खबर आई कि केसर (Saffron, ज़ाफ़रान) की खेती की पहचान बनाने के उद्देश्य से आज 29 अक्तूबर 2013 मंगलवार को विस्सु, जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित केसर मेला धूमधाम से शुरू हुआ है। केसर उगाने वाले किसान और बड़ी संख्या में पर्यटक भी उपस्थित थे।
अगस्त के महीने में थैले में बंधी हुई गाँठें आ गईं। बाहर बाग में लग भी गईं। कुछ ही दिन में उनमें घास जैसे पत्ते भी आ गए। लेकिन उस साल बहुत बर्फ पड़ने के कारण पौधे बर्फ से ढँके रहे। चूंकि गाँठें हर वर्ष नई हो जाती हैं इसलिए केसर के फूलों की आशा को अगले वर्ष पर टाल दिया गया। लेकिन उस साल जब कुछ नहीं उगा तो अगले साल नई गाँठें लाकर उन्हें घर के अंदर गमलों में उगाया। कुछ फूल आए तो साहस बढ़ा।
सीजन पूरा होने पर मैंने गमले खाली करके गाँठों को ज़मीन में प्रतिरोपित कर दिया और भूल गया। पिछले हफ्ते यूँ ही घास के बीच नीले फूल पर नज़र गई। अरे वाह, यह तो केसर ही लग रहा है।
यह प्रयोग सफल होने के बाद मैंने अधिक मात्रा में केसर कंद मंगाए और खुद लगाने के अलावा 50 से अधिक कंद व गमले में लगे पौधे अपने मित्रों, पड़ोसियों, व सहकर्मियों में बाँटे जिनमें से चार-पाँच ने उनके पुष्पित होने की सूचना भी दी।
[आलेख व चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]
* कश्मीर का केसर
डेढ़ सौ से अधिक सुगन्धित रसायनों से भरा केसर संसार के सबसे महंगे मसालों में से एक है। इसका स्वाद मुझे कोई ख़ास पसंद नहीं लेकिन कुछ साल पहले यूँ ही मन में आया कि पिट्सबर्ग की जलवायु इसे उगाने के अनुकूल होने का लाभ उठाया जाए। बोने के लिए खोज शुरू की गयी और फिर एक ऑनलाइन स्टोर से केसर की गांठें (bulbs) मंगाई गईं।
अगस्त के महीने में थैले में बंधी हुई गाँठें आ गईं। बाहर बाग में लग भी गईं। कुछ ही दिन में उनमें घास जैसे पत्ते भी आ गए। लेकिन उस साल बहुत बर्फ पड़ने के कारण पौधे बर्फ से ढँके रहे। चूंकि गाँठें हर वर्ष नई हो जाती हैं इसलिए केसर के फूलों की आशा को अगले वर्ष पर टाल दिया गया। लेकिन उस साल जब कुछ नहीं उगा तो अगले साल नई गाँठें लाकर उन्हें घर के अंदर गमलों में उगाया। कुछ फूल आए तो साहस बढ़ा।
तरह तरह के गमले, तरह तरह के फूल
एक-एक करके कुछ फूल आ गए हैं। तीन तो खिल भी चुके हैं। एक दो दिन खिलकर मुरझा जाएंगे। तब तक केसर की खुशबू और सौन्दर्य का आनंद ले रहा हूँ।
नीली पंखुड़ियों के अंदर लंबे वाले गहरे लाल तन्तु ही केसर हैं, संसार का सबसे महंगा मसाला।
यह प्रयोग सफल होने के बाद मैंने अधिक मात्रा में केसर कंद मंगाए और खुद लगाने के अलावा 50 से अधिक कंद व गमले में लगे पौधे अपने मित्रों, पड़ोसियों, व सहकर्मियों में बाँटे जिनमें से चार-पाँच ने उनके पुष्पित होने की सूचना भी दी।
[आलेख व चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]
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* कश्मीर का केसर
सुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
यहाँ केसर के नाम पर बहुत से दुकानों में नकली केसर मिलता है इसलिए मै हमेशा खीर वगैरे मीठे जिसमे केसर डाला जाता है ओरिजनल रंग में ही रहने देती हूँ पसंद भी कम ही करती हूँ इसे ! केसर के पौधे संबंधी यह विशेष जानकारी बहुत अच्छी लगी !
