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लगता है कि भारत में नये साल का सीज़न चल रहा है। आरम्भ भारत के राष्ट्रीय पंचांग "श्री शालिवाहन शक सम्वत" से हुआ। फिर हमने क्रोधी/खरनामसम्वस्तर की युगादि मनाई और अब विशु और पुत्तण्डु। भारत और भारतीय संस्कृति से प्रभावित क्षेत्रों के सौर पंचांगों के अनुसार आज की संक्रांति नव-वर्ष के रूप में मनाई जाती है।
सौर नववर्ष की यह परम्परा केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। विभिन्न क्षेत्रों में आज के नव वर्ष के लिये प्रयुक्त विभिन्न नाम या तो संस्कृत के शब्दों संक्रांति, वैशाखी या मेष से बने हैं या फिर इनके तद्भव रूप हैं। सूर्य की मेष राशि से संक्रांति और विशाखा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा मास इस पर्व के विभिन्न नामों का उद्गम है।
विभिन्न क्षेत्रों से कुछ झलकियाँ
1.सोंगक्रान - थाईलैंड
2.वर्ष पिरप्पु, पुतंडु - तमिल नव वर्ष - वैसे तमिलनाडु सरकार ने 2008 में अपना सरकारी नव वर्ष अलग कर लिया है जोकि मकर संक्रांति (पोंगल) के दिन पडता है परंतु आज के दिन की मान्यता अभी भी उतनी ही है। ज्ञातव्य है कि मणिपुर राज्य का नववर्ष चैइराओबा भी मकर संक्रांति के साथ ही पडता है।
3.पोइला बोइसाख - बॉंग्गाब्दो (बंगाल, त्रिपुरा ऐवम् बांगलादेश)
4.रोंगाली बिहु - असम राज्य और निकटवर्ती क्षेत्र
5.विशुक्कणी, विशु नव वर्ष - केरल
6.बिखोती - उत्तराखंड
7.विशुवा संक्रांति, पोणा संक्रान्ति, नव वर्ष - उडीसा
8. बैसाखी, वैशाखी - समस्त उत्तर भारत
9. बिसु, तुलुवा नववर्ष - कर्नाटक
10. मैथिल नव वर्ष (जुडे शीतल?)
11. थिंग्यान संग्क्रान नव वर्ष - म्यानमार
12. अलुथ अवुरुधु - सिन्हल नव वर्ष - श्रीलंका
13. चोलच्नामथ्मे (Chol Chnam Thmey) - कम्बोडिआ
शुभ वैसाखी! है न अनेकता में एकता का अप्रतिम उदाहरण?
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लगता है कि भारत में नये साल का सीज़न चल रहा है। आरम्भ भारत के राष्ट्रीय पंचांग "श्री शालिवाहन शक सम्वत" से हुआ। फिर हमने क्रोधी/खरनामसम्वस्तर की युगादि मनाई और अब विशु और पुत्तण्डु। भारत और भारतीय संस्कृति से प्रभावित क्षेत्रों के सौर पंचांगों के अनुसार आज की संक्रांति नव-वर्ष के रूप में मनाई जाती है।
सौर नववर्ष की यह परम्परा केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। विभिन्न क्षेत्रों में आज के नव वर्ष के लिये प्रयुक्त विभिन्न नाम या तो संस्कृत के शब्दों संक्रांति, वैशाखी या मेष से बने हैं या फिर इनके तद्भव रूप हैं। सूर्य की मेष राशि से संक्रांति और विशाखा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा मास इस पर्व के विभिन्न नामों का उद्गम है।
विभिन्न क्षेत्रों से कुछ झलकियाँ
1.सोंगक्रान - थाईलैंड
2.वर्ष पिरप्पु, पुतंडु - तमिल नव वर्ष - वैसे तमिलनाडु सरकार ने 2008 में अपना सरकारी नव वर्ष अलग कर लिया है जोकि मकर संक्रांति (पोंगल) के दिन पडता है परंतु आज के दिन की मान्यता अभी भी उतनी ही है। ज्ञातव्य है कि मणिपुर राज्य का नववर्ष चैइराओबा भी मकर संक्रांति के साथ ही पडता है।
3.पोइला बोइसाख - बॉंग्गाब्दो (बंगाल, त्रिपुरा ऐवम् बांगलादेश)
4.रोंगाली बिहु - असम राज्य और निकटवर्ती क्षेत्र
5.विशुक्कणी, विशु नव वर्ष - केरल
6.बिखोती - उत्तराखंड
7.विशुवा संक्रांति, पोणा संक्रान्ति, नव वर्ष - उडीसा
8. बैसाखी, वैशाखी - समस्त उत्तर भारत
9. बिसु, तुलुवा नववर्ष - कर्नाटक
10. मैथिल नव वर्ष (जुडे शीतल?)
11. थिंग्यान संग्क्रान नव वर्ष - म्यानमार
12. अलुथ अवुरुधु - सिन्हल नव वर्ष - श्रीलंका
13. चोलच्नामथ्मे (Chol Chnam Thmey) - कम्बोडिआ
शुभ वैसाखी! है न अनेकता में एकता का अप्रतिम उदाहरण?
