लगभग दो दशक पहले दूरदर्शन पर एक धारावाहिक आता था, "कच्ची धूप।" उसकी एक पात्र को मुहावरे समझ नहीं आते थे। एक दृश्य में वह बच्ची आर्श्चय से पूछती है, "कौन बनाता है यह गंदे-गंदे मुहावरे?" वह बच्ची उस धारावाहिक के निर्देशक अमोल पालेकर और लेखिका चित्रा पालेकर की बेटी "श्यामली पालेकर" थी। "कच्ची धूप" के बाद उसे कहीं देखा हो ऐसा याद नहीं पड़ता। मुहावरे तो मुझे भी ज़्यादा समझ नहीं आए मगर इतना ज़रूर था कि बचपन में सुने हर नॉन-वेज मुहावरे की टक्कर में एक अहिंसक मुहावरा भी आसपास ही उपस्थित था।
जब लोग "कबाब में हड्डी" कहते थे तो हम उसे "दाल भात में मूसलचंद" सुनते थे। जब कहीं पढने में आता था कि "घर की मुर्गी दाल बराबर" तो बरबस ही "घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध" की याद आ जाती थी। इसी तरह "एक तीर से दो शिकार" करने के बजाय हम अहिंसक लोग "एक पंथ दो काज" कर लेते थे। इसी तरह स्कूल के दिनों में किसी को कहते सुना, "सयाना कव्वा *** खाता है।" हमेशा की तरह यह गोल-मोल कथन भी पहली बार में समझ नहीं आया। बाद में इसका अर्थ कुछ ऐसा लगा जैसे कि अपने को होशियार समझने वाले अंततः धोखा ही खाते हैं। कई वर्षों बाद किसी अन्य सन्दर्भ में एक और मुहावरा सुना जो इसका पूरक जैसा लगा। वह था, "भोला बछड़ा हमेशा दूध पीता है।
खैर, इन मुहावरों के मूल में जो भी हो, कच्ची-धूप की उस छोटी बच्ची का सवाल मुझे आज भी याद आता है और तब में अपने आप से पूछता हूँ, "क्या आज भी नए मुहावरे जन्म ले रहे हैं?" आपको क्या लगता है?
जब लोग "कबाब में हड्डी" कहते थे तो हम उसे "दाल भात में मूसलचंद" सुनते थे। जब कहीं पढने में आता था कि "घर की मुर्गी दाल बराबर" तो बरबस ही "घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध" की याद आ जाती थी। इसी तरह "एक तीर से दो शिकार" करने के बजाय हम अहिंसक लोग "एक पंथ दो काज" कर लेते थे। इसी तरह स्कूल के दिनों में किसी को कहते सुना, "सयाना कव्वा *** खाता है।" हमेशा की तरह यह गोल-मोल कथन भी पहली बार में समझ नहीं आया। बाद में इसका अर्थ कुछ ऐसा लगा जैसे कि अपने को होशियार समझने वाले अंततः धोखा ही खाते हैं। कई वर्षों बाद किसी अन्य सन्दर्भ में एक और मुहावरा सुना जो इसका पूरक जैसा लगा। वह था, "भोला बछड़ा हमेशा दूध पीता है।
खैर, इन मुहावरों के मूल में जो भी हो, कच्ची-धूप की उस छोटी बच्ची का सवाल मुझे आज भी याद आता है और तब में अपने आप से पूछता हूँ, "क्या आज भी नए मुहावरे जन्म ले रहे हैं?" आपको क्या लगता है?