Sunday, June 12, 2011

मेरे मन के द्वार - चित्रावली


दीनदयाल के द्वार न जात सो और के द्वार पै दीन ह्वै बोलै।
श्री जदुनाथ से जाके हितू सो तिपन क्यों कन माँगत डोलै॥
~ भक्त नरोत्तमदास (1493-1545)

भारत, जापान, कैनैडा व अमेरिका से कुछ चुने हुए द्वार

पेंसिलवेनिया राज्य में व्रज मन्दिर का द्वार 

वृन्दावन धाम के एक मन्दिर का द्वार

वृन्दावन धाम

वृन्दावन धाम

उत्तरी अमेरिका से एक द्वार

हिम-धूसरित केम्ब्रिज में एक द्वार 

जापान में एक तोरी (तोरण द्वार) 

जापान के एक मन्दिर का द्वार

कमाकुरा के विशाल बुद्ध मन्दिर का सिंहद्वार

तोक्यो नगर में एक मन्दिर का द्वार 

बोस्टन का एक द्वार

स्वर्णिम द्वार

द्वार-युग्म

कब्रिस्तान - काल का द्वार

एक अनाथ द्वार

मोंट्रीयल का एक ऐतिहासिक द्वार

Dataganj-Budaun-India
मेरे गाँव का एक द्वार

India Gate -  इंडिया गेट
मेरे देश का एक गौरवमय द्वार

[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]

39 comments:

  1. बड़े ही सुन्दर चित्र।

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  2. बड़े ही सुन्दर द्वार. बस हम लोग भारत में अपनी चीजों को संभालने में चूक जाते हैं.

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  3. मन बंजारा भटके देखो द्वारे-द्वारे।
    ...सुंदर चित्र।

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  4. वाह ये कहाँ से ढूँडः लाये आप? सुन्दर।

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  5. कुछ खुले कुछ बंद द्वार

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  6. सारे द्वार दर्शनीय ,पर बिना दरवाज़े की चौखट (आपके गाँव का एक द्वार), प्रकृति के मुक्त दर्शन कराने के लिए दीवार के बीच जैसे एक फ़्रेम बनी खड़ी है .

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  7. आपने तो कईं चिंतन द्वार खोल दिए………

    बुरे कार्यों के फल स्वरूप एक जेल का द्वार भी जरूरी था।
    लोभ पाप का द्वार है।
    सहानुभूति मन का द्वार है।
    तृष्णा ही दुखों का द्वार है।
    संतोष सुख का द्वार है।
    समभाव स्वर्ग का द्वार है।
    विवेक सम्यक-ज्ञान का द्वार है।
    विनम्रता आनंद का द्वार है।
    चित्त की चंचलता ही पतन का द्वार है।

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  8. आकर्षित करते दरवाजे ..एक बार बरेली के शमशान के बाहर एक दरवाजा देखा था जहाँ लिखा था "हे मृत्यु !हे नश्वर आगे बढ़ो आगे का मार्ग यही है ,कुछ मैंने भी लिखा था
    http://sonal-rastogi.blogspot.com/2010/12/blog-post_22.html

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  9. नयनाभिराम -तनिक मुक्ति द्वार भी दिखलाए होते

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  10. द्वारों का बहुत ही उम्दा संकलन है....अच्छा लगा देख..
    एक नया शब्द भी मिला..'हिम-धूसरित'..रोचक :)

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  11. हमारे देश का गौरवपूर्ण द्वार, सभी सैनिकों की विजय गाथा लिए... सबसे अनूठा है|

    धन्यवाद इस सुन्दर पोस्ट के लिए :]

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  12. @बरेली के शमशान
    @हे मृत्यु !हे नश्वर आगे बढ़ो आगे का मार्ग यही है

    बरेली के श्मशान से अपना भी नाता रहा है।

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  13. अपने को तो शीर्षक से ’पड़ौसन’ का गाना याद आ गया।
    जाकी रही भावना जैसी:)

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  14. अनुराग जी, विश्व के तरह-तरह के द्वारों का दर्शन वास्तव में नयनाभिराम है.
    @ अरविन्द जी, मुक्ति का द्वार देखने से पहले हमें शरीर के मुख्य द्वारों को साधना होगा.

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  15. आपकी निराली कार्यशैली सार्थक प्रयत्न प्रशंसनीय हैं ,खोजी मानसिकता ,कुछ नयेपन का अंदाज सराहनीय है , अपने दिखाया है- दर्शन, विचार , हम कहाँ हैं ?,कैसी है हमारी सोच ,? कितना कुछ करना है ...
    शुक्रिया जी /

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  16. बहुत ही सुंदर चित्र......

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  17. वाह इतने सारे द्वार और इतनी तरह के .बेहतरीन संकलन.आभार.

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  18. सुन्दर. आपके चित्र देखकर हमें भी मन हो रहा है अपनी पुरानी पोटली खोलने का.

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  19. विचार के रास्‍ते खोलते द्वार.

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  20. एक साथ इतने द्वार ...
    अभिनव दृष्टि है आपकी ...

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  21. भांति भांति के द्वार देखकर अद्भुत अनुभूति हुयी। कहीं विस्मृत करती कला , तो कहीं विरक्ति पैदा करते काल द्वार तो कहीं निज पर अभिमान करते देश के द्वार। आभार इस सुन्दर , मनभावन प्रस्तुति के लिए।

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  22. सुन्दर चित्र, विस्तृत चित्रण

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  23. सारे व्दार के दर्शन किये । शुरु में लिखा गया दोहा बहुत अच्छा लगा भक्त नरोत्तम का । नोट कर दिया है। यहां तिपन का अर्थ त्रिपन 53 होगा शायद । एक जब वह अपना हितेैषी है तो तिरपन घर अर्थात घर घर क्यों भटकें दानों के लिये । आनन्द आगया

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  24. सुंदर चित्र.....बधाई स्वीकारें !

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  25. व्रजमोहन श्रीवास्तव जी,

    दोहे का अर्थ स्पष्ट करने के लिये आपका बहुत-बहुत आभार!

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  26. बहुत ही उम्दा प्रस्तुती

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  27. चित्र को सहेजना और फिर उसका अवलोकन दोनों ही उत्कृष्ट हैं नयनाभिराम.

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  28. सुन्दर संकलन. साँची का तोरण द्वार भी गजब का है.

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  29. विभिन्न देशों के द्वारों का दर्शन चित्रों के द्वारा करवाने हेतु आभार.बेहतरीन संकलन.

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  30. दरवाजे ही दरवाजे .. एक से बढकर एक !!

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  31. चित्रों के माध्यम से आपका संस्कृति बोध रिश्ता है .आभार .

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  32. सुंदर चित्र हैं भाई साहब नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे, द्वार हैं बहुत सारे।

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  33. मस्त,
    एकदम अलग |
    आभार ||

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  34. गाँव का द्वार सबसे अनूठा है..

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  35. तरह - तरह के द्वार देख ऐसा लगा , जैसे ये यह कह रहे हो की द्वार पर मत जाओ ..अपने अन्दर के व्यवहार को संगठित करो और परोपकार में विसर्जित ! सुन्दर एवं मनभावन !

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  36. पेंसिलवेनिया के व्रज मन्दिर का द्वार बहुत सुंदर लग रहा है.

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