सर्व साधारण को सूचित किया जाता है कि जनता की बेहद मांग पर इत्तेफाक से कल हमारे इहाँ हमने खुद ही अंतर्राष्ट्रीय निर्गुट अद्रोही सर्व-ब्लॉगर संस्था जनहित में बना ली है. कांग्रेस बनी तो बाद में कांग्रेस आई (इंदिरा), कांग्रेस भाई (कामराज) और कांग्रेस देसाई (मोरारजी) में टूटी. जनता दल बना तो आजतक इतना टूटा कि पता ही नहीं चलता साबुत कब था. कम्युनिस्ट पार्टी तो मार्क्सवाद, लेनिनवाद, स्टालिनवाद, कास्त्रोवाद से लेकर नक्सलवाद, माओवाद, जिहादवाद और आतंकवाद तक हर रोज़ ही टूटती है.
इसी तरह जब अंतर्राष्ट्रीय निर्गुट अद्रोही सर्व-ब्लोगर संस्था टूटेगी तो पहले RI और NRI का भेद आयेगा. RI वाले गुट में तो वैसे भी प्रतियोगिता इतनी कड़ी है कि ढपोरशंख का नंबर भले ही आ जाय, अपना नंबर तो नहीं आ सकता है. इस मर्म को समझते हुए हम NRI वाले धड़े में शामिल हो गए हैं. अब संस्था बनी है तो पदाधिकारी भी चुने जायेंगे सो आप सब पर अति कृपा करते हुए किसी अन्य निरीह ब्लोगर को तकलीफ देने के बजाय हम खुद ही पूर्ण बहुमत से निर्विरोध उसके अध्यक्ष, संरक्षक, खजांची और अकेले कार्यकारी सदस्य चुन लिए गए हैं.
हम खुद ही सम्मलेन करेंगे, खुद ही उसमें भाग लेंगे. खुद ही उसमें सुझाव और भाषण देंगे और खुद ही उसकी रिपोर्ट और प्रेस विज्ञप्ति जारी करेंगे. पढेंगे भी खुद ही... नहीं यह ठीक नहीं है, पढने का काम मिलजुलकर करते हैं. रिपोर्ट लिखेंगे हम, पढ़ना आपको पड़ेगी. बल्कि अपने-अपने ब्लॉग पर लगानी भी पड़ेगी. चूंकि प्रश्न हिन्दी और हिन्दुस्तान की ब्लोगिंग का है इसलिए हिन्दुस्तान से बाहर करना पड़ेगा ताकि आपका विदेश भ्रमण भी हो जाय और आप माओवादियों के निर्दोष-मारण रेड-हंट अभियान की फ़िक्र किये बिना सम्मलेन में निर्भीक भागीदारी भी कर सकें.
हमारे सलाहकारों ने बताया है कि ब्लॉगर संस्था की एक ज़िम्मेदारी जनजागृति की होती है. और जनजागृति के लिए रेवड़ी बाँटने... नहीं-नहीं, पुरस्कार बाँटने की परम्परा भी होती है. हम भी बाँटेंगे. जितने लोग इस पोस्ट पर टिप्पणी लिखेंगे उन्हें टिप्पणी शिरोमणि पुरस्कार और जितने पसंद का चटका लगायेंगे उन्हें ब्लोग्वानी चटक चटका पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. माफ़ कीजिये, इनाम में हम कुछ नकदी नहीं देंगे, अपनी लिखी बिना बिकी किताबों के बण्डल मुफ्त देंगे. आपको केवल अग्रिम डाक खर्च संस्था के खजाने में पहले से जमा कराना पडेगा.
हम अच्छी ब्लॉग रचनाओं को पुस्तकों का रूप देकर प्रकाशित भी करायेंगे. अब जैसा कि आप को पता है कि हर अच्छी ब्लॉग रचना हमारी ही होती है सो किताब पर नाम हमारा ही होगा. क्या कहा? आप मुकदमा करेंगे? तो भैय्या हमने पहले ही वकील रख लिए हैं. आप क्या समझते थे कि आपका दिया हुआ चन्दा हम सारा का सारा खुद खा जायेंगे? वकीलों को भी देना पड़ता है और सिक्योरिटी को भी.
अब इतनी बड़ी संस्था चलाने के लिए कुछ पैसा भी चाहिए न, सो वसूली का काम चौराहे के अनुभवी ट्रैफिक सिपाहियों को दे दिया गया है - अच्छी उगाही की उम्मीद है. हमारी एकल संस्था का नारा है - सारे ब्लॉगर एक हो - संगठन में शक्ति है! सबको एक होना ही पड़ेगा और एक होकर हमें ही वोट देना पडेगा. जितने नहीं देंगे उनके DNS सर्वर की पहुँच गूगल तक बंद करा दी जायेगी. फिर लिखें खुदी, पढ़ें खुदी और टिप्पणी करें खुदी.
