(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)
सदा खिलाया औरों को
खुद खाना सीखो दादी माँ
सबको देते उम्र कटी
अब पाना सीखो दादी माँ
थक जाती हो जल्दी से
अब थोड़ा सा आराम करो
चुस्ती बहुत दिखाई अब
सुस्ताना सीखो दादी माँ
रूठे सभी मनाये तुमने
रोते सभी हँसाये तुमने
मन की बात रखी मन में
बतलाना सीखो दादी माँ
दिन छोटा पर काम बहुत
खुद करने से कैसे होगा
पहले कर लेती थीं अब
करवाना सीखो दादी माँ
हम बच्चे हैं सभी तुम्हारे
जो चाहोगी वही करेंगे
मानी सदा हमारी अब
मनवाना सीखो दादी माँ
Friday, March 29, 2019
Thursday, March 14, 2019
सत्य - लघु कविता
(अनुराग शर्मा)
सत्य नहीं कड़वा होता
कड़वी होती है कड़वाहट
पराजय की आशंका और
अनिष्ट की अकुलाहट
सत्यासत्य नहीं देखती
मन पर हावी घबराहट
कड़वाहट तो दूर भागती
सुनते ही सत्य की आहट
सत्य नहीं कड़वा होता
कड़वी होती है कड़वाहट
पराजय की आशंका और
अनिष्ट की अकुलाहट
सत्यासत्य नहीं देखती
मन पर हावी घबराहट
कड़वाहट तो दूर भागती
सुनते ही सत्य की आहट
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