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Wednesday, October 28, 2009
प्रेतों का उत्सव [इस्पात नगरी से - १९]
पिछली एक पोस्ट में जब मैंने हैलोवीन की तैय्यारी में बैठे बच्चों द्वारा अपने घरों के बाहर नकली कब्रें और कंकाल आदि का ज़िक्र किया था तो इसी बहाने हैलोवीन पर कुछ लिखने का शरद जी का अनुरोध मिला। पिछले साल मैंने इस विषय पर लिखने के बारे में सोचा भी था मगर फिर आलस करके (गिरिजेश राव से क्षमा याचना सहित) रह गया। खैर, देर आयद दुरुस्त आयद। आज की शुरुआत कुछ चित्रों से कर रहा हूँ। बाद में अन्य जानकारी भी रखने का प्रयास करूंगा। सभी चित्र क्लिक करके बड़े किए जा सकते हैं।
समुद्री डाकू का यह भूत हमसे मिलने बड़ी दूर से आया है।
उड़ने वाले प्रेतों के प्यारे-प्यारे बच्चे कुछ दिन मेपल के इसी वृक्ष पर रहने वाले हैं।
चेतावनी भूत के लिए? नहीं, वर्तमान के लिए!
मकडी के जाले? नए निराले.
अभी-अभी कब्र फाड़कर निकला हूँ। कुछ दिन यहीं रहूँगा।
इस्पात नगरी से - १८ [पिछली कडी]
[All Halloween photos by Anurag Sharma. सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा]
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