कुछ अहसान जताते बीती
और कुछ हमें सताते बीती
चाह रही फूलों की लेकिन
किस्मत दंश चुभाते बीती
जिन साँपों ने डसा निरंतर
उनको दूध पिलाते बीती
आस निरास की पींगें लेती
उम्र यूँ धोखे खाते बीती
खुल के बात नहीं हो पाई
ज़िंदगी भेद छुपाते बीती
जिनको याद कभी न आये
उनकी याद दिलाते बीती॥
उनकी याद दिलाते बीती॥