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धन्यवाद इतनी सारी जानकारियों के लिए.
ReplyDeleteजय भारत वर्ष !
सबको बधाईयाँ।
ReplyDeleteबढ़िया. शुभकामनायें.
ReplyDeleteअपने देश के विभिन्न प्रदेशों के नव-वर्ष के विषय में तो जानकारी थी..पर कम्बोडिया, श्रीलंका, थाईलैंड की जानकारी बिलकुल नई थी ,मेरे लिए
ReplyDeleteशुभकामनाएं
कितनी सुंदर जानकारी ...सभी को बधाई... शुभकामनायें....
ReplyDeleteचन्द्रमा (चंद्रकला ) बस चार दिनों में पूर्णत्व प्राप्त करने वाला है :) और यह घटना चित्रा नक्षत्र में घटेगी -इसलिए यह चैत्र मॉस हुआ .....
ReplyDeleteचैत्र मतलब नववर्षारंभ
ReplyDeleteदुनिया के हर छोर में सूर्य और चंद्र हमारे प्रथम प्रकृति संपर्क / स्वजन में से एक हैं इसलिए इनसे हटकर हमारे 'जीवन की लय' को निर्धारित भी क्यों होना है ?
ReplyDeleteहमेशा की तरह बेहतर प्रविष्टि !
धन्यवाद इतनी सारी जानकारियों के लिए|
ReplyDeleteआपको भी मंगल कामनाये
ReplyDeleteवाकई, कितनी अच्छी चीजें हैं दुनिया में..
ReplyDeleteवाकई!!! वसुधैव कुटुम्बकम ही तो है ये.....
ReplyDeleteबढ़िया बात.....
बहुत खूब .......शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteमेरे लिए तो अप्रेल गहमागहमी से भरे मार्च के गुजर जाने के बाद आया, बहुत सी लगातार छुट्टियों वाला माह होता है. कल छुट्टी थी और कल भी छुट्टी ही होगी. बच्चे खुश hain, पत्नी खुश hain इसलिए मैं भी बड़ी ख़ुशी से बधाइयाँ ले और दे रहा हूँ. अच्छी जानकारीपूर्ण पोस्ट के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी मुहैया कराई है आपने।
ReplyDeleteआपको भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बधाई।
इसीलिए कहा जाता है कि हम भारतवासी मूलत: उत्सवप्रेमी हैं। उत्सव न हो तो हम खुद पैदा कर लेते हैं।
ReplyDeleteबधाइयॉं जी बधाइयॉं।
बहुत कुछ नया जानने को मिला आभार
ReplyDeleteregards
to lijiye.....apki di hue jankari se......'joor shital' ki....subhkamnayen..........
ReplyDeletepranam.
ऐसी विस्तृत और ज्ञानवर्धक
ReplyDeleteजानकारी के लिए
आभार स्वीकारें ....
आपको पढ़ना
हमेशा एक नया अनुभव रहता है
बेहतरीन जानकारी ,
ReplyDeleteआभार अनुराग जी ।
बहुत सुन्दर ..आप को बैशाखी की शुभ कामनाये
ReplyDeleteविभिन्न क्षेत्रों की झलकिया पढी । केरल की पूजा पध्दति भी देखी धन्यबाद
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
ReplyDeleteवैशाखी के नाम से बचपन में धर्मयुग के मध्य पन्ने पर मस्त भांगड़ा नाचते सिक्खों की देखी फोटो अभी भी ताजा है -
ReplyDeleteतूड़ी तंद सांभ हाड़ी वेच वट्ट के. . . . .
मारदा दमामे जट्ट मेले आ गया।
पर्व मुबारक जी।
पंजाब हो या फिर बाकि देश यानि भारत वर्ष..... हर जगह किसी न किसी रूप में आज पर्व का माहोल है ...... शुभकामनाएं ......
ReplyDeleteआपका यह लेख बहुत अच्छा लगा ...
ReplyDeleteभारत के राष्ट्रीय पंचांग "श्री शालिवाहन शक सम्वत" के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के नव वर्ष की जानकारी बहुत दिलचस्प है।
हार्दिक शुभकामनायें।
अमेरिका से विश्व के एनी भागों और भारतवर्ष के कई प्रदेश के नववर्ष और संक्रांति पर्व की जानकारी.. अनुराग जी मन मोह लिया आपने!!
ReplyDeleteनव संवत्सर की आपको भी बहुत बहुत बधाई......!!!!!
ReplyDeleteहार्दिक बधाई ....आपने जो जानकारियां दी है ....इनके लिए आपका आभार ...!
ReplyDeleteइतने देशों के नववर्ष की जानकारी देने के लिए धन्यवाद। आपको भी भारतीय नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteलगता है बहुत सी सांस्कृतियों को प्रभावित क्लिया है अपनी सभ्यता ने ... अच्छी जानकारी ... ज्ञान वर्धक पोस्ट ...
ReplyDeletesundar post..
ReplyDeleteनेपाली नववर्ष भी है।
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