जोर जुल्म की टक्कर पर ब्लॉगर हड़ताल करायेंगे!
कोई आये चाहे न आये सम्मलेन अवश्य सजायेंगे!
तो ब्लॉगर समाज, देर किस बात की है, फॉर्म बनाओ, छापो और भेज दो, टिप्पणी की फॉर्म में.
अनुराग जी, आपको बहुत-बहुत बधाई. ये आपने ठीक किया. अमेरिका में भी तो एशोसियेशन बनना चाहिए....:-)
ReplyDeleteसेवा मे श्रीमान राजाधिराज, अधियाक्छ महानुभाव, हमारी बिनती सुन लीजो महाराज! ये गूगल बाबा ने जबरै हमार एड सेंस अकाउंट बन्द कर दीन्हो है, हमने 99 डालर सकेल लिया था. हमारे साथ अन्याय हुआ है, हमारा न्याय किजिये, धरना दीजिये, रैली निकालिये, ज्ञापन दिजिये कुछ भी किजिये पर हमारे कमाई के जरिये को भी छीन लेंगे तो कैसे जियेगे.
ReplyDeleteआवेदक एक गरीब एड सेंस विहीन ब्लागर.
" कहा? आप मुकदमा करेंगे? तो भैय्या हमने पहले ही वकील रख लिए हैं."
ReplyDeleteनहीं नहीं. हम तो खुद ही बहुत बड़े वकील हैं. सबसे पहले तो हम सबको ईमेल, चैट, आदि करके चटका लगवाएंगे और फिर जो हमें सही-गलत बताना चाहेगा उसे ही चटका डालेंगे.
ये अद्रोही अद्रोही क्या है ?
ReplyDelete@ हम खुद ही पूर्ण बहुमत से खुद ही निर्विरोध उसके अध्यक्ष, संरक्षक, खजांची और अकेले कार्यकारी सदस्य चुन लिए गए हैं.
ReplyDeleteकोई बात नही जी पर सचिव तो हमें बना ही लीजियेगा संस्था का नही तो अपना ही बना लीजिये :>)
बढ़िया शरुआत करी है आपने, आने वाले समय में यही होने वाला है !!
ReplyDeleteशुभकामनाएं |
ये हुई न बात... जबरदस्त व्यंग्य... कम से कम अब तो इन विवादों का अन्त होना चाहिये..
ReplyDeleteपहला फार्म मेरा!
ReplyDelete:)
ReplyDeleteएक चटका पुरस्कार मुझे और चटक बताशी के लिए ? हमारे यहाँ मदारी की बंदरिया को चटक बताशी कहते हैं
ReplyDeleteशानदार व्यंग लेकिन इसमे आप अकेले नही हम भी साथ साथ है .......
ReplyDeletebhute badiya.
ReplyDeleteham bhi saath hun...:)
ReplyDeleteक्या कहने
ReplyDelete@ Aayush Maan said...
ReplyDeleteये अद्रोही अद्रोही क्या है ?
अद्रोही = जो किसी से द्रोह या द्वेष न करता हो।
मतलब यह कि इस (के नाम) में सभी का स्वागत है (हमारे अलावा) सब बराबर हैं। जाति, धर्म, जेंडर, भाषा, विचारधारा आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं। ब्लोगर तो ब्लोगर टिप्पणी-लेखकों और आलोचकों से भी कोई वैर नहीं।
हमरा फार्म भी स्वीकार किया जाए....
ReplyDeleteआपकी फीलिंग्स से हमारी भी सहमति !
ReplyDeleteये सही हैं
ReplyDeleteआप अपनी एक ब्रांच दुबई में भी खोल लें ... या चलो हम ही खोल लेते हैं ...
ReplyDeleteमजेदार व्यंग है अनुराग जी ...
इस व्यंग्य की धार से घायल ब्लोगर समूह के उपचार का खर्चा कौन उठाएगा ?
ReplyDeleteअरे ये क्या हुआ .....में २-४ दिन बाहर रहा तो हमें दल में स्थान ही नहीं मिला ...:) प्रचारक बना देना जी ....
ReplyDeleteजय NRI
जिस पुरुस्कार का निमन्त्रण ही धमकी जैसा हो, उसे लेने की इच्छा करना भी आत्मघाती हो सकता है।
ReplyDeleteहमारे भरोसे मत रहिएगा।
शुभ-कामनाऍं।
wah bhai ji......wah..
ReplyDeletejindabaad...
बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteregards