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पिट्सबर्ग एक छोटा सा शहर है। सच्चाई तो यह है कि यह शहर सिकुड़ता जा रहा है। पिट्सबर्ग ही नहीं, अमेरिका के बहुत से अन्य शहर लगातार सिकुड़ रहे है। घबराईये नहीं, सिकुड़ने से मेरा अभिप्राय था जनसंख्या से। दरअसल पिट्सबर्ग जैसे ऐतिहासिक नगरों की जनसंख्या लगातार कम होती जा रही है। पिट्सबर्ग उत्तर-पूर्वी अमेरिका के पेन्सिल्वेनिया राज्य में है। 1950 में यहाँ 676,806 लोग रहते थे लेकिन 2005 के जनसंख्या आंकडों के अनुसार यहाँ केवल 316,718 लोग रहते हैं। 2010 के आंकडों में यहाँ की जनसंख्या 305,704 रह गयी है।
पिट्सबर्ग एक पुराना शहर है। इसकी स्थापना सन् 1758 में हुई थी और इस नाते से यह अपने 250 से अधिक वर्ष पूरे कर चुका है। नवम्बर 1758 में जनरल जॉन फोर्ब्स की अगुआई में ब्रिटिश सेना ने फोर्ट ड्यूकेन (Fort Duquesne – S शांत है) के भाग्नावाशेषों पर कब्ज़ा किया और इसका नाम तत्कालीन ब्रिटिश राज्य सचिव विलियम पिट के नाम पर रखा।
जब पिट्सबर्ग को अमेरिका के "सबसे ज्यादा रहने योग्य नगर" का खिताब मिला तो यहाँ के लोग फूले नहीं समाये। पुराने समय से ही पिट्सबर्ग अग्रणी लोगों का नगर बन कर रहा है। चाहे वह बिंगो (ताम्बूला) का खेल हो, कोका कोला के कैन हों या कि बड़े फेरिस वील, इन सब की शुरुआत पिट्सबर्ग से ही हुई थी। पहला व्यावसायिक रेडियो स्टेशन हो या पहला व्यावसायिक पेट्रोल पम्प, दोनों का ही श्रेय पिट्सबर्ग को जाता है।
पिछले दिनों जब मैं पिट्सबर्ग में बैठा हुआ पढ़ रहा था कि पोलियो की बीमारी सारी दुनिया में ख़त्म हो चुकने के बाद भी अभी सिर्फ़ भारत में ही बची है और वह भी मुख्यतः मेरे गृह नगरों बरेली, बदायूँ, रामपुर और मुरादाबाद आदि में - तो मुझे भाग्य के इस क्रूर खेल पर आश्चर्य हुआ क्योंकि पोलियो का टीका भी सन 1952 में पिट्सबर्ग में ही खोजा गया था। पिट्सबर्ग की देन असंख्य है इसलिए ज़्यादा नहीं कहूँगा मगर स्माइली :-) का ज़िक्र ज़रूर करूँगा जिसकी खोज यहाँ कार्नेगी मेलन विश्व विद्यालय में हुई थी। विश्व का पहला रोबोटिक्स केन्द्र भी इसी विश्व विद्यालय में प्रारम्भ हुआ। पिट्सबर्ग के वर्तमान मेयर ल्यूक रेवेंस्टाल अमेरिका के सबसे कम आयु के मेयर होने का दर्जा पा चुके हैं।
पिट्सबर्ग दो नदियों मोनोंगहेला व एलेगनी के संगम पर स्थित है। चूँकि यह दोनों नदियाँ मिलकर एक तीसरी नदी ओहियो बनाती हैं इसलिए यहाँ के निवासी इसे संगम न कहकर त्रिवेणी पुकारते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि पिट्सबर्ग में आप बहुत से व्यवसायों का नाम "तीन-नदियाँ" पायें। तीन नदियों से घिरा होने के कारण पिट्सबर्ग में पुलों की खासी संख्या है जिनमें से 720 प्रमुख पुल हैं। वैसे इन तीन नदियों के नीचे धरा में छिपा एक एक्विफ़र भी बहता है।
पुराने समय से ही अमेरिका के सर्वाधिक धनी व्यक्ति या तो पिट्सबर्ग में व्यवसाय करते थे या इस नगर से किसी रूप में जुड़े थे। यहाँ कोयला, इस्पात और अलुमिनुम का व्यवसाय प्रमुखता से हुआ। पिट्सबर्ग को इस्पात नगरी के नाम से भी पुकारा जाता है। कहते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध में जितना इस्पात इस शहर में बना उतना शेष विश्व ने मिलकर भी नहीं बनाया। जहाँ एक तरफ़ व्यवसाय की उन्नति हुई वहीं ज्ञान विज्ञान में भी पिट्सबर्ग उन्नति करता रहा।
