विभिन्न परिस्थितियों में कुछ बातें मन में आयीं और वहीं ठहर गयीं। मन में ज़्यादा घुमडीं तो डायरी में लिख लीं। अधिकांश वाक्य अंग्रेज़ी में थे और भाषा चटख/क्रिस्प थी। हिन्दी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत है। अनुवाद करने में भाषा की चटख शायद वैसी नहीं रही, परंतु भाव लगभग वही हैं।
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1. शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोम।
2. कुछ की महानता छप जाती है कुछ की छिपी रह जाती है।
3. दुश्मन का दुश्मन दोस्त कैसे होगा? दुश्मन ख़त्म तो दोस्ती भी ख़त्म!
4. मेरी अपेक्षा के बंधन में गैर क्यों बंधे?
5. बेलगाम खरी-खोटी कहने भर से कोई सत्यवादी नहीं हो जाता, सत्य सुनने का साहस, और सत्य स्वीकारने की समझ भी ज़रूरी है।
6. ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं है। ईमानदार तो ईमानदार, बेईमान भी अपने प्रति ईमानदारी चाहते हैं।
7. जो व्यवसाय विश्वास पर टिका हो उसमें किसी का भी विश्वास नहीं किया जा सकता है।
8. अगर आपको अपने अस्तित्व पर आस्था है तो आप नास्तिक कहाँ हुए?
9. स्वयम् को बनाने और बदलने का अधिकार व्यक्ति का है, छवि को दूसरे बनाते और बदलते हैं।
10. जिसकी जैसी खाज, उसका वैसा इलाज।
आज आपके लिये दो और कथन जिनका अनुवाद नहीं हुआ है। कृपया अच्छा सा हिन्दी अनुवाद सुझायें:
11. I hate being pregnant, I love being a mother/father though.
12. Art can't stand on its own, furniture does.
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सम्बंधित कड़ियाँ
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* कच्ची धूप, भोला बछड़ा और सयाने कौव्वे
* शब्दों के टुकड़े - भाग 1, भाग 2, भाग 3, भाग 4, भाग 5, भाग 6
* सत्य के टुकड़े
* मैं हूँ ना! - विष्णु बैरागी
* खिली-कम-ग़मगीन तबियत (भाग २) - अभिषेक ओझा
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1. शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोम।
2. कुछ की महानता छप जाती है कुछ की छिपी रह जाती है।
3. दुश्मन का दुश्मन दोस्त कैसे होगा? दुश्मन ख़त्म तो दोस्ती भी ख़त्म!
4. मेरी अपेक्षा के बंधन में गैर क्यों बंधे?
5. बेलगाम खरी-खोटी कहने भर से कोई सत्यवादी नहीं हो जाता, सत्य सुनने का साहस, और सत्य स्वीकारने की समझ भी ज़रूरी है।
6. ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं है। ईमानदार तो ईमानदार, बेईमान भी अपने प्रति ईमानदारी चाहते हैं।
7. जो व्यवसाय विश्वास पर टिका हो उसमें किसी का भी विश्वास नहीं किया जा सकता है।
8. अगर आपको अपने अस्तित्व पर आस्था है तो आप नास्तिक कहाँ हुए?
9. स्वयम् को बनाने और बदलने का अधिकार व्यक्ति का है, छवि को दूसरे बनाते और बदलते हैं।
10. जिसकी जैसी खाज, उसका वैसा इलाज।
आज आपके लिये दो और कथन जिनका अनुवाद नहीं हुआ है। कृपया अच्छा सा हिन्दी अनुवाद सुझायें:
11. I hate being pregnant, I love being a mother/father though.
12. Art can't stand on its own, furniture does.
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सम्बंधित कड़ियाँ
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* कच्ची धूप, भोला बछड़ा और सयाने कौव्वे
* शब्दों के टुकड़े - भाग 1, भाग 2, भाग 3, भाग 4, भाग 5, भाग 6
* सत्य के टुकड़े
* मैं हूँ ना! - विष्णु बैरागी
* खिली-कम-ग़मगीन तबियत (भाग २) - अभिषेक ओझा
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anuvaad to nahi kar paaonga, lekin naye jamane ki ye sooktiyan hain bahut rochak...
ReplyDeleteसुंदर शब्दों के टुकड़े ..... प्रभवित करते और विचारणीय
ReplyDeleteबेहतरीन चयन. मेरा प्रयास:
ReplyDelete१. मैं माँ बनना चाहती हूँ पर उसके लिए गर्भिणी होने का झंझट क्यों पालूँ!
२. कला कोई टेबल-कुर्सी नहीं है जो अपने बूते टिकी/खड़ी रहे.
बहुत समझदारी भरी बातें हैं। पढ़कर हम भी होशियार हुए जाते हैं। आभार।
ReplyDeleteनिशांत मिश्र जी का अनुवाद उम्दा है। मैं इसे ‘प्रसव वेदना के बिना मातृत्व सुख की चाहत’ और ‘कला को सदैव आश्रय की तलाश’ कहता।
सिद्धार्थ जी ने सर्वथा उपयुक्त कहा है.
ReplyDeleteमैं अपने अनुवाद में अंगरेजी शब्दों के हिंदी समानार्थी ही साधना चाहता था. इन वाक्यों के कई बेहतरीन भावानुवाद हो सकते हैं.
निशांत, तो बस भावानुवाद ही चाहिये। शुक्रिया सिद्धार्थ जी।
ReplyDeletehate being pregnant, I love being a mother/father though. कुछ पास तो पहुंचा पर ----परीक्षा बिना प्रमाणपत्र ----
ReplyDelete1. हजारों टांकी सहकर महादेव होते हैं |
2. ख्याली पुलाव से पेट नहीं भरता |
3. नाचने निकली तो घूँघट क्या?
