(आलेख: अनुराग शर्मा)
1. जित्ता बड़ा दिल, उत्ता बड़ा बिल
2. किसी फिक्र का ज़िक्र करने वालों को अक्सर उस ज़िक्र की फिक्र करनी पड़ती है।
3. दोस्ती दो दिलों की सहमति से ही हो सकती है, असहयोग के लिए एक ही काफी है।
4. उदारता की एक किरण उदासी की कालिमा हर लेती है।
5. हर किसी का पक्षधर अक्सर किसी का भी पक्षधर नहीं होता, खासकर तब जब वह खुद भी दौड़ में शामिल हो।
6. अच्छी कहानियाँ पात्रों से नहीं, लेखकों से होती हैं। सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ पात्रों या लेखकों से नहीं, पाठकों से होती हैं।
7. सूमो विरोधी का बलपूर्वक सामना करता है लेकिन जूडोका विरोधी की शक्ति से ही काम चलाता है।
8. जो कुछ नहीं करते, वे गज़ब करते हैं।
9. बहरूपिये के मुखौटे के पीछे छिपे चेहरे को न पहचानकर उसे समर्थन देने वाले एक दिन खुद अपनी नज़रों में तो गिरते ही हैं, लेकिन तब तक समाज के बड़े अहित के साझीदार बन चुके होते हैं।
10. दुनिया का आधा कबाड़ा इंसानी गलतियों से हुआ। गलतियाँ सुधारने के अधकचरे, कमअक्ल और स्वार्थी प्रयासों ने बची-खुची उम्मीद का बेड़ा गर्क किया है।
11. तानाशाहों की वैचारिकी उनके हथियारबंद गिरोहों द्वारा मनवा ली जाती है, विचारकों की तानाशाही को तो उनकी अपनी संतति भी घास नहीं डालती।
आज आपके लिये कुछ कथन जिसका अनुवाद मुझसे नहीं हो सका। कृपया अच्छे से हिन्दी अनुवाद सुझायें:
=================================
सम्बंधित कड़ियाँ
=================================
* शब्दों के टुकड़े - भाग 1, भाग 2, भाग 3, भाग 4, भाग 5, भाग 6
* मैं हूँ ना! - विष्णु बैरागी
* कच्ची धूप, भोला बछड़ा और सयाने कौव्वे
* सत्य के टुकड़े - कविता
* खिली-कम-ग़मगीन तबियत (भाग २) - अभिषेक ओझा
==================================
विभिन्न परिस्थितियों में कुछ बातें मन में आयीं और वहीं ठहर गयीं। जब ज़्यादा घुमडीं तो डायरी में लिख लीं। कई बार कोई प्रचलित वाक्य इतना खला कि उसका दूसरा पक्ष सामने रखने का मन किया। ऐसे अधिकांश वाक्य अंग्रेज़ी में थे और भाषा क्रिस्प थी। हिन्दी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत है। अनुवाद करने में भाषा की चटख शायद वैसी नहीं रही, परंतु भाव लगभग वही हैं। कुछ वाक्य पहले चार आलेखों में लिख चुका हूँ, कुछ यहाँ प्रस्तुत हैं।
1. जित्ता बड़ा दिल, उत्ता बड़ा बिल
2. किसी फिक्र का ज़िक्र करने वालों को अक्सर उस ज़िक्र की फिक्र करनी पड़ती है।
3. दोस्ती दो दिलों की सहमति से ही हो सकती है, असहयोग के लिए एक ही काफी है।
4. उदारता की एक किरण उदासी की कालिमा हर लेती है।
5. हर किसी का पक्षधर अक्सर किसी का भी पक्षधर नहीं होता, खासकर तब जब वह खुद भी दौड़ में शामिल हो।
6. अच्छी कहानियाँ पात्रों से नहीं, लेखकों से होती हैं। सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ पात्रों या लेखकों से नहीं, पाठकों से होती हैं।
7. सूमो विरोधी का बलपूर्वक सामना करता है लेकिन जूडोका विरोधी की शक्ति से ही काम चलाता है।
8. जो कुछ नहीं करते, वे गज़ब करते हैं।
9. बहरूपिये के मुखौटे के पीछे छिपे चेहरे को न पहचानकर उसे समर्थन देने वाले एक दिन खुद अपनी नज़रों में तो गिरते ही हैं, लेकिन तब तक समाज के बड़े अहित के साझीदार बन चुके होते हैं।
10. दुनिया का आधा कबाड़ा इंसानी गलतियों से हुआ। गलतियाँ सुधारने के अधकचरे, कमअक्ल और स्वार्थी प्रयासों ने बची-खुची उम्मीद का बेड़ा गर्क किया है।
11. तानाशाहों की वैचारिकी उनके हथियारबंद गिरोहों द्वारा मनवा ली जाती है, विचारकों की तानाशाही को तो उनकी अपनी संतति भी घास नहीं डालती।
आज आपके लिये कुछ कथन जिसका अनुवाद मुझसे नहीं हो सका। कृपया अच्छे से हिन्दी अनुवाद सुझायें:
- You are not frugal until you use coupons at a dollar store
- Don't act, just act!