व्यवसाय ने पिट्सबर्ग को सम्पन्नता तो बहुत दी परन्तु उसकी कीमत भी ली। पिट्सबर्ग देश के सर्वाधिक प्रदूषित नगरों में से एक गिना जाता था। बहुत सी सुंदर इमारतें कारखानों के धुएँ से काली पड़ गयी। सत्तर के दशक में जब पर्यावरण सम्बन्धी विचारधारा को बढावा मिला तो इस तरह के सारे प्रदूषणकारी व्यवसायों पर प्रतिबन्ध लगने शुरू हो गए। जिसकी कीमत भी पिट्सबर्ग को चुकानी पड़ी। युवाओं ने नौकरी की तलाश में नगर छोड़ना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि शहर में वयोवृद्ध जनसंख्या का अनुपात युवाओं से अधिक हो गया। पिट्सबर्ग ने इस चुनौती को बहुत गर्व से स्वीकारा और जल्दी ही जन-स्वास्थ्य में एक अग्रणी नगर बनकर उभरा।
पिट्सबर्ग अमेरिका का एक प्रमुख शिक्षा केन्द्र है। पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय, कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय एवं ड्युकेन विश्वविद्यालय यहाँ के तीन बड़े शिक्षा संस्थान हैं। अन्य शिक्षा संस्थानों में पॉइंट पार्क विश्व विद्यालय, चैथम विश्वविद्यालय, कार्लो विश्वविद्यालय एवं रॉबर्ट मौरिस विश्व विद्यालय प्रमुख हैं।
खनिज, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के अतिरिक्त पिट्सबर्ग एक और व्यवसाय में अग्रणी है और वह है कम्पूटर सॉफ्टवेयर। अनेकों बड़ी कम्पनियाँ जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट आदि ने यहाँ अपने कार्यालय बनाए हैं। अब जहाँ चिकित्सालय हों प्रयोगशालाएँँ हों, विश्व विद्यालय हों और सॉफ्टवेयर कम्पनियाँ भी हों और वहां पर भारतीय न हों ऐसा कैसे हो सकता है? । इस नगर में 6% लोग भारतीय मूल के हैं जिनमें मुख्यतः डॉक्टर, सोफ्टवेयर इंजिनियर, शिक्षक एवं छात्र हैं। एक बड़ा वर्ग व्यवसायिओं एवं वैज्ञानिकों का भी है। यहाँ आपको मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा तो मिलेगा ही, यदि आप अपने बच्चों को भारतीय संगीत या नृत्य सिखाना चाहते हैं तो आपको उसके लिए भी अनेक गुरु मिल जायेंगे। इतने भारतीय हों और भारतीय खाना न मिले, भला यह भी कोई बात हुई। भारतीय स्टोर व रेस्तराँ भी बहुतायत में हैं जहाँ आपको हर प्रकार का भारतीय सामान, भोजन इत्यादि मिल जायेगा। कथीड्रल ऑफ लर्निंग पिट्सबर्ग विश्व विद्यालय की प्रतीक इमारत है। इसमें एक कक्ष नालंदा विश्व विद्यालय के सम्मान में बनाया गया है।
पिट्सबर्ग के वार्षिक लोक उत्सव ने भारतीय कला व संस्कृति का परिचय स्थानीय लोगों को कराया है। हमारी संस्कृति में तो आकर्षण है ही, यहाँ के लोग भी नए विचारों को खुले दिल से स्वीकार करने वाले हैं। यहाँ आने से पहले मैंने अमेरिका के बारे में बहुत सी बातें सुनी थीं यथा, एक सामान्य अमेरिकी जीवन में सात बार नगर बदलता है। पिट्सबर्ग में मेरे बहुत से ऐसे स्थानीय सहकर्मी हैं जिन्होंने कभी पिट्सबर्ग नहीं छोड़ा। कुछ तो दो या तीन पीढियों से यहीं हैं।
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
* रैंडी पौष का अन्तिम भाषण
* पिट्सबर्ग का अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव (2011)
* ड्रैगन नौका उत्सव
[यह आलेख सृजनगाथा के लिये 25 जून 2008 को लिखा गया था]
इस सुरंग से मेरा पुराना नाता है |
