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Tuesday, July 27, 2010

बॉस्टन के पण्डे, गौवंश और सामुद्रिक कला [इस्पात नगरी से - 26]

अगर गोत्र की सूची पूछने पर एक ब्राह्मण गिनाना शुरू कर दे... फ़ोर्ब्स, फिलिप्स, होम्स, इमर्सन, इलियट, ओटिस, .... तो शायद आप आश्चर्यचकित रह जायेंगे। अचरज क्योंकर न हो, इस ब्राह्मण को कोई भारतीय भाषा नहीं आती है और इसके अंगरेज़ी के विशिष्ट उच्चारण को "बॉस्टन ब्राह्मण उच्चारण" कहा जाता है। आपने सही पहचाना, मैं बात कर रहा हूँ अमेरिका के प्रतिष्ठित बॉस्टन ब्राह्मण (Boston Brahmin) समुदाय की। बॉस्टन के अति-विशिष्ट वर्ग को पहली बार यह सम्बोधन जनवरी 1860 में ऐट्लांटिक मंथली पत्रिका में छपे एक आलेख में दिया गया था और तबसे यह रूढ हो गया है। अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति जॉन ऐडम्स, टी एस इलियट और राल्फ वाल्डो एमर्सन जैसे साहित्यकार, फोर्ब्स जैसे व्यवसायी और हाल ही में गान्धी जी के सामान की नीलामी से चर्चित होने वाला ओटिस परिवार, जिनके नाम ने कभी न कभी आपको "लिफ्ट" कराया होगा, सब बॉस्टन ब्राह्मण हैं। ब्रैह्मिन डॉट कॉम जाने पर अगर आपको चमडे के पर्स बिकते देखकर झटका लगा हो तो आशा है कि अब उसका कारण समझ आ गया होगा।

वैसे अमेरिका में गाय की एक जाति को भी ब्राह्मण गाय/गोवंश (Brahman cow / Zebu cattle) कहा जाता है। अपने चौडे कन्धे और विकट जिजीविशा के लिये प्रसिद्ध यह गोवंश पहली बार 1849 में भारत से यहाँ लाया गया था और तबसे अब तक इसमें बहुत वृद्धि हो चुकी है। और आप सोचते थे कि जर्सी और फ्रीज़ियन गायें बेहतर होती हैं। यह तो वैसी ही बात हुई जैसे उल्टे बाँस बरेली को। अब जब बॉस्टन और बरेली दोनों का ज़िक्र एक साथ ही आ गया है तो 1857 में लिखी, पाँच वर्ष पहले हमारे हत्थे चढी, और हाल में पूरी पढी गयी पुस्तक "फ्रॉम बॉस्टन टु बरेली ऐण्ड बैक" का ज़िक्र भी करे देते हैं जिसमें 1857 के स्वाधीनता संग्राम की कथा उस गोरे पादरी के मुख से कही गयी है जिसने बरेली में एशिया का पहला जच्चा-बच्चा अस्पताल बनाया था। क्लारा स्वेन अस्पताल आज भी बरेली में मिशन हस्पताल के नाम से मशहूर है। बरेली में स्टेशन मार्ग पर बटलर प्लाज़ा नामक एक बाज़ार इसी पुस्तक के लेखक विलियम बटलर के नाम पर है। उनके अच्छे काम की बधाई। किताब की विषयवस्तु के बारे में फिर कभी। पुस्तक न्यूयॉर्क के प्रकाशक फिलिप्स एण्ड हंट द्वारा प्रकाशित है और गूगल बुक्स पर मुफ्त डाउनलोड के लिये उपलब्ध है।

आप कहेंगे कि मैं बॉस्टन कैसे पहुँच गया। जनाब आजकल वहीं की खाक (बालू) छान रहा था, सोचा कुछ वालुका-कलाकृतियाँ आपसे बांट लूँ। चित्र सेलफ़ोन से लिये गये हैं - बडा करने के लिये कृपया चित्र पर क्लिक करें - मुलाहिज़ा फरमाइये:
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इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
AMERICAN BRAHMAN BREEDERS ASSOCIATION
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[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा Photos by Anurag Sharma]