23 अक्टूबर 1960 को जन्मे पौष जी पिट्सबर्ग में कार्नेगी मेलन विश्व विद्यालय में अध्यापन करते थे। 2006 में उन्हें पैंक्रियाज़ के कैंसर का पता लगा। बहुत अच्छा इलाज होने के बावजूद बीमारी शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलती रही। पिछले वर्ष उनके चिकित्सकों ने उनको पाँच महीने का समय दिया। 18 सितम्बर 2007 को कार्नेगी मेलन विश्व विद्यालय ने उनके मान में "अन्तिम भाषण" (The Last Lecture) का आयोजन किया।
बड़े लोगों की बड़ी-बड़ी बातों से प्रभावित होने के मामले में मेरी बुद्धि थोड़ी सी ठस है। लेकिन मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि "अन्तिम भाषण" की कोटि का कुछ भी मैंने पिछले कई सालों में तो नहीं देखा, न सुना।
"अन्तिम भाषण" ज़िंदगी से हारे हुए, किसी पिटे हुए शायर का कलाम नहीं है। न ही यह मौत से भागने के प्रयास में किया गया करुण क्रंदन है। इसके विपरीत यह एक अति-सफल व्यक्ति का अन्तिम प्रवचन है - शायद वैसा ही जैसा अपने अन्तिम क्षणों में रावण ने राम को या भीष्म पितामह ने पांडवों को दिया था।
रीयली अचीविंग योर चाइल्डहुड ड्रीम्ज़
"अन्तिम भाषण" का आधिकारिक शीर्षक था - "अपने बचपन के सपनों को सार्थक कैसे करें" (Really achieving your childhood dreams)। प्रोफ़ेसर पौष ने इसको संपन्न करते हुए कहा कि यदि आप अपना जीवन सच्चाई से गुजारते हैं तो आपके कर्म (Karma) इस बात का ध्यान रखेंगे कि आपके सपने अपने आप हकीकत बनकर आप तक पहुँचे। पतंजलि ने योगसूत्र में इसी को सिद्धि कहा है जो कि पूर्णयोग से पहले की एक अवस्था है।
उनके भाषण में सफलता के कारक जिन गुणों पर ख़ास ज़ोर दिया गया है वे निम्न हैं: सपनों की खोज, खुश रहना, खुश रखना, ईमानदारी, अपनी गलती स्वीकार करना और उसको सुधारने के लिए दूर तक जाना, कृतज्ञता, वीरता, विनम्रता, सज्जनता, सहनशीलता, दृढ़ इच्छाशक्ति, दूसरों की स्वतन्त्रता का आदर, और इन सबसे ऊपर - दे सकने की दुर्दम्य इच्छाशक्ति।
"अन्तिम भाषण" पर आधारित उनकी पुस्तक एक साल से कम समय में ही 30 भाषाओं में अनूदित हो चुकी है। अगर आपने "अन्तिम भाषण" का यह अविस्मरणीय अवसर अनुभव नहीं किया है तो एक बार ज़रूर देखिये। ध्यान से सुनेंगे और रोशनी को अन्दर आने से बलपूर्वक रोकेंगे नहीं तो यह भाषण आपके जीवन की दिशा बदल सकता है।
आज सुबह चार बजे रैंडी पौष इस दुनिया में नहीं रहे। मेरी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे। यूट्यूब पर उनके इस "अन्तिम भाषण" के अनेक अंश उपलब्ध है. एक यहाँ लगा रहा हूँ - यदि आप में से कोई देखना चाहें तो।
भाषण की पीडीऐफ़ फाइल डाउनलोड करने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये
उनके भाषण में सफलता के कारक जिन गुणों पर ख़ास ज़ोर दिया गया है वे निम्न हैं: सपनों की खोज, खुश रहना, खुश रखना, ईमानदारी, अपनी गलती स्वीकार करना और उसको सुधारने के लिए दूर तक जाना, कृतज्ञता, वीरता, विनम्रता, सज्जनता, सहनशीलता, दृढ़ इच्छाशक्ति, दूसरों की स्वतन्त्रता का आदर, और इन सबसे ऊपर - दे सकने की दुर्दम्य इच्छाशक्ति।
"अन्तिम भाषण" पर आधारित उनकी पुस्तक एक साल से कम समय में ही 30 भाषाओं में अनूदित हो चुकी है। अगर आपने "अन्तिम भाषण" का यह अविस्मरणीय अवसर अनुभव नहीं किया है तो एक बार ज़रूर देखिये। ध्यान से सुनेंगे और रोशनी को अन्दर आने से बलपूर्वक रोकेंगे नहीं तो यह भाषण आपके जीवन की दिशा बदल सकता है।
आज सुबह चार बजे रैंडी पौष इस दुनिया में नहीं रहे। मेरी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे। यूट्यूब पर उनके इस "अन्तिम भाषण" के अनेक अंश उपलब्ध है. एक यहाँ लगा रहा हूँ - यदि आप में से कोई देखना चाहें तो।
भाषण की पीडीऐफ़ फाइल डाउनलोड करने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये
BAHUT HI PRERAK PRASANG BATAYA AAPNE.
