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Sunday, September 28, 2014

सम्राट पतङ्गम [इस्पात नगरी से - 69]


एक हिन्दी कहावत है,"खाली दिमाग शैतान का घर"। कुछ दिमाग इसलिए खाली होते हैं कि उनके पास फुर्सत खूब होती है लेकिन कुछ इसलिए भी खाली होते हैं कि वे पुराने काम कर कर के जल्दी ही बोर हो जाते हैं और इसलिए कुछ नया, कुछ रोचक करने की सोचते हैं। कोई एवरेस्ट जैसी कठिन चोटियों पर चढ़ जाता है तो कोई बड़े मरुस्थल को अकेले पार करने निकल पड़ता है। उत्तरी-दक्षिणी ध्रुव अभियान हों या अन्तरिक्ष में हमारे चंद्रयान और मंगलयान जैसे अभियान, ये मानव की ज्ञान-पिपासा और जिजीविषा के साथ उसकी संकल्प शक्ति के भी प्रतीक हैं। बड़े लोगों के काम भी बड़े होते हैं, लेकिन सब लोग बड़े तो नहीं हो सकते न। तो उनके लिए इस संसार में छोटे-छोटे कामों की कमी नहीं है।

प्यूपा से तितली बनाते देखना भी एक ऐसा ही सरल परंतु रोचक काम है जो कि हमने पिछले दिनों किया। यह प्यूपा था एक मोनार्क बटरफ्लाई का जिसे हम सुविधा के लिए हिन्दी में सम्राट पतंग या सम्राट तितली कह सकते हैं। सम्राट तितली के गर्भाधान का समय वसंत ऋतु है। गर्मी के मौसम में अन्य चपल तितलियों के बीच अमेरिका और कैनेडा से मेक्सिको जाती हुई ये सम्राट तितलियाँ अपने बड़े आकार और तेज़ गति का कारण दूर से ही नज़र आ जाती हैं।

तितली और पतंगे कीट वर्ग के एक ही परिवार (order: Lepidoptera) के अंग हैं और उनकी जीवन प्रक्रिया भी मिलती-जुलती है। तितली का जीवनकाल उसकी जाति के अनुसार एक सप्ताह से लेकर एक वर्ष तक होता है।

तितली के अंडे गोंद जैसे पदार्थ की सहायता से पत्तों से चिपके रहते हैं। कुछ सप्ताह में अंडे से लार्वा (larvae या caterpillars) बन जाता है जो सामान्य रेंगने वाले कीटों जैसा होता है। लार्वा जमकर खाता है और समय आने पर प्यूपा (pupa) में बदल जाता है। प्यूपा बनाने की प्रक्रिया पतंगों में भी होती है। प्यूपा एक खोल में बंद होता है। पतंगे के प्यूपा के खोल को ककून (cocoon) तथा तितली के प्यूपा के खोल को क्राइसेलिस (chrysalis) कहते हैं। ज्ञातव्य है कि ककून से रेशम बनता है। क्राइसेलिस का ऐसा कोई उपयोग नहीं मिलता। क्राइसेलिस भी गोंद जैसे प्राकृतिक पदार्थ द्वारा अपने मेजबान पौधे से चिपका रहता है।

अब आता है तितली के जीवन-चक्र का सबसे रोचक भाग, जब क्राइसेलिस में बंद प्यूपा एक खूबसूरत तितली में बदलता है। प्यूपा के रूपान्तरण की इस जादुई प्रक्रिया को मेटमोर्फ़ोसिस (metamorphosis) कहते हैं। रूपान्तरण काल में प्यूपा अपने खोल में बंद होता है। इसी अवस्था  में प्यूपा के पंख उग आते हैं और तेज़ी से बढ़ते रहते हैं। भगवा और काले रंग के पंखों वाली खूबसूरत सम्राट तितली पिट्सबर्ग जैसे नगर से हजारों मील दूर मेक्सिको की मिचोआकन (Michoacán) पहाड़ियों में स्थित अपने मूल निवास तक हर साल पहुँचती हैं। सामान्यतः नवंबर से मार्च तक ये तितलियां मेक्सिको में रहती हैं। और उसके बाद थोड़ा-थोड़ा करके फिर से उत्तर की ओर हजारों मील तक अमेरिका और दक्षिण कैनेडा तक बढ़ आती हैं।

