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क्या कहा? आपको नई पोस्ट लिखने का आइडिया नहीं मिल रहा? हमें भी नहीं मिल रहा। आइये ब्लॉग भ्रमण पदयात्रा पर निकलते हैं एक से एक नायाब आइडिया लेने। यह पोस्ट "अपोस्ट से आगे - कुपोस्ट तक" का विस्तार ही है। किसी भी ब्लॉग, ब्लॉगर, बेनामी, अनामी, पोस्ट, प्रविष्टि, टिप्पणी, व्यवहार, लक्षण, बीमारी, कविता, कहानी, व्यंग्य आदि से समानता संयोग मात्र है। आलोचनाओं और आपत्तियों का स्वागत है। हाँ, सोते समय मैं टिप्पणियाँ मॉडरेट नहीं कर सकूंगा। मेरे जागने तक कृपया धैर्य रखें। जो पाठक "सैंस ओफ़ ह्यूमर" को साँप की जाति का प्राणी समझते हों, वे "अपोस्ट से कुपोस्ट तक" के इस सफ़र को न पढें तो उनकी अगली "प्रतिक्रियात्मक" पोस्ट के पाठकों का बहुमूल्य समय नष्ट होने से बच जायेगा।
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[रश्मि जी, शिल्पा जी के सुझाव और सद्भावना का आदर करते हुए इस पोस्ट पर टिप्पणी का प्रावधान बन्द कर दिया गया है। आपकी असुविधा के लिये खेद है।]
- आज फिर पत्नी ने हमें बेलन से पीटा। हमने भी कह दिया कि अगर एक बार भी और मारा तो हम ... ... ... ... प्यार से फिर पिट लेंगे पर ब्लॉगिंग नहीं छोड़ेंगे।
- हम पागल नहीं हैं। आप लोग हमें पागल न समझें। हमारी नौकरी हमारे पागलपन के कारण नहीं छूटी है। काम-धाम तो हम अपनी मर्ज़ी से नहीं करते हैं ताकि कीबोर्ड-सेवा कर सकें। वर्ना हम तो पीएचडी हैं, डॉ फ़ुर्सत लाल, ... "आवारा" तो हमारा तखल्लुस है यूँ ही धोखा देने के लिये। कहावत भी है, भूत के लात, लगाने के और, चलाने के और।
- आज हमारी पत्नी ने पूछा, "आज भी खाना खायेंगे क्या?" हमने जवाब नहीं दिया और उनके विरोध में यह पोस्ट लिख दी। आखिर हम अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी तो नहीं छोड़ सकते न!
- आज एक पत्नी ने पति से पूछा, "सुनते हो! आज साड़ी धुला लूँ क्या? मैली हो गयी है।"
- आज एक पति ने पत्नी से पूछा, "सुनती हो! आज दाढी बना लूँ क्या? नाई की दुकान बन्द है।"
- आज एक फलवाले ने ग्राहक से पूछा, "दीदी जी? आखिरी बचा है, मुफ़्त में दे दूंगा। क्या कहती हैं जी?"
- आज एक बिना नहाये गन्धाते टिप्पणीकार ने एक ओवर-पर्फ़्यूम्ड ब्लॉगर से कहा, "कब तक अपना रोना रोते रहोगे? आखिरी टिप्पणी दे तो दी, फिर भी कहते हो, सुधरने का मौका नहीं मिला।"
- एक बोगस साइट ने हमारे ब्लॉग का मूल्य एक मिलियन डॉलर आंका है। अफ़सोस कि अमेरिकी संस्था के प्लैटफॉर्म/सर्वर पर बने इस ब्लॉगर का पैसा भी अमेरिका ही जाता है। क्या हमारे स्विस खाते में नहीं जा सकता?
