पिट्सबर्ग आजकल |
जब गले पड़ें
दो मुसीबतें
जिनमें से एक
अनिवार्यतः अपनानी है।
तब एक पल
ठहरकर
सोच-समझकर
तुक भिड़ानी है।
खाई में जान
निश्चित ही जानी है
जबकि
कुएँ में पानी है।
खाई की गर्त
नामालूम
कुएँ की गहराई
तो पहचानी है।
खाई में कौन मिलेगा
किसको सुनाएँ
जबकि कुएँ से पुकार
बस्ती तक पहुँच जानी है।
मौत का तो भी अगर
दिन रहा मुकर्रर
व्यर्थ बिखरने से अच्छी
जल समाधि अपनानी है
वाह
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteआपकी पोस्ट दिल को छूने वाली है।
ReplyDeleteजल समाधी ...... बहुत खूब
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