पिट्सबर्ग एक पुराना शहर है। इसकी स्थापना सन् 1758 में हुई थी और इस नाते से यह अपने 250 से अधिक वर्ष पूरे कर चुका है। नवम्बर 1758 में जनरल जॉन फोर्ब्स की अगुआई में ब्रिटिश सेना ने फोर्ट ड्यूकेन (Fort Duquesne – S शांत है) के भाग्नावाशेषों पर कब्ज़ा किया और इसका नाम तत्कालीन ब्रिटिश राज्य सचिव विलियम पिट के नाम पर रखा।
कथीड्रल ऑफ लर्निंग |
पिछले दिनों जब मैं पिट्सबर्ग में बैठा हुआ पढ़ रहा था कि पोलियो की बीमारी सारी दुनिया में ख़त्म हो चुकने के बाद भी अभी सिर्फ़ भारत में ही बची है और वह भी मुख्यतः मेरे गृह नगरों बरेली, बदायूँ, रामपुर और मुरादाबाद आदि में - तो मुझे भाग्य के इस क्रूर खेल पर आश्चर्य हुआ क्योंकि पोलियो का टीका भी सन 1952 में पिट्सबर्ग में ही खोजा गया था। पिट्सबर्ग की देन असंख्य है इसलिए ज़्यादा नहीं कहूँगा मगर स्माइली :-) का ज़िक्र ज़रूर करूँगा जिसकी खोज यहाँ कार्नेगी मेलन विश्व विद्यालय में हुई थी। विश्व का पहला रोबोटिक्स केन्द्र भी इसी विश्व विद्यालय में प्रारम्भ हुआ। पिट्सबर्ग के वर्तमान मेयर ल्यूक रेवेंस्टाल अमेरिका के सबसे कम आयु के मेयर होने का दर्जा पा चुके हैं।
एक प्राचीन गिरजाघर |
पुराने समय से ही अमेरिका के सर्वाधिक धनी व्यक्ति या तो पिट्सबर्ग में व्यवसाय करते थे या इस नगर से किसी रूप में जुड़े थे। यहाँ कोयला, इस्पात और अलुमिनुम का व्यवसाय प्रमुखता से हुआ। पिट्सबर्ग को इस्पात नगरी के नाम से भी पुकारा जाता है। कहते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध में जितना इस्पात इस शहर में बना उतना शेष विश्व ने मिलकर भी नहीं बनाया। जहाँ एक तरफ़ व्यवसाय की उन्नति हुई वहीं ज्ञान विज्ञान में भी पिट्सबर्ग उन्नति करता रहा।
हर ओर गिरजे और फ़्यूनेरल होम्स |
पिट्सबर्ग अमेरिका का एक प्रमुख शिक्षा केन्द्र है। पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय, कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय एवं ड्युकेन विश्वविद्यालय यहाँ के तीन बड़े शिक्षा संस्थान हैं। अन्य शिक्षा संस्थानों में पॉइंट पार्क विश्व विद्यालय, चैथम विश्वविद्यालय, कार्लो विश्वविद्यालय एवं रॉबर्ट मौरिस विश्व विद्यालय प्रमुख हैं।
सैनिक व नाविक स्मृति |
पिट्सबर्ग के वार्षिक लोक उत्सव ने भारतीय कला व संस्कृति का परिचय स्थानीय लोगों को कराया है। हमारी संस्कृति में तो आकर्षण है ही, यहाँ के लोग भी नए विचारों को खुले दिल से स्वीकार करने वाले हैं। यहाँ आने से पहले मैंने अमेरिका के बारे में बहुत सी बातें सुनी थीं यथा, एक सामान्य अमेरिकी जीवन में सात बार नगर बदलता है। पिट्सबर्ग में मेरे बहुत से ऐसे स्थानीय सहकर्मी हैं जिन्होंने कभी पिट्सबर्ग नहीं छोड़ा। कुछ तो दो या तीन पीढियों से यहीं हैं।
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
* रैंडी पौष का अन्तिम भाषण
* पिट्सबर्ग का अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव (2011)
* ड्रैगन नौका उत्सव
[यह आलेख सृजनगाथा के लिये 25 जून 2008 को लिखा गया था]
पोलियो का इन तीन जनपदों में अभी भी फ़ैले होना चिंता की बात है, इसके मूल कारण क्या हैं, आपने भी जरूर सोचा होगा। अंधविश्वास के चलते बहुत जगह ऐसा दुष्प्रचार किया जाता है कि पोलियो ड्राप्स के बहाने परिवार नियोजन कार्यक्रम को फ़ैलाया जाता है, यह भी एक कारण लगता है। may be effect of demographic facts.