- यह हमारी सांख्यिकीय पोस्ट है। हमने दो साल में अपने ब्लॉग पर 20 लोगों को 2000 गालियाँ दीं और 200 को बैन किया।
- हिन्दी ब्लॉगिंग में काफ़ी गुटबन्दी है। कुछ सीनियर डॉक्टर ब्लॉगर ऐसा कहते हैं कि हमारा क्लिनिकल डिप्रैशन और बाइपोलर डिसऑर्डर इलाज के बिना ठीक नहीं हो सकता है। हमने भी दृढ प्रतिज्ञा कर ली है कि हम अपनी बीमारियाँ ब्लॉगिंग से ही ठीक करके दिखायेंगे। एक पाठक ने अपना स्कीज़ोफ़्रीनिया भी ऐसे ही ठीक किया था। और फिर हम तो आत्माकल्प वाली मृत-संजीवनी बूटी भी पीते हैं।
- पिछले 250 आलेखों की तरह इस आलेख को भी हमारा अंतिम आलेख समझा जाये। पिछले सौ हफ़्तों की तरह इस हफ़्ते फ़िर हम टंकी पर उछलेंगे। आप मनायेंगे तो हम उतर आयेंगे। किसी ने नहीं मनाया तो हम अपनी बेनामी पहचानों का प्रयोग कर लेंगे।
- ज़िन्दगी और मौत से लड़ते एक ब्लॉगर से जब हमने हमारे ब्लॉग पर टिप्पणी न करने के लिये कई बार शिकायत की तो उन्होंने यह बात एक पोस्ट में लगा दी। हमेशा की तरह हम यहाँ भी बुरा मान गये। हमने उन्हें कह दिया कि हमारे लिये आप जीते जी मर चुके। वैसे बुज़ुर्गों के लिये हमारे दिल में बड़ा सम्मान है। अगर कभी हम अपनी गुस्से की बीमारी के कारण उनका अपमान करते भी हैं तो दवा खाने पर सामान्य होते ही उनके सम्मान में एक पोस्ट लिखकर माफ़ी भी मांग लेते हैं। दवा का असर निकलते ही फिर से उन्हें बुरी-भली कह देते हैं।
- हम एक लिस्ट बना रहे हैं जिसमें उन लोगों का नाम लिखेंगे जो कहते हैं कि हम जल्दी और बेबात भड़क जाते हैं। जो हमें गुस्सैल कहते हैं उन सब के खिलाफ़ हम पाँच-पाँच पोस्ट लिखेंगे। इससे हमारी पोस्ट संख्या भी बढ़ जायेगी।
- किस-किस को बैन करें हम?! हर ब्लॉगर हमसे जलता है? जिसने हमें ब्लॉगिंग सिखाई वह भी, जो हमें अपनी शिक्षा का सदुपयोग करने को कहता है वह भी, और जिसका ईमेल खाता हमने खुलाया वह भी।
- समाज सेवा के लिये हम अपने ऐक्स मित्र के सम्मान में "गप्पू पसीना खास हो गया" शीर्षक से एक नई पोस्ट लिखेंगे।
- कुछेक ब्लॉगर मन्दिरों और ऐतिहासिक बिल्डिंगों के अरोचक लेख लिखते हैं। हमने उन्हें आगाह करके वहाँ जाना बन्द कर दिया है। आशा है कि वे अपना अन्दाज़ बदलेंगे।
- पोस्ट ग्रेजुएट हकीम तो हम पहले से हैं, अब तो नीम चढ़ा करेला भी खाते हैं।
- एक ब्लॉगर ने "अपने कुत्ते कैसे चरायें" शीर्षक से एक पोस्ट लिखी है। हमें लगता है कि यह हमारे खिलाफ़ एक साज़िश है। इससे पहले हम "अपना ड्रैगन ट्रेन कैसे करें" फ़िल्म पर भी अपनी आपत्ति दर्ज़ करा चुके हैं।
- मेरे ब्लॉग पर हिन्दी की बात न करें, अच्छी हिन्दी पढनी है तो किसी हिन्दी पीएचडी के ब्लॉग पर तशरीफ़ ले जायें। आप भी यहाँ बैन किये जाते हैं। और आप भी ... और आप भी।
- और कोई ब्लॉगर होता तो आपकी टिप्पणी मॉडरेट करके तलने के लिये छोड़ देता लेकिन हम उसका उपयोग रॉंग-इंटरप्रिटेशन करके अपने अति-उत्साही पाठकों को आपके खिलाफ़ भड़काने के लिये करेंगे।
- आजकल हम भाषा की शालीनता पर आलेख लिख रहे हैं, इसी शृंखला में दूसरे गुटों के बदतमीज़, बेहया, बेशर्म, बेग़ैरत, नालायक, नामाकूल, नामुराद ब्लॉगर की शान में मेरा विनम्र आलेख पढिये।