सम्राट तितलियाँ शक्तिशाली होती हैं। अधिकांश तितलियों की तरह उनके चारों पंख भी एक दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। लेकिन इनके पंख सामान्य तितलियों की तरह छूने से झड़ जाने वाले नाज़ुक नहीं होते हैं।

ऐसा समझा जाता है कि सम्राट तितलियों में धरती के चुंबकीय क्षेत्र और सूर्य की स्थिति की सहायता से मार्गदर्शन के क्षमता होती हैं। हजारों मील की दूरी सुरक्षित तय करने वाली सम्राट तितलियाँ जहरीली भी होती हैं। विषाक्तता उनमें पाये जाने वाले कार्डिनेलाइड एग्लीकॉन्स रसायनों के कारण है जो इनकी पाचनक्रिया में भी सहायक होते हैं। इस विष के कारण वे कीटों और चिड़ियों का शिकार बनाने से बच पाती हैं।  ये तितलियाँ काफी ऊँचाई पर उड़ सकती हैं और ऊर्जा संरक्षण के लिए गर्म हवाओं (jet streams) की सहायता लेती हैं।

सम्राट तितलियों का अभयारण्य (Monarch Butterfly Biosphere Reserve) एक विश्व विरासत स्थल है जहां का अधिकतम तापमान 22° सेन्टीग्रेड (71° फहरनहाइट) तक जाता है। राजधानी मेक्सिको नगर से 100 किलोमीटर उत्तरपूर्व स्थित यह क्षेत्र मेक्सिको देश का सबसे ऊँचा भाग है।

थोड़ा ढूँढने पर यूट्यूब पर एक वीडियो मिला जिसमें यह पूरी प्रक्रिया बड़ी सुघड़ता से कैमरा में कैद की गई है, आनंद लीजिये:


[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]
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तितलियाँ

Monday, May 23, 2011

तितलियाँ [इस्पात नगरी से - 40]

तकनीक भी क्या कमाल की चीज़ है। यह आधुनिक तकनीक का ही कमाल है कि आजकल लगभग हर रोज़ ही मेरी भेंट श्री ज्ञानदत्त पाण्डेय से होती है। वे अपनी सुबह की सैर पर माँ गंगा के दर्शन करते हैं और लगभग उसी समय मैं अमेरिका के किसी भाग में अपनी शाम की सैर पर पैतृक सम्पत्ति में से बचे अपने एकमात्र खेत को दो भागों में बांटती अरिल नदी को मिस कर रहा होता हूँ।

जब यह बात मैंने उन्हें कही तो उन्होंने मुझे अपनी सैर के बारे में लिखने को कहा। ब्लॉगिंग के दौरान ही थोडा बहुत पढकर उन्हें जाना है। वे अनुशासित व्यक्ति दिखते हैं। नियमित रूप से प्रातः भ्रमण करने वाले। गंगा की सफाई से लेकर ज़रूरतमन्दों में कम्बल बांटने तक के बहुत से काम भी करते रहे हैं वे। ब्लॉग पोस्ट भी प्रातः निश्चित समय पर आती है। अपना हिसाब एकदम उलट है। मैंने जीवन में बहुत तरह के काम किये हैं। इतनी तरह के कि बहुत से लोग शायद विश्वास भी न करें। मगर मैं कभी भी सातत्य रख नहीं सका। कितने नगर, निवास, विषय, व्यवसाय, प्रयास, कौशल, कभी किसी चीज़ को पकड के रख नहीं सका। [या शायद मुझे इनमें कुछ भी बान्ध नहीं सका]

मुझे पता है कि मेरी सैर भी मेरे एकाध अन्य मिस-ऐडवेंचर्स की तरह कुछ दिनों तक ही नियमित रहने वाली है। सो सैर पर नियमित तो नहीं परंतु अनियमित सैरों के बीच हुई कुछ मुठभेडों की सचित्र झलकियाँ देता रहूंगा। कैमरा सदा साथ नहीं होता है इसलिये कुछ चित्र फोन से भी आते-जाते रहेंगे।

आज चित्रों के माध्यम से मुलाकात करते हैं कुछ तितलियों से। क्लिक करके सभी चित्रों को बडा किया जा सकता है।










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[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]

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