ReplyDeleteपिट्सबर्ग के बारे में जानकर अच्छा लगा। अपने यहाँ भी रोजगार के चक्कर में युवाओं का पलायन तो हो ही रहा है।
सुरंग से पुराना नाता जानने के चक्कर में फ़िर वही सपनों की नगरी का चक्कर काट रहे हैं:)
@पोलियो
ReplyDeleteसंजय, तुम्हारा अनुमान सही है। कई कमीने और मौकापरस्त धार्मिक नेता ऐसी अफवाहें फ़ैलाकर समाज के एक वंचित तबक़े को वंचित ही रहने देना चाहते हैं ताकि उसे नियंत्रण में रखकर आसानी से बरगलाया जा सके। बरेली-बदायूँ में प्रशासन और जनसेवकों के प्रयास से काफी काम हुआ है मगर फिर भी पोलियो की दवा देने वाली टीमों को पीटने और दौडाये जाने की खबरें आ ही जाती हैं।
भारत में शहर गाँवों को खा खाकर मुटाये जा रहे हैं।
ReplyDeleteकोई शहर जनसँख्या की दृष्टि से सिकुड़ भी सकता है , एक भारतीय के लिए ये भी आश्चर्य की ही बात है ...
ReplyDeleteइतने वर्षों के प्रयास के बाद भी पोलिओ के उन्मूलन नहीं होना और उससे जुड़ा अंधविश्वास अथवा कुप्रचार पर सरकारों और मानवाधिकार आयोगों की नजर क्यों नहीं है !
और आजकल हमारे प्रिय ब्लॉगर ..कथा मर्मज्ञ श्री अनुराग शर्मा भी यही रहते हैं ...
ReplyDelete@मिश्र जी,
ReplyDeleteज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया!
पिट्सबर्ग के बारे में जानकर अच्छा लगा। धन्यवाद|
ReplyDeleteपिट्सबर्ग के बारे में जानकर अच्छा लगा...रोचक जानकारी है यह...
ReplyDeleteहाँ यह भी सच है की पोलियो को लेकर अभी तक समाज में जागरूकता नहीं आई है, जिसकी आवश्यकता है...
भारतीय स्टोर व रेस्तौरां भी बहुतायत में हैं जहाँ आपको हर प्रकार का भारतीय सामान, भोजन इत्यादि मिल जायेगा ||
ReplyDeleteरुचिकर जानकारी |
तो क्या लगभग
२००० से २५०० भारतीय हैं
पिट्सबर्ग में ?
पिट्सबर्ग के बारे में जानकर अच्छा लगा। जनसंख्या कम भी होती है, सुखद लगा।
ReplyDeleteबहुत सारी जानकारी मिली, अधिकांश नई ही थी मेरे लिए।
ReplyDeleteआपके आलेख से बहुत सी नई जानकारियाँ मिलीं!
ReplyDeleteपिट्सबर्ग के बारे में जानकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteजब युवक व्यवसाय की तलाश में चले गए तो वृद्ध कैसे रहते हैं- कृपया वहाँ की सामाजिक स्थिति पर भी प्रकाश डालें।
शुभकामनाओं सहित
@प्रेमलता जी,
ReplyDeleteपश्चिम में सामान्यतः व्यक्तिगत स्वतंत्रता को महत्व दिया जाता है और बच्चे सामान्यतः कॉलेज पहुँचने की उम्र में अपना घर छोड देते हैं। मध्यवर्ग के बच्चे नौकरी करके या अपनी प्रतिभा या कौशल से अपना गुज़ारा चलाते हैं। मान लीजिये कि किसी बढई की बेटी अपने पिता के साथ ही काम करती है तो भी वह अपना अलग घर/अपार्टमैंट लेकर रहने लगती है। बूढे लोग भी अपना समय अपनी हॉबी, घर की देखभाल आदि में बिताते हैं। शाम की सैर पर निकलें तो ये लोग अक्सर अपने बाग़ में काम करते मिल जायेंगे, वरना घास काटते, चिडियों के लिये दाना-पानी लगाते, पतझड में पत्ते साफ करते, सर्दी में बर्फ़ हटाते मिल जायेंगे। लोग बडी उम्र तक नौकरियाँ भी करते हैं। मेरा 93 वर्षीय पडोसी रोज़ अकेला अपनी कार से अपने काम पर जाता था। स्थानीय टीवी पर सुबह उस दिन शतायु हो रहे लोगों को जन्मदिन की शुभकामनायें दी जाती हैं। जिस उम्र में लोग चलने फिरने लायक नहीं रहते तब वे असिस्टेड लिविग कहाने वाले ग्राम/आश्रम आदि में रहते हैं जहाँ अक्सर नर्स, चिकित्सक, व्यायाम, तरणताल आदि की सुविधा रहती है।
पिट्सबर्ग के बारे में जान कर अच्छा लगा पर भारत में अभी नगरों की जनसंख्या केवल बढ़ ही रही है. हो सकता है कि सो-पचास साल बाद सरकार फ़ैसला कि शहर केवल योजना के अनुसार ही बसाएंगे तो हो सकता है कुछ संभावना बने. यहां अभी तो शहर अपनी मर्जी से या बिल्डरों की मर्जी से ही बनाए जा रहे हैं. सरकार की बला से ... कि कहां क्या हो रहा है
ReplyDeleteअजीबो गरीब बात है भारत के शहरों की आबादी बढती जा रही है और अमेरिका की घट रही है यह एक महज संयोंग है या अमेरिकी व्यवस्था का परिणाम कहना दुष्कर है
ReplyDeleteमेरा ननिहाल उ.प्र. में है... मेरे मामा के पाँच पुत्र हैं.. वे कहते थे मेरे पाँच पाण्डव हैं.. दुर्भाग्य से उनका "भीम" पोलियो का शिकार है... दुर्भाग्य स्वयम रचा है जिन्होंने, सज़ा आने वाली नस्ल पा रही है!!