- visibility enables trust, familiarity means comfort
मुकेश निर्मित और अभिनीत "अनुराग" |
=================================
सम्बंधित कड़ियाँ
=================================
* शब्दों के टुकड़े - भाग 1, भाग 2, भाग 3, भाग 4, भाग 5, भाग 6
* मैं हूँ ना! - विष्णु बैरागी
* कच्ची धूप, भोला बछड़ा और सयाने कौव्वे
* सत्य के टुकड़े - कविता
* खिली-कम-ग़मगीन तबियत (भाग २) - अभिषेक ओझा
==================================
Don't act just act -मात्र कीजिये नहीं , तुरन्त कीजिये
ReplyDeleteDon't act, just act!
ReplyDeleteबस करो, बस कर दो।
--जब तक आप धन के बजाय कूपन्स से सामान खरीदना बन्द नहीं करेंगे मितव्ययी नहीं हो सकते।
ReplyDelete--अभिनय नहीं कार्य करें।
--जान-पहचान विश्वास बढ़ाता है पर रिश्तों की मिठास अंतरंगता से ही आती है
This comment has been removed by the author.
Delete--जान-पहचान से विश्वास तो बढ़ता है पर सम्बन्धों की मिठास अंतरंगता ही बढ़ा सकती है।
Deleteधन्यवाद विकेश!
Deleteलाजवाब ... शब्दों के टुकड़े ...
ReplyDeleteThough not perfect but still seems ok-हर माल एक रूपया वाली दुकान पर जाकर भी छूट तलाश करें,तब ही आप अल्पव्ययी कहलाने के अधिकारी हैं
ReplyDeleteबेह्तरीन शब्दों के टुकड़े ....
ReplyDeleteतीसरे वाक्यांश पर मेरे एक मुस्लिम मित्र का जवाब याद आ गया जो उनसे मैंने पूछा था कि जो निक़ाह दोनों की रज़ामन्दी से नहीं हो सकता, उसे तीन बार तलाक़ कहकर आदमी कैसे तोड़ सकता है. उनका जवाब भी यही था कि रिश्ते दोनों की रज़ामन्दी से होते हैं, लेकिन उसे तोड़ने के लिये एक की मर्ज़ी ही काफ़ी है. हालाँकि उनके पास इस बात का जवाब नहीं था कि वो एक ‘औरत’ क्यों नहीं!
ReplyDeleteगृह कार्य:
1. (क्षमा आचार्य जी!)
2. अभिनय मत करो, बस करो!!
3. देखन में विश्वास है, परिचय में आराम
आपकी इस प्रस्तुति को आज कि फटफटिया बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteनिःशब्द करती मन को
ReplyDeleteजो कुछ नहीं करते गज़ब करते हैं की ही तर्ज पर जो बहुत अच्छा नहीं लिखते , गज़ब लिखते हैं :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया एक से एक मुझे सबसे खास यह लगा
ReplyDelete5. हर किसी का पक्षधर अक्सर किसी का भी पक्षधर नहीं होता, खासकर तब जब वह खुद भी दौड़ में शामिल हो।
दौड़ में शामिल व्यक्ति सच में निष्पक्ष नहीं हो सकता !
सॉरी, मै अच्छी अनुवादक नहीं हूँ :)
ReplyDeleteदोस्ती दो दिलों की सहमति से ही हो सकती है, असहयोग के लिए एक ही काफी है।
ReplyDeleteसही है :)
बहुत रोचक वाक्य..सभी एक से बढकर एक..बधाई !
ReplyDeleteबहुत सुंदर :)
ReplyDeleteशुभ-चिन्तन की पेरणा ले कर जा रही हूँ । चिन्तनीय-मननीय-स्मरणीय-करणीय ।
ReplyDeleteसुभाषितानि हिन्दी में।
ReplyDeleteDon't act, just act! - गज़्ज़ब!!
ReplyDelete१. दिखावा मत करो, कर दो
२. करो मत, बस दिखावा करो :)
उस्ताद जी तो छा गए:
Delete1. दिखावा करो, मत करो
2. दिखावा करो मत, करो
गलत गल्ल है उस्तादजी :)
Delete