ReplyDeleteवाह, कुछ और मँगा लें और आप भी उत्पादक देश बन जायें।
ReplyDeleteदुबई में इरान से आने वाला केसर ख़ासा मंहगा ओर उत्तम क्वालिटी का माना जाता है .... धीरे धीरे अपना देश भी जाग रहा है ऐसे विषयों में ...
ReplyDeleteफोटो बहुत सुन्दर लिए हैं आपने ...
Its leaves are looking like coriander leaves ... in pic that is second from last .
ReplyDeleteThose coriander like leaves are from a weed growing in the neighborhood. The saffron leaves are like onion or grass leaves.
Deleteसुंदर चित्र एवं जानकारी ...!!
ReplyDeleteAwesome. I never knew we can grow kesar at home. You are absolutely right....it's a special fun. I am also going to try. Thanks Anurag ji.
ReplyDeleteक्या बात है बहुत ही सुन्दर...मन खुश हो गया बागवानी के ऐसे कार्य देख कर। एक अलग आनन्द है प्रकृति के बीच यूं प्रयोग करते रहना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारी ...................
ReplyDeleteयह तो अनूठा काम किया , आपके धैर्य को बधाई अनुराग भाई !!
ReplyDeleteअदभुद नजारा. वैसे हमारे यहां भी आसपास में कुछ किसानों ने केशर की फ़सल लेने में सफ़लता पाई है. वैसे यह गांठे मिलेगी कहां पर?
ReplyDeleteरामराम.
अमेरिका में तो अमेज़न जैसे ऑनलाइन स्टोर्स व विशिष्ट बीज तथा पौधे बेचने वाली दुकानों पर मिल जाता है. भारत में भी विशिष्ट नर्सरी या बीज विक्रेता, खासकर जम्मू-कश्मीर या अन्य पहाडी राज्यों में मिलने की संभावना है.
Deleteबहुत रोचक चित्रमय प्रस्तुति....
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteघर के अंदर उगने वाली चीज बताइए। आइकिया के गमले के अलावा :)
ज़मीन की सतह पर रहने वाले स्ट्राबेरी के पौधे, गमलों के लिए आदर्श हैं।
Deleteआपके सौजन्य से केशर के फूल को पहली बार देखा -यह पुष्प का नर अंग है -मजे की बात है कि फूल के नर अंग को हिंदी में पुंकेसर ही कहते हैं,अंगरेजी में स्टेमेंन !
ReplyDeleteऔर हाँ दूसरे देश का जर्म प्लाज्म मांगना तो गैर कानूनी है ?इस पहलू को आपने जांचा है?
क़ानून के सम्मान मे अपना मुक़ाबला विरले ही कर सकेंगे।
Deleteअपुन ने तो आपके इस पोस्ट से ही केसर कि खेती का ज्ञान प्राप्त कर लिया... केसर दर्शन भी हो गए... जय हो
ReplyDeleteअनुराग जी इस सुन्दर लेख के लिए हार्दिक बधाई। मै इस फूल को देखना चाहता हूँ, क्या यह सम्भव हो सकता है। मै अभी पिट्टस बर्ग में हूँ।
ReplyDeleteभागीरथ जी, फूल तो अब नहीं बचे हैं। लेकिन मेरे ओर से आपका स्वागत है। मेरे संपर्क सूत्र के लिए अपना ईमेल/फेसबुक चेक कीजिये
Deleteजायकेदार, फूल तो कभी देखे ही नहीं थे
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रयास है सर आपका मुझे आपसे बात करनी है इस विषय में अगर आपके पास कभी समय हो तो मेरे नंबर पर कॉल जरूर करना मैं इंतजार करूंगा...
ReplyDeleteAdarsh Jasta Himachal Pradesh
9816188194..