दीनदयाल के द्वार न जात सो और के द्वार पै दीन ह्वै बोलै।
श्री जदुनाथ से जाके हितू सो तिपन क्यों कन माँगत डोलै॥
~ भक्त नरोत्तमदास (1493-1545)
भारत, जापान, कैनैडा व अमेरिका से कुछ चुने हुए द्वार
पेंसिलवेनिया राज्य में व्रज मन्दिर का द्वार |
वृन्दावन धाम के एक मन्दिर का द्वार |
वृन्दावन धाम |
वृन्दावन धाम |
उत्तरी अमेरिका से एक द्वार |
हिम-धूसरित केम्ब्रिज में एक द्वार |
जापान में एक तोरी (तोरण द्वार) |
जापान के एक मन्दिर का द्वार |
कमाकुरा के विशाल बुद्ध मन्दिर का सिंहद्वार |
तोक्यो नगर में एक मन्दिर का द्वार |
बोस्टन का एक द्वार |
स्वर्णिम द्वार |
द्वार-युग्म |
कब्रिस्तान - काल का द्वार |
एक अनाथ द्वार |
मोंट्रीयल का एक ऐतिहासिक द्वार |
मेरे गाँव का एक द्वार |
मेरे देश का एक गौरवमय द्वार |
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]
बड़े ही सुन्दर चित्र।
ReplyDeleteबड़े ही सुन्दर द्वार. बस हम लोग भारत में अपनी चीजों को संभालने में चूक जाते हैं.
ReplyDeleteमन बंजारा भटके देखो द्वारे-द्वारे।
ReplyDelete...सुंदर चित्र।
वाह ये कहाँ से ढूँडः लाये आप? सुन्दर।
ReplyDeleteकुछ खुले कुछ बंद द्वार
ReplyDeleteसारे द्वार दर्शनीय ,पर बिना दरवाज़े की चौखट (आपके गाँव का एक द्वार), प्रकृति के मुक्त दर्शन कराने के लिए दीवार के बीच जैसे एक फ़्रेम बनी खड़ी है .
ReplyDeleteआपने तो कईं चिंतन द्वार खोल दिए………
ReplyDeleteबुरे कार्यों के फल स्वरूप एक जेल का द्वार भी जरूरी था।
लोभ पाप का द्वार है।
सहानुभूति मन का द्वार है।
तृष्णा ही दुखों का द्वार है।
संतोष सुख का द्वार है।
समभाव स्वर्ग का द्वार है।
विवेक सम्यक-ज्ञान का द्वार है।
विनम्रता आनंद का द्वार है।
चित्त की चंचलता ही पतन का द्वार है।
आकर्षित करते दरवाजे ..एक बार बरेली के शमशान के बाहर एक दरवाजा देखा था जहाँ लिखा था "हे मृत्यु !हे नश्वर आगे बढ़ो आगे का मार्ग यही है ,कुछ मैंने भी लिखा था
ReplyDeletehttp://sonal-rastogi.blogspot.com/2010/12/blog-post_22.html
नयनाभिराम -तनिक मुक्ति द्वार भी दिखलाए होते
ReplyDeleteद्वारों का बहुत ही उम्दा संकलन है....अच्छा लगा देख..
ReplyDeleteएक नया शब्द भी मिला..'हिम-धूसरित'..रोचक :)
हमारे देश का गौरवपूर्ण द्वार, सभी सैनिकों की विजय गाथा लिए... सबसे अनूठा है|
ReplyDeleteधन्यवाद इस सुन्दर पोस्ट के लिए :]
@बरेली के शमशान
ReplyDelete@हे मृत्यु !हे नश्वर आगे बढ़ो आगे का मार्ग यही है
बरेली के श्मशान से अपना भी नाता रहा है।
अपने को तो शीर्षक से ’पड़ौसन’ का गाना याद आ गया।
ReplyDeleteजाकी रही भावना जैसी:)
अनुराग जी, विश्व के तरह-तरह के द्वारों का दर्शन वास्तव में नयनाभिराम है.
ReplyDelete@ अरविन्द जी, मुक्ति का द्वार देखने से पहले हमें शरीर के मुख्य द्वारों को साधना होगा.
आपकी निराली कार्यशैली सार्थक प्रयत्न प्रशंसनीय हैं ,खोजी मानसिकता ,कुछ नयेपन का अंदाज सराहनीय है , अपने दिखाया है- दर्शन, विचार , हम कहाँ हैं ?,कैसी है हमारी सोच ,? कितना कुछ करना है ...
ReplyDeleteशुक्रिया जी /
बहुत ही सुंदर चित्र......
ReplyDeleteवाह इतने सारे द्वार और इतनी तरह के .बेहतरीन संकलन.आभार.
ReplyDeleteसुन्दर. आपके चित्र देखकर हमें भी मन हो रहा है अपनी पुरानी पोटली खोलने का.
ReplyDeleteविचार के रास्ते खोलते द्वार.
ReplyDeleteएक साथ इतने द्वार ...
ReplyDeleteअभिनव दृष्टि है आपकी ...
भांति भांति के द्वार देखकर अद्भुत अनुभूति हुयी। कहीं विस्मृत करती कला , तो कहीं विरक्ति पैदा करते काल द्वार तो कहीं निज पर अभिमान करते देश के द्वार। आभार इस सुन्दर , मनभावन प्रस्तुति के लिए।
ReplyDeleteसुन्दर चित्र, विस्तृत चित्रण
ReplyDeleteसारे व्दार के दर्शन किये । शुरु में लिखा गया दोहा बहुत अच्छा लगा भक्त नरोत्तम का । नोट कर दिया है। यहां तिपन का अर्थ त्रिपन 53 होगा शायद । एक जब वह अपना हितेैषी है तो तिरपन घर अर्थात घर घर क्यों भटकें दानों के लिये । आनन्द आगया
ReplyDeleteजी आभार!
Deleteसुंदर चित्र.....बधाई स्वीकारें !
ReplyDeleteव्रजमोहन श्रीवास्तव जी,
ReplyDeleteदोहे का अर्थ स्पष्ट करने के लिये आपका बहुत-बहुत आभार!
बहुत ही उम्दा प्रस्तुती
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteचित्र को सहेजना और फिर उसका अवलोकन दोनों ही उत्कृष्ट हैं नयनाभिराम.
ReplyDeleteसुन्दर संकलन. साँची का तोरण द्वार भी गजब का है.
ReplyDeleteविभिन्न देशों के द्वारों का दर्शन चित्रों के द्वारा करवाने हेतु आभार.बेहतरीन संकलन.
ReplyDeleteदरवाजे ही दरवाजे .. एक से बढकर एक !!
ReplyDeleteचित्रों के माध्यम से आपका संस्कृति बोध रिश्ता है .आभार .
ReplyDeleteसुंदर चित्र हैं भाई साहब नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे, द्वार हैं बहुत सारे।
ReplyDeleteमस्त,
ReplyDeleteएकदम अलग |
आभार ||
गाँव का द्वार सबसे अनूठा है..
ReplyDeleteतरह - तरह के द्वार देख ऐसा लगा , जैसे ये यह कह रहे हो की द्वार पर मत जाओ ..अपने अन्दर के व्यवहार को संगठित करो और परोपकार में विसर्जित ! सुन्दर एवं मनभावन !
ReplyDeleteपेंसिलवेनिया के व्रज मन्दिर का द्वार बहुत सुंदर लग रहा है.
ReplyDeletesundar chitr - aabhaar
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