(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)
प्रेम का जादू यही
इक एहसास वही
अमृती धारा बही
पीर अग्नि में दही
मैं की दीवार ढही
रात यूँ ढलती रही
बंद होठों से सही
बात जो तूने कही
प्रेम का जादू यही
इक एहसास वही
अमृती धारा बही
पीर अग्नि में दही
मैं की दीवार ढही
रात यूँ ढलती रही
बंद होठों से सही
बात जो तूने कही