- " विरोधीपक्ष के प्राणियों को बार्कीकरण करने दीजिये। आप तो अपने आँख-कान बन्द करके हमारी भाषा की तारीफ़ कीजिये वरना ... एक और बैन।
- क्या कहा? आप राइट थे? तो लैफ़्ट टर्न लेकर निकल लीजिये और अपनी ऊर्जा इस ब्लॉग पर बर्बाद मत कीजिये।
- हमारे भेजे में बचपन से मियादी डाइबिटीज़ है। हमारे कड़वे लेख पर आयी टिप्पणियों में इतनी मिठास थी कि हमारे बर्दाश्त की क्षमता के बाहर थी। आज हमें इंसुलिन की अतिरिक्त डोज़ लेनी पड़ी। अगली पोस्ट पर हम कमेंट ऑप्शन बन्द करने पर विचार करेंगे।
- बहुत कम ब्लॉगर हैं जो हमारी तरह सीरियस ब्लॉगिंग करते हैं। हम तो हर टिप्पणी पढकर सीरियस हो जाते हैं और एक जवाबी पोस्ट लिख कर कान के नीचे "झन्नाट" मारते हैं ताकि हिन्दी ब्लॉगिंग का स्तर इसी प्रकार ऊँचा उठता रहे।
- सारा ब्लॉग जगत सैडिस्टिक हो गया है। जिन्हें हमने रोज़ अपशब्द कहे उनमें से कुछ की हिम्मत बढती जा रही है। सब लोग हमारी व्यथा और अपमान पर व्यंग्यात्मक प्रविष्टियाँ लिखते हैं। उनकी कक्षा शीघ्र ही ली जायेगी।
- हम ब्लॉगिंग का तूफ़ान हैं, कहीं आप भी खुद को आंधी तो नहीं समझ रहे?
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* कहें खेत की सुनैं खलिहान की
* हिन्दी ब्लॉगिंग में विश्वसनीयता का संकट
* अंतर्राष्ट्रीय निर्गुट अद्रोही सर्व-ब्लॉगर संस्था
* अपोस्ट से आगे - कुपोस्ट तक
क्या कहा? आपको नई पोस्ट लिखने का आइडिया नहीं मिल रहा? हमें भी नहीं मिल रहा। आइये ब्लॉग भ्रमण पदयात्रा पर निकलते हैं एक से एक नायाब आइडिया लेने। यह पोस्ट "अपोस्ट से आगे - कुपोस्ट तक" का विस्तार ही है। किसी भी ब्लॉग, ब्लॉगर, बेनामी, अनामी, पोस्ट, प्रविष्टि, टिप्पणी, व्यवहार, लक्षण, बीमारी, कविता, कहानी, व्यंग्य आदि से समानता संयोग मात्र है। आलोचनाओं और आपत्तियों का स्वागत है। हाँ, सोते समय मैं टिप्पणियाँ मॉडरेट नहीं कर सकूंगा। मेरे जागने तक कृपया धैर्य रखें। जो पाठक "सैंस ओफ़ ह्यूमर" को साँप की जाति का प्राणी समझते हों, वे "अपोस्ट से कुपोस्ट तक" के इस सफ़र को न पढें तो उनकी अगली "प्रतिक्रियात्मक" पोस्ट के पाठकों का बहुमूल्य समय नष्ट होने से बच जायेगा।
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[रश्मि जी, शिल्पा जी के सुझाव और सद्भावना का आदर करते हुए इस पोस्ट पर टिप्पणी का प्रावधान बन्द कर दिया गया है। आपकी असुविधा के लिये खेद है।]
- आज फिर पत्नी ने हमें बेलन से पीटा। हमने भी कह दिया कि अगर एक बार भी और मारा तो हम ... ... ... ... प्यार से फिर पिट लेंगे पर ब्लॉगिंग नहीं छोड़ेंगे।
- हम पागल नहीं हैं। आप लोग हमें पागल न समझें। हमारी नौकरी हमारे पागलपन के कारण नहीं छूटी है। काम-धाम तो हम अपनी मर्ज़ी से नहीं करते हैं ताकि कीबोर्ड-सेवा कर सकें। वर्ना हम तो पीएचडी हैं, डॉ फ़ुर्सत लाल, ... "आवारा" तो हमारा तखल्लुस है यूँ ही धोखा देने के लिये। कहावत भी है, भूत के लात, लगाने के और, चलाने के और।
- आज हमारी पत्नी ने पूछा, "आज भी खाना खायेंगे क्या?" हमने जवाब नहीं दिया और उनके विरोध में यह पोस्ट लिख दी। आखिर हम अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी तो नहीं छोड़ सकते न!
