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Tuesday, July 26, 2011

यूँ ही एक कामना - कविता

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ये जहाँ खुशगवार यूँ ही रहे
हर खुशी बरक़रार यूँ ही रहे

वो हँसी बार-बार यूँ ही रहे
ये खुशी बस उधार यूँ ही रहे

उसके दिल में बहार यूँ ही रहे
अपना उजडा मज़ार यूँ ही रहे

छलका ये अबशार यूँ ही रहे
नैन मदिरा की धार यूँ ही रहे

साँसों का ये खुमार यूँ ही रहे
मेरा दिल बेक़रार यूँ ही रहे

खुला जन्नत का द्वार यूँ ही रहे
माँ का मुझपे दुलार यूँ ही रहे


(चित्र व कविता :: अनुराग शर्मा)