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पिट्सबर्ग में चार जुलाई के समारोह के अगले दिन ही अचानक ही न्यूयॉर्क जाने का संयोग बन गया। वैसे तो वहाँ इतनी बार जाना होता है मानो मेरा एक घर वहीं हो परंतु हर बार समय इतना कम होता है कि जब तक किसी को बताने की सोचूँ, तब तक वापस आ चुका होता हूँ। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। घर से निकलते ही अपने न्यूयॉर्क के कुछ मित्रों को पूर्वसूचना दे दी। एक मित्र के साथ एक पूरा दिन रहा। ग्राउण्ड ज़ीरो से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की दौड के बीच में कुछ देर तफ़रीह का समय भी मिला।
इस यात्रा के कुछ चित्र प्रस्तुत हैं, शायद आपको पसन्द आयें।
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: All photos by Anurag Sharma]
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
* स्टेटस ऑफ चाइनीज़ पीपल (अंग्रेज़ी)
* संयुक्त राष्ट्र (विकीपीडिया)
* न्यूयॉर्क में हिंदी
पिट्सबर्ग में चार जुलाई के समारोह के अगले दिन ही अचानक ही न्यूयॉर्क जाने का संयोग बन गया। वैसे तो वहाँ इतनी बार जाना होता है मानो मेरा एक घर वहीं हो परंतु हर बार समय इतना कम होता है कि जब तक किसी को बताने की सोचूँ, तब तक वापस आ चुका होता हूँ। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। घर से निकलते ही अपने न्यूयॉर्क के कुछ मित्रों को पूर्वसूचना दे दी। एक मित्र के साथ एक पूरा दिन रहा। ग्राउण्ड ज़ीरो से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की दौड के बीच में कुछ देर तफ़रीह का समय भी मिला।
इस यात्रा के कुछ चित्र प्रस्तुत हैं, शायद आपको पसन्द आयें।
हैम्सली भवन |
प्रमुख डाकघर |
आतंकवादियों द्वारा गिराये गये जुडवाँ स्तम्भों के स्थल पर कार्य जारी है |
आतंकियों द्वारा गिराये स्तम्भ के स्थल पर आकार लेता एक नया भवन |
गतिमान पुलिस का तिपहिया वाहन |
नगर के एक मुख्य मार्ग पर घुडसवार पुलिस अधिकारी |
संयुक्त राष्ट्र परिसर में एक कलाकृति |
स्वर्णमण्डित स्वातंत्र्य की देवी |
ग्रैंड सेंट्रल स्टेशन |
यहाँ के सिगार कास्त्रो नहीं खरीद सकता - एक पुरानी दुकान |
न्यूयॉर्क ने मात्र 18 मास में एम्पायर इस्टेट बिल्डिंग खडी कर दी थी |
विश्व की व्यापार राजधानी के लिये - भारत में बना हुआ |
ज़मीन कब्ज़ियाने के लिये शंघाई नागरिकों पर हो रहे कम्युनिस्ट अत्याचारों की कहानी सुनाने संयुक्त राष्ट्र कार्यालय आये चीनी शरणार्थी |
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी 2011 में भी अपनी जनता को दोज़ख भेज रही है |
अधिकांश चीनी पीछे छूटे अपने परिवार के डर से कैमरा के सामने नहीं आये परंतु यह दो निडर प्रस्तुत हैं |
बन्दूक द्वारा जनता को कुचलने वालों का दुनिया भर में वही हाल होगा जो इस पिस्तौल का हुआ है |
वापसी से पहले युवा और विद्वान ब्लॉगर अभिषेक ओझा के दर्शन हुए, यात्रा सफल रही। |
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: All photos by Anurag Sharma]
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
* स्टेटस ऑफ चाइनीज़ पीपल (अंग्रेज़ी)
* संयुक्त राष्ट्र (विकीपीडिया)
* न्यूयॉर्क में हिंदी