती अरिल नदी को मिस कर रहा होता हूँ।
जब यह बात मैंने उन्हें कही तो उन्होंने मुझे अपनी सैर के बारे में लिखने को कहा। ब्लॉगिंग के दौरान ही थोडा बहुत पढकर उन्हें जाना है। वे अनुशासित व्यक्ति दिखते हैं। नियमित रूप से प्रातः भ्रमण करने वाले। गंगा की सफाई से लेकर ज़रूरतमन्दों में कम्बल बांटने तक के बहुत से काम भी करते रहे हैं वे। ब्लॉग पोस्ट भी प्रातः निश्चित समय पर आती है। अपना हिसाब एकदम उलट है। मैंने जीवन में बहुत तरह के काम किये हैं। इतनी तरह के कि बहुत से लोग शायद विश्वास भी न करें। मगर मैं कभी भी सातत्य रख नहीं सका। कितने नगर, निवास, विषय, व्यवसाय, प्रयास, कौशल, कभी किसी चीज़ को पकड के रख नहीं सका। [या शायद मुझे इनमें कुछ भी बान्ध नहीं सका]
मुझे पता है कि मेरी सैर भी मेरे एकाध अन्य मिस-ऐडवेंचर्स की तरह कुछ दिनों तक ही नियमित रहने वाली है। सो सैर पर नियमित तो नहीं परंतु अनियमित सैरों के बीच हुई कुछ मुठभेडों की सचित्र झलकियाँ देता रहूंगा। कैमरा सदा साथ नहीं होता है इसलिये कुछ चित्र फोन से भी आते-जाते रहेंगे।
आज चित्रों के माध्यम से मुलाकात करते हैं कुछ तितलियों से। क्लिक करके सभी चित्रों को बडा किया जा सकता है।
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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इस्पात नगरी से - अन्य कड़ियाँ
सम्राट पतंगम - इस्पात नगरी से
जब यह बात मैंने उन्हें कही तो उन्होंने मुझे अपनी सैर के बारे में लिखने को कहा। ब्लॉगिंग के दौरान ही थोडा बहुत पढकर उन्हें जाना है। वे अनुशासित व्यक्ति दिखते हैं। नियमित रूप से प्रातः भ्रमण करने वाले। गंगा की सफाई से लेकर ज़रूरतमन्दों में कम्बल बांटने तक के बहुत से काम भी करते रहे हैं वे। ब्लॉग पोस्ट भी प्रातः निश्चित समय पर आती है। अपना हिसाब एकदम उलट है। मैंने जीवन में बहुत तरह के काम किये हैं। इतनी तरह के कि बहुत से लोग शायद विश्वास भी न करें। मगर मैं कभी भी सातत्य रख नहीं सका। कितने नगर, निवास, विषय, व्यवसाय, प्रयास, कौशल, कभी किसी चीज़ को पकड के रख नहीं सका। [या शायद मुझे इनमें कुछ भी बान्ध नहीं सका]
मुझे पता है कि मेरी सैर भी मेरे एकाध अन्य मिस-ऐडवेंचर्स की तरह कुछ दिनों तक ही नियमित रहने वाली है। सो सैर पर नियमित तो नहीं परंतु अनियमित सैरों के बीच हुई कुछ मुठभेडों की सचित्र झलकियाँ देता रहूंगा। कैमरा सदा साथ नहीं होता है इसलिये कुछ चित्र फोन से भी आते-जाते रहेंगे।
आज चित्रों के माध्यम से मुलाकात करते हैं कुछ तितलियों से। क्लिक करके सभी चित्रों को बडा किया जा सकता है।
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]
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दुआ करेंगे की आपकी सैर नियमित रहे , ये दुर्लभ और खूबसूरत नज़ारे बार -बार नजर आयें !
ReplyDelete" कुछ लोग साडी जिंदगी एक ही काम करते हैं , तो कुछ लोग एक ही जिंदगी में सारे काम कर डालते हैं "...तुस्सी तो ग्रेट हो :)
मुझे पता है कि मेरी सैर भी मेरे एकाध अन्य मिस-ऐडवेंचर्स की तरह कुछ दिनों तक ही नियमित रहने वाली है। सो सैर पर नियमित तो नहीं परंतु अनियमित सैरों के बीच हुई कुछ मुठभेडों की सचित्र झलकियाँ देता रहूंगा। कैमरा सदा........