- आज एक पत्नी ने पति से पूछा, "सुनते हो! आज साड़ी धुला लूँ क्या? मैली हो गयी है।"
- आज एक पति ने पत्नी से पूछा, "सुनती हो! आज दाढी बना लूँ क्या? नाई की दुकान बन्द है।"
- आज एक फलवाले ने ग्राहक से पूछा, "दीदी जी? आखिरी बचा है, मुफ़्त में दे दूंगा। क्या कहती हैं जी?"
- आज एक बिना नहाये गन्धाते टिप्पणीकार ने एक ओवर-पर्फ़्यूम्ड ब्लॉगर से कहा, "कब तक अपना रोना रोते रहोगे? आखिरी टिप्पणी दे तो दी, फिर भी कहते हो, सुधरने का मौका नहीं मिला।"
- एक बोगस साइट ने हमारे ब्लॉग का मूल्य एक मिलियन डॉलर आंका है। अफ़सोस कि अमेरिकी संस्था के प्लैटफॉर्म/सर्वर पर बने इस ब्लॉगर का पैसा भी अमेरिका ही जाता है। क्या हमारे स्विस खाते में नहीं जा सकता?
- यह हमारी सांख्यिकीय पोस्ट है। हमने दो साल में अपने ब्लॉग पर 20 लोगों को 2000 गालियाँ दीं और 200 को बैन किया।
- हिन्दी ब्लॉगिंग में काफ़ी गुटबन्दी है। कुछ सीनियर डॉक्टर ब्लॉगर ऐसा कहते हैं कि हमारा क्लिनिकल डिप्रैशन और बाइपोलर डिसऑर्डर इलाज के बिना ठीक नहीं हो सकता है। हमने भी दृढ प्रतिज्ञा कर ली है कि हम अपनी बीमारियाँ ब्लॉगिंग से ही ठीक करके दिखायेंगे। एक पाठक ने अपना स्कीज़ोफ़्रीनिया भी ऐसे ही ठीक किया था। और फिर हम तो आत्माकल्प वाली मृत-संजीवनी बूटी भी पीते हैं।
- पिछले 250 आलेखों की तरह इस आलेख को भी हमारा अंतिम आलेख समझा जाये। पिछले सौ हफ़्तों की तरह इस हफ़्ते फ़िर हम टंकी पर उछलेंगे। आप मनायेंगे तो हम उतर आयेंगे। किसी ने नहीं मनाया तो हम अपनी बेनामी पहचानों का प्रयोग कर लेंगे।
- ज़िन्दगी और मौत से लड़ते एक ब्लॉगर से जब हमने हमारे ब्लॉग पर टिप्पणी न करने के लिये कई बार शिकायत की तो उन्होंने यह बात एक पोस्ट में लगा दी। हमेशा की तरह हम यहाँ भी बुरा मान गये। हमने उन्हें कह दिया कि हमारे लिये आप जीते जी मर चुके। वैसे बुज़ुर्गों के लिये हमारे दिल में बड़ा सम्मान है। अगर कभी हम अपनी गुस्से की बीमारी के कारण उनका अपमान करते भी हैं तो दवा खाने पर सामान्य होते ही उनके सम्मान में एक पोस्ट लिखकर माफ़ी भी मांग लेते हैं। दवा का असर निकलते ही फिर से उन्हें बुरी-भली कह देते हैं।
- हम एक लिस्ट बना रहे हैं जिसमें उन लोगों का नाम लिखेंगे जो कहते हैं कि हम जल्दी और बेबात भड़क जाते हैं। जो हमें गुस्सैल कहते हैं उन सब के खिलाफ़ हम पाँच-पाँच पोस्ट लिखेंगे। इससे हमारी पोस्ट संख्या भी बढ़ जायेगी।
- किस-किस को बैन करें हम?! हर ब्लॉगर हमसे जलता है? जिसने हमें ब्लॉगिंग सिखाई वह भी, जो हमें अपनी शिक्षा का सदुपयोग करने को कहता है वह भी, और जिसका ईमेल खाता हमने खुलाया वह भी।