ReplyDeleteपीट्स्बर्ग का परिचय और कई फर्स्ट्स ऑफ पीट्सबर्ग के बारे में जानकर अच्छा लगा.. अब कभी स्माइली बनाऊँगा तो आप याद आएंगे!!
पिट्सबर्ग का शानदार परिचय. शायद हर नगर के पास गौरव करने को कुछ न कुछ होता है, लेकिन यहां तो काफी कुछ है. वार्षिक लोक उत्सव के बारे में जिज्ञासा बनी है.
ReplyDeleteराहुल जी,
ReplyDeleteपिट्सबर्ग के अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव 2011 के बारे में एक संक्षिप्त फ़ोटो फ़ीचर यहाँ है
अनुराग जी ब्लॉग्गिंग के शुरुवाती समय में मुझे लगता था की आप रूस में रहते हैं क्योंकि मैं Pittsburg को Petersburg पढता रहा और Saint मैं खुद अपनी तरफ से जोड़ देता था. वो तो भला हो आपकी लेखन क्षमता का की मैं आपके ब्लॉग पर बार बार आता रहा और कुछ समय में ही मुझे अपनी गलती का पता चल गया. आप ऐसे शहर में रहते हैं जिसमे खुद को सुधार लेने की क्षमता है. जनसँख्या कम हो गयी, प्रदुषण मिट गया.ऐसे शहर में निवास करने के लिए आपको मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteBadhiya post
ReplyDeleteपिट्सबर्ग के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा. बहुत सुंदर तरीके से काफी विस्तृत जानकारी वह भी आपके अपने खूबसूरत अंदाज़ में.
ReplyDeleteइस जनसँख्या में कमी का कुछ कारण तो होगा ...
ReplyDeleteपोलियो के फैलने की चिंता जरूरी है ... ये दुर्भाग्य है की कुछ लोग ऐसी बातों का विरोध करते हैं .. वो भी धार्मिक आधार पर ...
पिट्सबर्ग के बारे में जानकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteनई धरती, नए लोग, नई संस्कृति- आकर्षित करता है यह सब।
पिट्सवर्ग के बारे में यह जानकारी बहुत ज्ञानवर्धक लगी ! बधाई
ReplyDeleteaapne acchi jaankari di hai dhanyawaad "samrat bundelkhand"
ReplyDeleteअच्छी और नई जानकारी..... कई बातें अनुकरणीय हैं ....
ReplyDeleteपिट्सबर्ग के बारे मे इतने विस्तार से पढ कर लगता है जैसे हम वहीं कहीं उन गलिओं मे घूम रहे हैं।धन्यवाद।
ReplyDeleteजनसंख्या कमी के मायने क्या? रीवर्स माइग्रेशन? अगर यह है तो लोग कहां जा रहे हैं? गांवों की तरफ? रोचक होगा जानना!
ReplyDelete@पाण्डेय् जी,
ReplyDeleteरिवर्स माइग्रेशन के बारे में आप सही हैं, लोग गाँव तो नहीं, पर सबअर्ब में ज़रूर जा रहे हैं। जंसंख्या की कमी का मूल कारण दीक्षांत के बाद छात्रों का रोज़गार के लिये बहिर्मुखी होना है।
रोचक!
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