अच्छा है
सब अच्छा होगा
क्योंकि हम अच्छे हैं
सब कुछ अच्छा रहा हमारा
क्योंकि हम सब अच्छे हैं
सब अच्छा होगा
क्योंकि हम अच्छे हैं
सब कुछ अच्छा रहा हमारा
क्योंकि हम सब अच्छे हैं
हमारे माता-पिता, भाई-भतीजे, सब अच्छे हैं
हमारे कपड़े, गाड़ी, गहने, बाड़ी,
हमारे कपड़े, गाड़ी, गहने, बाड़ी,
फ़ौजदारी, ज़मींदारी
बोले तो, सब कुछ बहुत अच्छा है
समस्या हमारे बाहर है
समस्या हमारे घर के बाहर है
समस्या हमारे जाति-सम्प्रदाय-देश-भाषा के बाहर है
समस्या दूसरी ओर की है
अपने से भिन्न, दूसरे लोगों की है
जिनके तौर-तरीके, खाना-पीना, ओढ़ना-बैठना
सब हमसे भिन्न हैं
बोले तो, सब कुछ बहुत अच्छा है
समस्या हमारे बाहर है
समस्या हमारे घर के बाहर है
समस्या हमारे जाति-सम्प्रदाय-देश-भाषा के बाहर है
समस्या दूसरी ओर की है
अपने से भिन्न, दूसरे लोगों की है
जिनके तौर-तरीके, खाना-पीना, ओढ़ना-बैठना
सब हमसे भिन्न हैं
शेख बिरहमन मुल्ला पाँड़े
पारसी यहूदी सिख ईसाई
जैन बौद्ध कामरेड कसाई
वे कोई भी हो सकते हैं
जिनके माँ-बाप, हमारे पुरखों जैसे सर्वगुण-सम्पन्न नहीं
और जिनका वर्तमान हमारे वर्तमान सा समृद्ध नहीं
और जिनका वर्तमान हमारे वर्तमान सा समृद्ध नहीं
और जिनका भविष्य हमारे बच्चों सा सुनहरा नहीं...
जिनके पास ज़मीन, लाठी, मुनाफ़ा, कैपिटेशन, डोनेशन, रिज़र्वेशन तो दूर
आशा की किरण तक नहीं है
जो पराये हैं अपने देश में
बेदरो-दीवार हैं अपने गाँव-कस्बे में
बेघर हैं अपने घर में
हमसे बर्दाश्त नहीं होते ऐसे लोग
चिंता है
कि ये भिनकती हुई मधुमक्खियाँ
हमारे शहद के ढेर को दूषित न कर दें
ये चूज़े, ये चिड़ियाँ
तोड़ न दें हमारे बाज़ों को
जिनके पास ज़मीन, लाठी, मुनाफ़ा, कैपिटेशन, डोनेशन, रिज़र्वेशन तो दूर
आशा की किरण तक नहीं है
जो पराये हैं अपने देश में
बेदरो-दीवार हैं अपने गाँव-कस्बे में
बेघर हैं अपने घर में
हमसे बर्दाश्त नहीं होते ऐसे लोग
चिंता है
कि ये भिनकती हुई मधुमक्खियाँ
हमारे शहद के ढेर को दूषित न कर दें
ये चूज़े, ये चिड़ियाँ
तोड़ न दें हमारे बाज़ों को
ये बंदर-भालू
जला न दें हमारी सोने की लंका
लार टपकाते ये वंचित-दलित
नज़र न लगा दें
जला न दें हमारी सोने की लंका
लार टपकाते ये वंचित-दलित
नज़र न लगा दें
हमारे ट्रैक्टर, बीएमडब्ल्यू, लैंडरोवर पर
हमारे खेत, खलिहान, गोदाम, महल-अट्टालिका पर
हमारे खेत, खलिहान, गोदाम, महल-अट्टालिका पर
हमारे संचित धन पर।
हमारी जान को खतरा है
हमारी पहचान को खतरा है।
हमारी पहचान को खतरा है।
युद्ध से पहले संधि चाहिये
बाड़ के लिये समझौता ज़रूरी है
आतंकवाद की आड़ के लिये
समझौता एक्सप्रेस भी ज़रूरी है
फाँसी से पहले अहिंसा ज़रूरी है
क्रांति से पहले शांति ज़रूरी हैआज़ादी से पहले, विभाजन ज़रूरी है
बुतपरस्ती की नापाकी मिटाकर ज़मीन पाक करना ज़रूरी है,
पाकिस्तान ज़रूरी है।
उनके ग्रंथों में लिखी हैं,
क्रूसेड की बात, जिहाद की बात, धर्मयुद्ध की बात
कर्म के फल की बात
क़यामत की बातें, आखिरत की बातें, प्रलय की बातें
ऐसी किसी भी प्रलय की आशंका से पहले
ऐसी किसी भी प्रलय की आशंका से पहले
उनकी विचारधारा का, उनकी संस्कृति का
उनके ग्रंथों का, उनके पुस्तकालयों का खात्मा ज़रूरी है।
उनके ग्रंथों का, उनके पुस्तकालयों का खात्मा ज़रूरी है।
उनका खात्मा ज़रूरी है।
हमारे अलावा, हमारे जैसों के अलावा हर किसी का
खात्मा बहुत ज़रूरी है।
उसके बाद बस हम रहेंगे
सबसे अच्छे
इसलिये
सब अच्छा होगा
बहुत अच्छा होगा।
बहुत अच्छा होगा।
क्योंकि हम अच्छे हैं
हम सबसे अच्छे हैं
हमारे माता-पिता, भाई-भतीजे, नाते-रिश्तेदार,
सब अच्छे हैं।
***
विश्व काव्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
World Poetry Day was established by the United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization (UNESCO) during its 30th General Conference in Paris in 1999. It is celebrated on March 21st.