ReplyDeleteWAASTAV ME AANKHE KHOLANE JAISE.
IN CHOTI-CHOTI BATO KO AGAR HAM JIWAN ME UTAR LE TO KHUSHIYAN HI KHUSHIYA CHHA JAAYE.
AAPKO DHANYAVAD.
आज सुबह चार बजे प्रोफेसर रैंडी पौष इस दुनिया में नहीं रहे। सबसे प्रथम तो मैं इस महान आत्मा को प्रणाम करते हुए इश्वर से उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करता हूँ !
ReplyDeleteयदि आप अपना जीवन सच्चाई से गुजारते हैं तो आपके कर्म (Karma) इस बात का ध्यान रखेंगे कि आपके सपने अपने आप हकीकत बनकर
आप तक पहुंचें।
प्रोफेसर रैंडी पौष का यह कथन ही उनको पतंजलि
की व्याख्यानुसार सिद्धी की श्रेणी में खडा कर देता है !
पतंजलि ने योग सूत्र में इसी को सिद्धि कहा है जो कि पूर्ण योग से पहले की अवस्था है।
और आपका ये उद्धरण देना आपको भी सरस्वती का
वरदान प्राप्त हो चुका है यह सिद्ध करता है !
सही में मित्र आपने बड़ा उपकार किया है जो प्रोफेसर
साहब को श्रद्धांजली अर्पित करने का मौका दिया है !
पातंजली योग सूत्र में आपकी रुची बहुत कुछ कह रही है ! असल में मैं थक चुका था पातंजली को पढ़ते पढ़ते ! कुछ भी समझ आने को तैयार नही था ! पातंजली बाबा ने कसम खा ली थी की मैं इस
हरयाणवी की समझ में नही आउंगा ! पर वो
हरयाणवी ही क्या ? जो चुप बैठ जाय !
मुझे खोज करते करते कालांतर में आचार्य
रजनीश के द्वारा पातंजली योग सूत्र पर दिए
गए भाषणों पर संकलित ४ मोटी मोटी
किताबे मिली ! देख कर ही डर गया !
हिम्मत करके पढ़ना शुरू किया ! चारों
किताबे कम पड़ने लगी ! कितनी बार पढी ?
कह नही सकता ! पातंजली और इतने सरल ?
यहाँ ये सब लिखने का तात्पर्य सिर्फ़ इतना
है की आपके लेख को पढ़ने के बाद पाठकों
की सहज ही जिज्ञासा जगेगी पातंजली में !
मैंने अपनी पसंद बता दी ! बाक़ी सबका
अपना अपना ठिकाना है |
आपसे निवेदन है की इसी तरह के सार
गर्भित विषयों को तरजीह देते रहे |
ठिलुआई के लिए तो ताऊ ही बहुत है 1
आपको इतनी सुंदर पोस्ट के लिए बहुत बहुत
धन्यवाद और शुभकामनाए !
pranam kartaa hun us mahapurush ko jo maut ke saamne bhi hans kar khada raha.badhai aapko ek prerak prasang bataane ke liye khaaskar aise daur me jab har koi matlab parast nazar aata hai,ek bar fir badhai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर। कुछ सुना। अन्तत: इस व्याख्यान की पीडीएफ फाइल डाउनलोड कर ली है
ReplyDeleteछब्बीस पेज इत्मीनान से पढ़ूंगा।
प्रेरक! प्रोफेसर पौष को श्रद्धांजलि।
सुनकर आनंद आया विडियो डाउन लोड कर ली अब रोज सुना करेंगे !! आभार
ReplyDeleteप्रेरक और सुंदरतम लेख के लिए सादर बधाई।
ReplyDeleteसंपूर्ण वार्ता की वीडियो कड़ी तथा पीडीएफ़ डाउनलोड कड़ी भी दें तो उत्तम.