- समाज सेवा के लिये हम अपने ऐक्स मित्र के सम्मान में "गप्पू पसीना खास हो गया" शीर्षक से एक नई पोस्ट लिखेंगे।
- कुछेक ब्लॉगर मन्दिरों और ऐतिहासिक बिल्डिंगों के अरोचक लेख लिखते हैं। हमने उन्हें आगाह करके वहाँ जाना बन्द कर दिया है। आशा है कि वे अपना अन्दाज़ बदलेंगे।
- पोस्ट ग्रेजुएट हकीम तो हम पहले से हैं, अब तो नीम चढ़ा करेला भी खाते हैं।
कुत्ता-पालकों की सहायतार्थ |
- मेरे ब्लॉग पर हिन्दी की बात न करें, अच्छी हिन्दी पढनी है तो किसी हिन्दी पीएचडी के ब्लॉग पर तशरीफ़ ले जायें। आप भी यहाँ बैन किये जाते हैं। और आप भी ... और आप भी।
- और कोई ब्लॉगर होता तो आपकी टिप्पणी मॉडरेट करके तलने के लिये छोड़ देता लेकिन हम उसका उपयोग रॉंग-इंटरप्रिटेशन करके अपने अति-उत्साही पाठकों को आपके खिलाफ़ भड़काने के लिये करेंगे।
- आजकल हम भाषा की शालीनता पर आलेख लिख रहे हैं, इसी शृंखला में दूसरे गुटों के बदतमीज़, बेहया, बेशर्म, बेग़ैरत, नालायक, नामाकूल, नामुराद ब्लॉगर की शान में मेरा विनम्र आलेख पढिये।
- " विरोधीपक्ष के प्राणियों को बार्कीकरण करने दीजिये। आप तो अपने आँख-कान बन्द करके हमारी भाषा की तारीफ़ कीजिये वरना ... एक और बैन।
- क्या कहा? आप राइट थे? तो लैफ़्ट टर्न लेकर निकल लीजिये और अपनी ऊर्जा इस ब्लॉग पर बर्बाद मत कीजिये।
- हमारे भेजे में बचपन से मियादी डाइबिटीज़ है। हमारे कड़वे लेख पर आयी टिप्पणियों में इतनी मिठास थी कि हमारे बर्दाश्त की क्षमता के बाहर थी। आज हमें इंसुलिन की अतिरिक्त डोज़ लेनी पड़ी। अगली पोस्ट पर हम कमेंट ऑप्शन बन्द करने पर विचार करेंगे।
- बहुत कम ब्लॉगर हैं जो हमारी तरह सीरियस ब्लॉगिंग करते हैं। हम तो हर टिप्पणी पढकर सीरियस हो जाते हैं और एक जवाबी पोस्ट लिख कर कान के नीचे "झन्नाट" मारते हैं ताकि हिन्दी ब्लॉगिंग का स्तर इसी प्रकार ऊँचा उठता रहे।
- सारा ब्लॉग जगत सैडिस्टिक हो गया है। जिन्हें हमने रोज़ अपशब्द कहे उनमें से कुछ की हिम्मत बढती जा रही है। सब लोग हमारी व्यथा और अपमान पर व्यंग्यात्मक प्रविष्टियाँ लिखते हैं। उनकी कक्षा शीघ्र ही ली जायेगी।
- हम ब्लॉगिंग का तूफ़ान हैं, कहीं आप भी खुद को आंधी तो नहीं समझ रहे?
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* कहें खेत की सुनैं खलिहान की
* हिन्दी ब्लॉगिंग में विश्वसनीयता का संकट
* अंतर्राष्ट्रीय निर्गुट अद्रोही सर्व-ब्लॉगर संस्था
* अपोस्ट से आगे - कुपोस्ट तक