ReplyDeleteसर जी,आप तो स्मार्ट इंडियन हैं,स्मार्ट रहने के
लिए जो जो गुर हैं वे सब तो आपको आते ही है.
फिर कभी कभी आप रामपुरिया भी दिखा ही देतें हैं.
अबकी बार आपने कैमरे की जादूगरी दिखा के दिल जीत लिया.वासिंगटन डी.सी. में बटरफ्लाई म्युजियम की याद दिला दी आपने.
मेरे ब्लॉग पर आपको 'सरयू' स्नान का निमंत्रण है.देर न लगाईयेगा.
वाणी जी की टीप में से शब्द उधार लूँ?
ReplyDeleteमनमोहक चित्र!
आशा है कि और आयेंगे, और-और आयेंगे ऐसे चित्र।
सैर का शौक बहुत रहा है, लेकिन चित्र नहीं खींचे कभी। कभी कर पाया तो प्रेरणा में आपके ऐसे चित्र भी होंगे, इसमें कोई दो राय नहीं।
सादर।
परिवर्तन ही जीवन है, इसलिए विविध कार्य करना नए-नए अनुभवों से गुजरना होता है। फोटोग्राफी शानदार है, खूबसूरत तितलियां, वाह क्या कहने?
ReplyDeleteसुंदर चित्र।
ReplyDeleteदोनों पोस्टों के चित्र ,विषय विवेचन पूर्वी भाव विह्वलता और पश्चिमी वस्तुनिष्टता का भी वैषम्य भी उजागर करते हैं !
ReplyDeleteखुशकिस्मत है आप जो आसपास तितलिया है ...यहाँ गुडगाँव में ना बाग़ बचे ना फूल और ना तितलिया ...यूँही बाटते रहिये
ReplyDeleteअब देखिये - तितलियाँ तो वहां की भी वैसी ही हैं - जैसी यहाँ भारत में होती हैं - और इन तितलियों को भी अभी तक शायद कोई चीज़ बाँध नहीं पायी है .... :)) .... { कोई इसमें करेक्शन करे इससे पहले स्पष्ट कर दूं - मैं मन के बंधने की बात कर रही हूँ - शारीरिक रूप से तो हम मनुष्य हर प्राणी को बांधने के रास्ते खोज ही लेते हैं :(( .... } वैसे - आपको किसी 1 चीज़ ने ज़रूर बाँध रखा है - अच्छे साहित्य ने - ठीक कहा मैंने ? :)) ....
ReplyDeleteअनुराग जी,
ReplyDeleteज्ञानदत्त जी के कार्यों को जान अच्छा लगा।
कार्य सम्पादन नियमितता में चंचलता का मेल बिठाया खूबसूरत चंचल तितलियों को कैमरे में बांध कर।
दुर्लभ और खूबसूरत नज़ारे-------
ReplyDeleteदीखते हैं मुझे दृश्य सब मनोहारी
कुसुम कलिकाओं से सुगंध तेरी आती है
कोकिला की कूक में भी स्वर की सुधा सुन्दर
प्यार की मधुर टेर सारिका सुनाती है
देखूं शशि छबि या निहारूं अंशु सूर्य के -
रंग छटा उसमे तेरी ही दिखाती है
कमनीय कंज कलिका विहस 'रविकर'
तेरे रूप-धूप का सुयश फैलाती है
कम से कम तितलियों को देख कर लगता है भारत और अमेरिका में अधिक अंतर नहीं है...रोचक पोस्ट और सुन्दर चित्र...
ReplyDeleteनीरज
सुंदर चित्र।...
ReplyDeleteइन खूबसूरत चित्रों की खातिर सैर नियमित कर ही लीजिए.
