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अनुराग शर्मा
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Monday, December 1, 2008
वसन्त - कविता
मन की उमंग
ज्यों जल तरंग
कोयल की तान
दैवी रसपान
टेसू के रंग
यारों के संग
बालू पे शंख
तितली के पंख
इतराते बच्चे
फूलों के गुच्छे
बादल के लच्छे
फल अधकच्चे
रक्ताभ गाल
और बिखरे बाल
सर्दी का अंत
मधुरिम वसंत।
(
अनुराग शर्मा
)
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