अगर आपके मित्र आपको ताना देते हैं कि जब सारी दुनिया उत्तर की तरफ़ दौड़ रही हो तो आप दक्षिण दिशा में गमन कर रहे होते हैं तो दुखी न हों। मतलब डटे रहें, हटें नहीं। दरअसल आपका यह दुर्गुण आपके अधिक बुद्धिमान होने का साइड अफेक्ट हो सकता है।
बुद्धिमता के ऊपर दुनिया भर में अलग अलग तरह के प्रयोग होते रहे हैं। जब प्रयोग होते हैं तो उनसे तरह तरह के निष्कर्ष भी निकलते हैं। हम उन्हें पसंद करें या न करें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे ही एक प्रयोग ने दर्शाया कि अधिक बुद्धिमान लोग सामान्य लोगों से १५ वर्ष तक अधिक जीते हैं। इटली के कालाब्रिया विश्वविद्यालय में पाँच सौ लोगों पर हुए इस अनुसंधान के अनुसार ऐसा बुद्धिमानी के लिए जिम्मेदार एक जीन 'एसएसएडीएच (SSADH) के कारण होता है। जिन लोगों में यह जीन अधिक सक्रिय नहीं होता, उनके 85 साल की उम्र के बाद जीने की संभावना कम होती है। जिन लोगों में यह जीन सक्रिय होता है, उनके 100 वर्ष की आयु तक जीने की संभावना रहती है। कुछ समझ आया कि हमारे पूर्वज शतायु क्यों होते थे?
शोधकर्ता रिचर्ड लिन द्वारा ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन ने यह निष्कर्ष निकाला कि अधिक बुद्धिमान व्यक्तियों के नास्तिक होने की संभावना आम लोगों से अधिक होती है। लिन का मानना है कि बुद्धिमानी नास्तिकता की ओर ले जाती है। विभिन्न धर्मों और बाबाओं के आधुनिक स्वरुप और आडम्बर को देखकर तो मुझे अक्सर ही यह विचार आता है कि यदि किसी बाबा या पीर के ये भक्त आस्तिक हैं तो आडम्बर से दूर रहने वाले सच्चे भक्त तो शायद आज नास्तिक ही कहलायेंगे।
गोली मारिये इस आस्तिक-नास्तिक की बहस को - अभी एक और रोचक अध्ययन भी हुआ है। तीस वर्षों तक ८००० से अधिक लोगों पर चले एक ब्रिटिश अध्ययन से अधिक बुद्धिमानों के एक और लक्षण का पता चला है। इस अध्ययन से पता लगा कि १० वर्ष की आयु में जिन ब्रिटिश बच्चों का आई क्यू (IQ) सबसे अधिक था वे ३० वर्ष की आयु तक पहुँचने तक शाकाहारी हो गए थे। यह अध्ययन डॉक्टर कैथरीन गेल द्वारा किया गया था और १०-वर्षीय बच्चों का सबसे पहला दल सन १९७० का था जो २००० में तीस वर्षीय थे।
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सम्बन्धित कडियाँ
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* ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में विस्तृत रिपोर्ट
* SSAHD Deficiency
* आप कितने बुद्धिमान हैं? (निरामिष)