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ये जहाँ खुशगवार यूँ ही रहे
हर खुशी बरक़रार यूँ ही रहे
वो हँसी बार-बार यूँ ही रहे
ये खुशी बस उधार यूँ ही रहे
उसके दिल में बहार यूँ ही रहे
अपना उजडा मज़ार यूँ ही रहे
छलका ये अबशार यूँ ही रहे
नैन मदिरा की धार यूँ ही रहे
साँसों का ये खुमार यूँ ही रहे
मेरा दिल बेक़रार यूँ ही रहे
खुला जन्नत का द्वार यूँ ही रहे
शानदार प्रस्तुति, बधाई ||
ReplyDeleteसर, बाकि तो आमीन ...
ReplyDeleteपर
@मेरा दिल बेक़रार यूँ ही रहे
भाई हम तो चाहते हैं आपके दिल को करार आये...
बहुत सुन्दर कामना...
ReplyDeleteभौगोलिक सीमाओं से परे, विश्व मंगल कामना से भरी सुन्दर रचना।
ReplyDeleteआपकी शुभकामनाओं के लिये बहुत बहुत धन्यवाद जी!
ReplyDeleteवाह एक सुंदर पठनीय रचना.
ReplyDeleteउधार की खुशी में मज़ा नहीं होता:) बड़ी धारधार कविता ॥
ReplyDeleteखुला जन्नत का द्वार यूँ ही रहे
ReplyDeleteमाँ का मुझपे दुलार यूँ ही रहे
एक भावना प्रधान अभिगम, और उसकी अभिव्यक्ति
वो हँसी बार-बार यूँ ही रहे
ReplyDeleteये खुशी बस उधार यूँ ही रहे...
Awesome !
Beautifully expressed . Full of emotions !
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वाह !
ReplyDeleteखुला जन्नत का द्वार यूँ ही रहे
ReplyDeleteमाँ का मुझपे दुलार यूँ ही रहे
बहुत ही सुंदर बात कही, बेहतरीन.
रामराम.
ये क्या!!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteबनी रहे और यूं ही रहे आपके मिज़ाज की तासीर भी यूं ही रहे!!
आपकी कामना पूर्ण हो, जबरजस्त कविता।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....
ReplyDeleteतुकबंदी को ललचाती कविता ..ये जहाँ गुलजार यूं ही रहे ...
ReplyDeleteखुला जन्नत का द्वार यूँ ही रहे
ReplyDeleteमाँ का मुझपे दुलार यूँ ही रहे
बहुत सुन्दर। हर पँक्ति दिल को छूती हुये। शुभकामनाये।
behtareen.........:)
ReplyDeletewah dil ko karar aa gaya!
बहुत सुन्दर कविता व सुन्दर कामना...
ReplyDeleteबेहद सुन्दर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसाँसों का ये खुमार यूँ ही रहे
ReplyDeleteमेरा दिल बेक़रार यूँ ही रहे ..
वाह ये तो प्रेम की चरमोत्कर्ष स्थिति है ... यूँ ही बरकरार रहे हमेशा तो क्या बात है ... लाजवाब गज़ल अनुराग जी ...
Kamana yun hi falibhut hoti rhe...shubhkamana
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
@
ReplyDeleteये जहाँ खुशगवार यूँ ही रहे
हर खुशी बरक़रार यूँ ही रहे------
--वाह क्या कहनें हैं,बहुत ही सुंदर.
यही कामना है हमारी भी अब ये
ReplyDeleteचाहना और पाना यूं ही रहे
ऐसा ही हो..... बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं.....
ReplyDeleteखुला जन्नत का द्वार यूँ ही रहे
ReplyDeleteमाँ का मुझपे दुलार यूँ ही रहे '
...........वाह , क्या भाव हैं ! ऐसा ही हो
बहुत खूबसूरत भावों से रची रचना
ReplyDeleteये ब्लॉग गुलजार यूँ ही रहे....
ReplyDeleteखुला जन्नत का द्वार यूँ ही रहे
ReplyDeleteमाँ का मुझपे दुलार यूँ ही रहे
बेहद सुंदर ।
'खुला जन्नत का द्वार यूँ ही रहे
ReplyDeleteमाँ का मुझपे दुलार यूँ ही रहे'
रहे ,हमेशा रहे !