ReplyDeleteसंपूर्ण वार्ता की यूट्यूब वीडियो कड़ी -
ReplyDeletehttp://www.youtube.com/watch?v=ji5_MqicxSo
पीडीएफ़ फ़ाइल डाउनलोड
http://www.cs.virginia.edu/~robins/Randy/Randy_Last_Lecture_transcript.pdf
पावरपाइंट प्रेजेन्टेशन
http://download.srv.cs.cmu.edu/~pausch/Randy/Randy/pauschlastlecturelowresolution.ppt
नमस्कार " स्मार्ट इंडियन जी "
ReplyDeleteसबसे पहले तो आपने मेरे ब्लॉग पर पधार कर प्रोत्साहन दिया इसके लिए हृदय से आभारी हूँ
आपके ब्लॉग के काफ़ी सारे पोस्ट पढ़े ,बहुत रुचिकार लेखन है
ब्लॉग्स आपके लेखन की सक्रियता के लए आपको बहुत बधाई
कल बेंगलोर के धमाके से मान बड़ा आहत हुआ
इसी को लेकर एक आव्हान के तौर पर आज मैने एक शेर पोस्ट किया है
" इस धरा पर दोस्तों फिर गिद्ध मंडराने लगे
मौत का सामान फ़ि जुटने लगा ,कुछ कीजिए ...."
शेष रचना के लिए देखें
प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा मे
डॉ.उदय 'मणि ' कौशिक
प्रोफेसर रैंडी पौष को श्रद्धांजली किन शब्दों में दें ?
ReplyDeleteउनकी बीमारी ने ये आभास सबको करा ही रखा था ! पर वो मनहूस दिन आज का होगा ! ये ना सोचा था ! ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे ! अन्तिम भाषण मेरे लिए गीता जितना ही पवित्र है ! भरे दिल से अलविदा प्रोफेसर साहब !
आनंद आया और पी डी एफ भी सेव कर लिया. बहुत आभार.
ReplyDeleteप्रोफेसर रैंडी पौष की आत्मा को ईश्वर शान्ति
ReplyDeleteदे ! प्रोफेसर रैंडी पौष के बारे में मेरे पति से
सूना था ! अब उनके वापस आने के बाद वह
किताब लेकर पढूंगी और यू ट्यूब की लिंक से
भी मदद मिल ही जायेगी ! धन्यवाद !
यह प्रेरक प्रसंग बताने के लिए आपका आभार। सचमुच वे लोग खुशनसीब होंगे, जो डॉ. रैंडी पौष से पढ़े हैं या मिले हैं। उनकी दिवंगत आत्मा को मेरा प्रणाम और हार्दिक श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteप्रेरक अदभुत अंतहीन सत्यार्थी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर प्रथम विसित है आराम से पूरा बांचूंगा
टिप्पणी के लिए आभार
आपका स्नेही मुकुल
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteBhai Wah Pandit ji, aapse mil kar bahut prasannata hui.
ReplyDeleteसुन्दर भाषाण हम तक पहुचाने के लिये धन्यवाद, मे इश्वर से उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करता हूँ ,धरती ने एक रत्न खो दिया
ReplyDeleteइस समय एबीसी पर नाइटलाइन देख रहा हूँ, रैंडी पॉश के बारे में। साथ में कंप्यूटर ले कर बैठा था कि इन के बारे में अपने ब्लॉग पर लिखूँगा - यदि किसी ने पहले ही न लिखा हो। खोज की तो आप का लेख मिला। धन्यवाद। "पौष" वर्तनी कुछ अलग लगी, जिस के कारण आप के लेख को खोजने में थोड़ा समय लगा। महीनों पहले जब से किसी ने इन के भाषण के वीडियो की कड़ी किसी ने ईमेल में भेजी, तभी से उन से प्रेरित हूँ।
ReplyDeleteरैंडी को सलाम.....महामानव थे वो !
ReplyDeleteआभार
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