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी / निशांत मिश्र जी का अनुवाद
ReplyDeleteकला को सदैव आश्रय की तलाश’ उपयुक्त सब्दावली है प्रभावित हुआ---
"सहारे बिन बेल नहीं चढ़ती "
1. जगे बिना जागरण
ReplyDeleteअनुराग जी , सोना आग में तप कर ही कुंदन बनता है - उन आँखों का हँसना ही क्या - जिन आँखों में पानी ना हो ? | [ वैसे आजकल तो सरोगेट मदर का भी ज़माना है ... :)) ] ;
ReplyDeleteबेलगाम कुछ भी कह देने भर से कोई सत्यवादी नहीं होता, सत्य सुनने का साहस, और सत्य स्वीकारने की समझ भी ज़रूरी है...
ReplyDeleteनीचे!
@ shilpa mehta, Ravikar,
ReplyDeleteधन्यवाद!
अगर आपको अपने अस्तित्व पर आस्था है तो आप नास्तिक कहाँ हुए?
ReplyDeletethoughtful !!
ReplyDeleteबहुमूल्य वचन
ReplyDeleteआभार।
ये सभी विचारणीय बिन्दु हैं...
ReplyDeleteमेरे विचार से सिर्फ गर्भधारण करके मां बनना पर्याप्त नहीं है,बच्चों का सही लालन-पालन करने वाली मां ही सम्पूर्ण मां है.
हमारा वोट दस नंबरी को:)
ReplyDeleteहरेक कोट पर वाह वाह निकल गया मुंह से अपने आप...अतिशय प्रसन्नता हुई,कि बिलकुल यही विचार या विश्वास जो कहें,मेरे भी हैं...
ReplyDeleteदुश्मन का दुश्मन दोस्त कैसे होगा? दुश्मनी के आधार पर बनी दोस्ती टिकेगी कैसे?
ReplyDeletebilkul sahi
सब अच्छा है, लेकिन नंबर आठ विशेष पसंद आया
ReplyDelete1 अक्सर कमजोर अपनी कमजोरी को धैर्य का नाम देते है |
ReplyDelete३ दुर्योधन और कर्ण किन्तु वो दोनों बाद में काफी अच्छे मित्र बन गए थे जैसे की आज पाकिस्तान और चीन |
४ पर सभी यही करते है खास कर अपने परिवार के साथ |
६ कहा जाता है की बेईमानी के धंधे में ही ज्यादा ईमानदारी होती है |
७ एक व्यक्ति बैंक में लोन के लिए गया बैंक ने कहा गारेंटर लाओ उसने कहा की मैंने खाता खोलते समय तो आप से इसकी मांग नहीं की थी :)
८ इसलिए मै खुद को नास्तिक नहीं कहती मै कहती हूँ की मै भगवान में विश्वास नहीं करती हूँ |
९ पर ज्यादातर लोग अपनी छवि के पीछे ही भागते है |
11 सिद्धार्थ जी का अनुवाद अच्छा लगा | माँ बनने के लिए प्रसव वेदना सहने की कोई जरुरत नहीं है ये सिर्फ एक भावना है जो आप बच्चा गोद ले कर भी पा सकते है |
vaah !!! page save kar liya hai.
ReplyDeletebahut dino bad idhar aaya to paya ki main aur bhi bahut kuchh pa sakta tha.
ReplyDeleteहर वाक्य सोचने को विवश कर रहा है।
ReplyDeleteबहुत ही सारगर्भित पोस्ट.
ReplyDeleteI hate being pregnant, I love being a mother/father though.
ReplyDelete----------
इस शॉर्टकट पर एक गीता का श्लोक याद आता है -
इष्टान्भोगन्हि वे देवा दास्यन्ते यज्ञभाविता:।
तैर्दत्तानप्रदायैभ्यो यो भुङ्क्ते स्तेन एव स:।।
ये शब्द, वाक्यांश तो वैसे भी आपके इशारों पर नाचते हैं!!
ReplyDelete११. किसी कीमत पर , बलि का बकरा ...नहीं बनना चाहता ! १२.श्रधा आती नहीं , हो जाती है ! थोड़ी सी चेष्टा ! बाकी सब अच्छे !
ReplyDeleteबहुत उपयोगी विचार!
ReplyDeleteपहले की दोनों किश्तों की ही तरह बहुत ही सुन्दर। मैं इसमें अपने लिए संकेत देख रहा हूँ। प्रतीक्षारत हूँ।
ReplyDeleteये तो शाही टुकड़े है ....
ReplyDeleteफर्नीचर खुद को संभाल सकते हैं कलाकृतियाँ नहीं
ReplyDeleteमां बाप तो बना जा सकता है, मगर प्रसव पीड़ा?ना बाबा ना!
(कैसा लगा अनुवाद ?)
बेलगाम खरी-खोटी कहने भर से कोई सत्यवादी नहीं होता, सत्य सुनने का साहस, और सत्य स्वीकारने की समझ भी ज़रूरी है।
ReplyDeleteवाह क्या बात है !
behtreen post.....sadhuwaad
ReplyDeleteजहाँ मुर्गा नहीं होगा क्या वंहा रात नहीं खुलेगी .२ कलाकर के बिना कला का अस्तित्व
ReplyDeleteनहीं है
टुकड़ों में ज्ञान !
ReplyDeleteअगर आपको अपने अस्तित्व पर आस्था है तो आप नास्तिक कहाँ हुए? sau pratishat sahi
ReplyDeleteआधुनिक पंचतंत्र बने तो कहानियों में इन वाक्यांशों का इस्तेमाल किया जा सकता है...
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