बाग़-बगीचे, ताल-तलैया
लहड़ू, इक्का, नाव ले गये
घर, आंगन, ओसारे सारे
खेत, चौपालें, गाँव ले गये
कुत्ते, घोड़ा, गाय, बकरियाँ
पीपल, बरगद छाँव ले गये
रोटी छीनी, पानी लीला
भेजा, हाथ और पाँव ले गये
चौक-चौक वे भीख मांगते
जिनकी कुटिया, ठाँव ले गये
चित्र: रीतेश सब्र |
मात्रा के गणित का शऊर नहीं, न फ़ुर्सत। अगर, बात और लय होना काफ़ी हो, तो ग़ज़ल कहिये वर्ना हज़ल या टसल, जो भी कहें, स्वीकार्य है।(अनुराग शर्मा)
चावल, चीनी और चाय से बनी स्वर्णकण आच्छादित जापानी मिठाई मोची (餅) |
सपरिवार आपको, आपके मित्रों, परिजनों और शुभचिंतकों को नव वर्ष 2014 के आगमन पर हार्दिक मंगलकामनाएँ
हम थे वो थीं, और समाँ रंगीन ... |