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हर ओर उल्लास है। लकडियाँ इकट्ठी कर के आग लगायी गयी है। अबाल-वृद्ध सभी त्योहार के जोश में हैं। क्यों न हो। सन 2005 से वे अपना पर्व मनाने को स्वतंत्र हैं। तुर्की ने आखिर सन 2005 में कुर्द समुदाय को अपना परम्परागत उत्सव नव शारदा मनाने की छूट दे ही दी। भारत में पारसी, बहाई, शिया और कश्मीरी पण्डित (नवरेह के नाम से) तो यह त्योहार न जाने कब से मनाते आ रहे हैं। परंतु यह पर्व भारत के बाहर भी दूर-दूर तक मनाया जाता है। ईरान में अयातुल्लह खोमेनी की इस्लामी सरकार आने के बाद लेखकों कलाकारों की मौत के फतवे तो ज़ारी हुए ही थे, साथ ही ईरानियों के प्रमुख त्योहार नवरोज़ को भी काफिर बताकर प्रतिबन्धित कर दिया गया था। ठीक यही काम अफगानिस्तान में तालेबान ने किया। परंतु मानव की उत्सवप्रियता को क्या कभी रोका जा सका है? दोनों ही देशों की जनता हारी नहीं। पर्व उसी धूमधाम से मनता है।
जी हाँ, परम्परागत ईरानी नववर्ष नव शारदा का वर्तमान नाम नौरोज़, नवरोज़ और न्यूरोज़ है। पारसी परम्पराओं में इस नवरोज़ को जमशेदी नौरोज़ भी कहते हैं। क्योंकि यह उत्सव यमदेव/जमशेद के सम्मान में है। ईरानी जनता को मृत्यु की ठिठुरन से बचाने के बाद जब वे अपने रत्न-जटित सिंहासन समेत स्वर्गारूढ हो गये तब उनके लिये प्रसन्न होकर लोगों ने इस पर्व की शुरूआत की। इस साल यह पर्व 20 मार्च 2011 को पड रहा है।
20 मार्च को ही एक और त्योहार भी है "पूरिम" जिसमें नौरोज़ की तरह पक्वान्नों पर तो ज़ोर है ही साथ ही सुरापान की भी मान्यता है। यहूदियों के इस पर्व में खलनायक हमन के पुतले को सामूहिक रूप से आग लगाई जाती है, पोस्त की मिठाइयाँ बनती हैं और नाच गाना होता है।
22 मार्च को भारत सरकार के राष्ट्रीय पंचांग "शक शालिवाहन" सम्वत का आरम्भ भी होता है। इस नाते यह भारत का राष्ट्रीय नववर्ष हुआ, शक संवत 1933 की शुभकामनायें!
और अपनी होली के बारे में क्या कहूँ? दीवाली का प्रकाश तो यहाँ भी वैसा ही लगता है मगर होली की मस्ती के रंग फीके ही लगते हैं।
आप सभी को होली की मंगलकामनायें!
बहुत बहुत शुभकामनायें आपको भी..
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनायें आपको भी..
ReplyDeleteज्ञानवर्धन कराने के लिए आभार आपका !
ReplyDeleteआपको भी होली की बहुत बहुत शुभकामनायें !
ReplyDelete@भारतीय नागरिक जी,
ReplyDeleteआपने क्या टिप्पणी का विकल्प हटाया है या मुझे ही नहीं दिख रही है?
होली व नवरोज साथ साथ मने।
ReplyDeleteविविध संस्कृतियों के त्यौहारादि के बारे में सरल तरीके से आपके माध्यम से जान रहे हैं।
ReplyDeleteहोली तक यहीं रुकना चाहिये था न आपको:))
@ भारतीय नगरिक...:
कई बार मैं भी यह कह चुका हूं, इन सरजी के ब्लॉग पर malware warning आ जाती है और हम कमेंट नहीं कर पा रहे हैं।
अच्छी जानकारी ....होली की हार्दिक शुभकामनायें आपको भी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी ....होली की हार्दिक शुभकामनायें आपको भी
ReplyDeleteसंजय,
ReplyDeleteअल्ला मियाँ हमारी सुनते कहाँ हैं!
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ReplyDeleteया अनुरागी चित्त की, गति समुझे ना कोय.
ज्यों-ज्यों बूड़े श्याम रंग, त्यों-त्यों उज्ज्वल होय.
...... आपका भी कुछ ऐसा ही हाल है... जितना दूर जाते हो उतना ही पास आते हो.
!!शुभ होली!!
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dekhiye chacha holi bachha ko na
ReplyDeletebhooliyega......
holinam.
नवरोज के बारे में जानकारी दे कर हमारा ज्ञान बढ़ने के लिए धन्यवाद और आप को भी होली का मुबारकबाद |
ReplyDeleteहोली की ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeleteनीरज
आपको भी होली की मंगलकामनायें!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDelete--
उनको रंग लगाएँ, जो भी खुश होकर लगवाएँ,
बूढ़ों और असहायों को हम, बिल्कुल नहीं सताएँ,
करें मर्यादित हँसी-ठिठोली।
आओ हम खेलें हिल-मिल होली।।
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होलिकोत्सव की शुभकामनाएँ!
नई जानकारी। संसार में कितना कुछ है जानने के लिए हमें तो उत्सवों की भी जानकारी नहीं है! क्या भारत में सिया मुसलमानो द्वारा मनाये जाने वाले नौरोज का इससे कोई संबंध है ?
ReplyDeleteविभिन्न संस्कृति, पर्व, तरीकों के बारे में जानना अच्छा लगा।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ
बंदिशें कुंठाओं का प्रतीक हैं सो लगती रहेंगी पर उत्सवप्रियता भी किसी ना किसी रूप में अभिव्यक्त होके रहेंगी ! मनुष्य पर इतना विश्वास तो किया ही जा सकता है :)
ReplyDeleteरंग पर्व पर अशेष शुभकामनायें !
आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।
ReplyDeleteबहुत बढिया जानकारी मिली.
ReplyDeleteहोली पर्व की घणी रामराम.
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteभूल जा झूठी दुनियादारी के रंग....
ReplyDeleteहोली की रंगीन मस्ती, दारू, भंग के संग...
ऐसी बरसे की वो 'बाबा' भी रह जाए दंग..
होली की शुभकामनाएं.
बहुत ही ज्ञानवर्धन जानकारी. ....होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteआपको बहुत शुभकानाए
ReplyDeletehttp://rimjhim2010.blogspot.com/2011/03/blog-post_19.html
रंगों के पावन पर्व होली के शुभ अवसर पर आपको और आपके परिवारजनों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...
ReplyDelete@देवेन्द्र पाण्डेय
ReplyDeleteजी हाँ, जहाँ तक मैं समझता हूँ, शिया समुदाय अपना उद्गम ईरान से ही मानता रहा है और इस ज़रिये वे कई फारसी/पूर्व-इस्लामिक परम्पराओं से जुडे हैं। सम्बन्धित पंक्ति ठीक कर दी गयी है।
धन्यवाद!
तन रंग लो जी आज मन रंग लो,
ReplyDeleteतन रंग लो,
खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
प्यार के ले लो...
खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...
जय हिंद...