ReplyDeleteतितली मन बहलाए खुश हूँ
ReplyDeleteभौरां मद्धिम गाये खुश हूँ
दिग-दिगंत बौराया खुश हूँ
मादक-बसंत आया खुश हूँ
तोते सदा पुकारे खुश हूँ
पर मैना दुत्कारे, खुश हूँ
काली कोयल कूके खुश हूँ
लोग होलिका फूंके खुश हूँ
सरसों पीली फूली खुश हूँ
शीत बची मामूली खुश हूँ
भाग्य हमारे जागे खुश हूँ
दुःख-दारिद्र, भागे खुश हूँ
इतनी सारी तितलियाँ ढूँढना भी आसान कार्य नहीं होगा ! चित्र अच्छे लगे ...
ReplyDeleteस्मार्ट तितलीज़ हैं जी:)
ReplyDeleteस्मार्ट तितलीज़ हैं जी:)
ReplyDeleteसंजय @ मो सम कौन,
ReplyDeleteतितलीज़ तो बाय गॉड, सदा से स्मार्ट ही होती हैं।
रविकर भाई, आपकी काव्यमयी टिप्पणियों ने तितलोयों की खूबसूरती में चार चान्द लगा दिये।
ReplyDeleteवाह...आनंद आ गया....बहुत बहुत आभार...
ReplyDeleteईश्वर की चित्रकारी मुग्ध और विभोर कर देती है...
मेरी भी न जाने कितने ब्लॉगरों और उनकी विधाओं से परिचय हो जाता है, बड़े सुन्दर चित्र।
ReplyDeleteतितलीज़ स्मार्ट च क्यूट हैं.:)
ReplyDeleteसचित्र सुन्दर ..रंग बिरंगी तितलिया !
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....मनमोहक चित्र ....
ReplyDeleteमेरी मंडावली में तो अब चारों और मकान ही मकान या फिर आइ पी एक्सटेंशन की ऊँचीं इमारतें हैं जिनमे दूसरी तितलियाँ ही दिखाई पड़ती हैं. वैसे भी अपने इलाके में मुझे सादी पीली तितली और मोनार्क तितली ही नज़र आयी हैं. ऐसी जगहों पर प्रातः या सायं भ्रमण करना जहाँ इतनी ज्यादा अलग अलग प्रकार की तितलियाँ हों भाग्यशाली लोगों के बस में ही है. मैं भी अपने बेटे और बेटी के साथ रोज श्याम को नजदीक के पार्क में जाता हूँ और लगभग नौ बजे तक वापस लौटता हूँ. मुझे तितलियाँ क्या मोथ भी नहीं दिखते. हाँ पिछले तीन दिनों से एक कोए को जरुर देख रहा हूँ जो मरकरी लाइट में कीड़े मकोड़ों का शिकार कर रहा होता है. क्या कोए रात में भी शिकार करते हैं? वो भी कीड़े मकोड़ों का !
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत तस्वीरें....
ReplyDeleteआप अनियमित भी रहें...कोई बात नहीं....बस तस्वीरों से रु ब रु करवाते रहें.
जब नजारा इतना सुन्दर हो तो सैर का अपना ही आन्नद है शारीर के साथ मन भी स्वस्थ हो जाये |
ReplyDeleteऑंखें झपकने को जी नहीं करता इन तितलियों को देख-देख कर। मेरे अव्यक्त आनन्द की कल्पना ही की जा सकती है।
ReplyDeleteधन्यवाद तो आपको ही किन्तु मुझे मिले इस सुख का पुण्य तो निश्चय ही ज्ञानजी के चााते में जमा होगा।
ऐसा ही करतें रहिएगा।
स्मार्ट लोग स्मार्ट कार्य करते है ग्रेट!
ReplyDeletebahut sunder pictures .
ReplyDeletehamara shahar Bangalore garden city kahlata hai lekin butterfly aaj kahee nahee dikhtee .
Apne grandchild ko butterfly dikhane butterfly house jana pada jo banargatta ka ek extention hai
kaid titliya ye vidambana hee to hai ......ye hakeekat hai...
जानकारी भरी पोस्ट और सुंदर चित्र ..!
ReplyDeleteतितलियां तो सुन्दर हैं, पर इतने सुन्दर मॉथ आपने कहां से अनुराग जी!
ReplyDeleteजो व्यक्ति इतना सौन्दर्य बोध रखता है, उसे सातत्य न होने का मलाल होना ही नहीं चहिये। कतई नहीं!
बहुत खूबसूरत हैं तितलियाँ
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