(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)
तुम खूब रहे हम खूब रहे
तुम पार हुए हम डूब रहे
अपना न मुरीद रहा कोई
पर तुम सबके मतलूब रहे
तुम धूप हिमाल शुमाल की
हम शामे-आबे-जुनूब रहे
दोज़ख की आग तपाती हमें
और तुम फ़िरदौसी खूब रहे
हमसे पहचान हुई न मगर
तुम दुश्मन के महबूब रहे
शब्दार्थ:
मतलूब = वांछनीय, मनवांछित; हिमाल = हिमालय; शुमाल = उत्तर दिशा; आब = जल, सागर;
शाम = संध्या; जुनूब = दक्षिण दिशा; दोज़ख = नर्क; दुश्मन = शत्रु;
महबूब = प्रिय; फ़िरदौसी = फिरदौस (स्वर्ग) का निवासी = स्वर्गलोक का आनंद उठाता हुआ
तुम खूब रहे हम खूब रहे
तुम पार हुए हम डूब रहे
अपना न मुरीद रहा कोई
पर तुम सबके मतलूब रहे
तुम धूप हिमाल शुमाल की
हम शामे-आबे-जुनूब रहे
दोज़ख की आग तपाती हमें
और तुम फ़िरदौसी खूब रहे
हमसे पहचान हुई न मगर
तुम दुश्मन के महबूब रहे
शब्दार्थ:
मतलूब = वांछनीय, मनवांछित; हिमाल = हिमालय; शुमाल = उत्तर दिशा; आब = जल, सागर;
शाम = संध्या; जुनूब = दक्षिण दिशा; दोज़ख = नर्क; दुश्मन = शत्रु;
महबूब = प्रिय; फ़िरदौसी = फिरदौस (स्वर्ग) का निवासी = स्वर्गलोक का आनंद उठाता हुआ
बढ़िया !
ReplyDeleteउम्दा रचना
ReplyDeleteवाह! कमाल की कविता है!!!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (12-10-2015) को "प्रातः भ्रमण और फेसबुक स्टेटस" (चर्चा अंक-2127) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार
Deleteधन्यवाद
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteकमाल की कविता.
ReplyDeleteहमसे पहचान हुई न पर
ReplyDeleteतुम दुश्मन के महबूब रहे
...वाह...बहुत ख़ूबसूरत रचना
तुम खूब रहे हम खूब रहे
ReplyDeleteतुम पार हुए हम डूब रहे
थोड़ा तैरना आ जाय तो हम भी पार होंगे :)
अर्थपूर्ण एक से एक, सार्थक रचना !
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteये हम तुम भी खूब हुए....
ReplyDeleteदोस्ती निभाना नहीं आया
ReplyDeleteदुश्मनों संग खूब जिये
क्या बात है सर। बहुत खूब। बेहद खास। दमदार रचना। सादर बधाई।
ReplyDeleteनफ़रत पाली तुमसे हमने
ReplyDeleteफिर भी अपने महबूब रहे!
बहुत खूब अनुराग सर!
तुमसे नफ़रत भी की हमने
ReplyDeleteऔर तुम ही मेरे महबूब रहे!
बहुत ख़ूब, अनुराग सर!