एक, दो, नहीं पूरे छः दशक लगे ग्लोबल विलेज में इस एक छोटी सी यात्रा को ... यात्रा अभी पूरी हुई या नहीं, यह पता लगने में अभी दो वर्ष और लगेंगे। तब तक ज़रूरी है एहतियात। खासकर पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और नाइजीरिया से।
सन 1952 में जोनास साल्क (Jonas Salk) ने पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में एक क्रांतिकारी खोज की थी। पोलियो के टीके की इस खोज की आधिकारिक घोषणा 1955 में हुई। यह इस खोज का ही परिणाम था कि सारी दुनिया को अपनी ज़द में लेने वाला पोलियो धीरे-धीरे सिमटता गया। और सिमटते-सिमटते भी यह जिन क्षेत्रों में बचा रह गया उनमें भारतीय उपमहाद्वीप के क्षेत्र भी शामिल हैं। पोलियो के खात्मे की बात हो या चेचक की, या फिर तपेदिक और कोढ जैसी बीमारियों की बात हो, और चाहे बात हो प्लेग के पुनरागमन की या सुपरबग की, स्वास्थ्य और महामारी के क्षेत्र में हमारी जनता का भाग्य काफ़ी कमज़ोर रहा है। कारणों पर मैं नहीं जा रहा क्योंकि अभी मित्रों को बिना वजह नाराज़ नहीं करना चाहता। लेकिन इतना ज़रूर सोचने को कहूँगा कि इस्पात नगरी पिट्सबर्ग से शुरू हुए टीके को पीतल नगरी मुरादाबाद तक अपना काम पूरा करने में 60 साल क्यों लगे? वैसे एक सवाल यह भी हो सकता था कि क्या कभी ऐसा समय भी आयेगा जब इस्पात नगरी की स्वास्थ्य समस्या का हल पीतल नगरी से चले? आपको क्या लगता है?
12 जनवरी 2011 के बाद से अब तक भारत में पोलियो का कोई नया उदाहरण नहीं मिला है जिससे यहाँ भी इसके खात्मे की सम्भावना प्रबल होती जा रही है। यदि हम लगभग दो और वर्षों तक पोलियो-मुक्त रह पाये तब यह माना जा सकेगा कि भारत में पोलियो समाप्त हो गया है। हाँ, जब तक यह रोग पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों में मौजूद है तब तक वहाँ से चले मानव-वाहकों द्वारा इसके पुनरागमन की आशंका बरकरार रहती है। इसके अलावा नाइजीरिया तीसरा और अंतिम पोलियोग्रस्त देश है। नाइजीरिया से भी बहुत से लोग, विशेषकर छात्र भारत आते रहे हैं। पिछले साल का अंतिम केस पश्चिम बंगाल में मिला था। काश हम टीबी और कुष्ठरोग का भी सामना इसी प्रकार कर पायें।
63वें गणतंत्र दिवस पर एक और महामारी से मुक्ति की खबर आशाजनक है। वैसे भी स्वतंत्रता से अब तक हमने बहुत उन्नति की है जिसके लिये हमें अपने महान राष्ट्र पर गर्व होना ही चाहिये। और जो अब तक नहीं हो सका है उसकी प्राप्ति की अनुकूल दिशा में प्रयास बनाये रखने चाहिये।
पाकिस्तान सीमा पर आगंतुकों को पोलियो के टीके
* मैं पिट्सबर्ग हूँ
* दिमागी जर्राही बरास्ता नाक
पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में पोलियो टीका बना था |
12 जनवरी 2011 के बाद से अब तक भारत में पोलियो का कोई नया उदाहरण नहीं मिला है जिससे यहाँ भी इसके खात्मे की सम्भावना प्रबल होती जा रही है। यदि हम लगभग दो और वर्षों तक पोलियो-मुक्त रह पाये तब यह माना जा सकेगा कि भारत में पोलियो समाप्त हो गया है। हाँ, जब तक यह रोग पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों में मौजूद है तब तक वहाँ से चले मानव-वाहकों द्वारा इसके पुनरागमन की आशंका बरकरार रहती है। इसके अलावा नाइजीरिया तीसरा और अंतिम पोलियोग्रस्त देश है। नाइजीरिया से भी बहुत से लोग, विशेषकर छात्र भारत आते रहे हैं। पिछले साल का अंतिम केस पश्चिम बंगाल में मिला था। काश हम टीबी और कुष्ठरोग का भी सामना इसी प्रकार कर पायें।
63वें गणतंत्र दिवस पर एक और महामारी से मुक्ति की खबर आशाजनक है। वैसे भी स्वतंत्रता से अब तक हमने बहुत उन्नति की है जिसके लिये हमें अपने महान राष्ट्र पर गर्व होना ही चाहिये। और जो अब तक नहीं हो सका है उसकी प्राप्ति की अनुकूल दिशा में प्रयास बनाये रखने चाहिये।
पाकिस्तान सीमा पर आगंतुकों को पोलियो के टीके
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