बाग़-बगीचे, ताल-तलैया
लहड़ू, इक्का, नाव ले गये
घर, आंगन, ओसारे सारे
खेत, चौपालें, गाँव ले गये
कुत्ते, घोड़ा, गाय, बकरियाँ
पीपल, बरगद छाँव ले गये
रोटी छीनी, पानी लीला
भेजा, हाथ और पाँव ले गये
चौक-चौक वे भीख मांगते
जिनकी कुटिया, ठाँव ले गये
श्रावणी पूर्णिमा की बधाई |
चित्र: रीतेश सब्र |
पिट्सबर्ग आजकल |
🙏 मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!