अनुराधा जी की टिप्पणी से इस दुखद समाचार की जानकारी मिली। स्तब्ध हूँ, पर बताना ज़रूरी समझता हूँ। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति और परिवार को शक्ति दे!
सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.संध्या गुप्ता अब इस दुनियां में नहीं रही। पिछले कई माह से बीमार चल रही डॉ.गुप्ता ने गुजरात के गांधी नगर में आठ नवम्बर 2011 को सदा के लिए आंखें मूंद ली हैं। वह अपने पीछे पति सहित एक पुत्र व एक पुत्री को छोड़ गयी है। पुत्र प्रो.पीयूष यहां एसपी कॉलेज में अंग्रेजी विभाग के व्याख्याता है। उनके आकस्मिक निधन पर विश्वविद्यालय परिवार ने गहरा दुख प्रकट किया है। प्रतिकुलपति डॉ.प्रमोदिनी हांसदा ने 56 वर्षीय डॉ.गुप्ता के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि दुमका से बाहर रहने की वजह से आखिरी समय में उनसे कुछ कहा नहीं जा सका इसका उन्हें सदा गम रहेगा। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा कि हिंदी जगत ने एक अनमोल सितारा खो दिया है।
डॉ.गुप्ता को उनकी काव्यकृति 'बना लिया मैंने भी घोंसला' के लिए मैथिलीशरण गुप्त विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया था।
विनम्र श्रद्धांजलि!
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* नहीं रही डॉ.संध्या गुप्ता, शोक में डूबा विश्वविद्यालय
* क्या आपको कुछ पता है?
* फिर मिलेंगे - सन्ध्या जी की अंतिम पोस्ट
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डॉ. संध्या गुप्ता की बीमारी की खबर मुझे कुछ समय पहले मिली थी। इस सिलसिले में मैंने उन्हें ब्लॉग के जरिए संदेश भेजा, पर जबाव अभई तक नहीं आया। लेकिन जागरण- याहू न्यूज पर यह खबर अभी देखी तो शेयर कर रही हूं- बुरी खबर है
"नहीं रही डॉ.संध्या गुप्ता, शोक में डूबा विश्वविद्यालय"
लिंक यह रहा।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/jharkhand/4_8_8465580.html
उनका जाना सदमे से कम नहीं है। दो साल पहले ही उनसे दिल्ली में मुलाकात हुई थी, भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार समारोह में।
ज्यादा कहा नहीं जा रहा। उनसे फिर बात न कर पाने का अफसोस रहेगा।
(आर. अनुराधा)
डॉ. सन्ध्या गुप्ता |
डॉ.गुप्ता को उनकी काव्यकृति 'बना लिया मैंने भी घोंसला' के लिए मैथिलीशरण गुप्त विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया था।
मित्रों, एकाएक मेरा विलगाव आपलोगों को नागवार लग रहा है, किन्तु शायद आपको यह पता नहीं है की मैं पिछले कई महीनो से जीवन के लिए मृत्यु से जूझ रही हूँ । अचानक जीभ में गंभीर संक्रमण हो जाने के कारन यह स्थिति उत्पन्न हो गयी है। जीवन का चिराग जलता रहा तो फिर खिलने - मिलने का क्रम जारी रहेगा। बहरहाल, सबकी खुशियों के लिए प्रार्थना।
(सन्ध्या जी की अंतिम पोस्ट से)
विनम्र श्रद्धांजलि!
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* नहीं रही डॉ.संध्या गुप्ता, शोक में डूबा विश्वविद्यालय
* क्या आपको कुछ पता है?
* फिर मिलेंगे - सन्ध्या जी की अंतिम पोस्ट
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