आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-10-2020) को "जीवन है बस पाना-खोना " (चर्चा अंक - 3847) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' --
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वाह
ReplyDeleteजीवन है बस पाना-खोना तो क्यों पछताना क्यों रोना ... सुवासित हो रहा है ।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसामयिक और सार्थक ग़ज़ल
ReplyDeleteवाह ! याद खिली मन के कोने में
ReplyDeleteहुआ सुवासित कोना कोना, जीवन में जब याद की सुवास भर जाती है तो हर हाल में मुस्कुराने की कला भी आ जाती है
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-10-2020) को "जीवन है बस पाना-खोना " (चर्चा अंक - 3847) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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जी, आभार
Deleteयाद खिली मन के कोने में
ReplyDeleteहुआ सुवासित कोना कोना !
बहुत सुंदर !
सुंदर
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