भारत में एक बार किसी ने मेरे एक सहकर्मी से पूछा कि उन्हें कितनी भाषायें आती हैं तो जवाब में हिन्दी, अंग्रेज़ी और पंजाबी के साथ-साथ सीक्वैल, कोबॉल और सी का नाम भी शामिल था। हम सब जानते हैं कि भाषाओं के भी डोमेन होते हैं। भारत में रहते हुए मेरा परिचय कई भाषाओं से हुआ था। अधिकांश को सीखना सरल था। मगर ब्लॉगिंग आरम्भ करने के बाद जिस एक नई भाषा से पाला पड़ा है वह उतनी सरल नहीं है। मतलब यह कि इस भाषा के दांत खाने के और हैं दिखाने के और। सही पकड़ा आपने, यह भाषा है टिप्पणियों की भाषा जिससे हमारा-आपका साबका रोज़ ही पड़ता है। कुछ उदाहरण और उनका मतलब:
टिप्पणी: बहुत अच्छी/उम्दा/सुन्दर प्रस्तुति/अभिव्यक्ति
मतलब: अबे ये क्या लिख मारा है, टिप्पणी करूँ भी तो क्या करूँ?
टिप्पणी: आप हिन्दी की महान/ज़बरदस्त सेवा कर रहे हैं
मतलब: तीस साल इंगलैंड में रहकर भी अंगरेज़ी नहीं सीखा तो सेवा भी हिन्दी में ही करेगा।
टिप्पणी: हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है
मतलब: हमने आपके फिज़ूल लेख की तारीफ की, अब आप भी हमारे फिज़ूल लेख की तारीफ करें।
टिप्पणी: आपकी पोस्ट का ज़िक्र (हमने) आज के ब्लॉग-खर्चा में किया है
मतलब: अब तो फ़टाफ़ट वहाँ आकर एक टिप्पणी का खर्चा कर, कंजूस कहीं के!
टिप्पणी: आपकी पोस्ट (हमने) चिलमची पुरस्कार के लिये चुन ली है
मतलब: अब तो खुशी-खुशी हमारे ब्लॉग का लिंक लगायेगा। बडा होशियार समझता था अपने को।
टिप्पणी: अच्छा लिखा है - अब मेरे ब्लॉग पर एक मरे हुए फ़ूहड चुटकुले के भूत से मिलें
मतलब: सुबह से पचास टिप्पणी बक्सों में यही कट पेस्ट कर चुका हूँ - पाँच तो बेवकूफ बनेंगे ही।
टिप्पणी: सौ टिप्पणियाँ होने की बधाई
मतलब: पिच्यानवे टिप्पणियाँ तो तेरी खुद की ही हैं - बात करता है...
टिप्पणी: टिप्पणी बक्सा फिर से खोलने का धन्यवाद
मतलब: खामख्वाह भाव चढा रहा था, आ गये न होश ठिकाने दो दिन में।
टिप्पणी: वाह वाह
मतलब: आह आह
टिप्पणी: सहमत
मतलब: लिख मत
टिप्पणी: हम देश को सुधार रहे हैं, आप भी साथ में आइये
मतलब: इस सुधार-पार्टी के सर्वे-सर्वा हम ही रहेंगे, भले ही हमने गूगल से उठाकर भारत का जो नक़्शा लगाया है वह भी सिरे से गलत है।
टिप्पणी: टिप्पणियों का मॉडरेशन हटा दीजिये
मतलब: सम्पादक नहीं, पत्रकार नहीं, महिला नहीं, सम्मान समिति वाला भी नहीं फिर भी मॉडरेशन? हम टाइम खोटी क्यों करें?
टिप्पणी: बिल्कुल ठीक कहा आपने
मतलब: आपने क्या कहा यह आपको ही नहीं पता तो हमें कैसे पता चलेगा।
टिप्पणी: बधाई/धन्यवाद/आभार/शुभकामनायें/अभिनन्दन
मतलब: अपने गुट का न होता तो ऐसे बेहूदा आलेख पर नज़र भी नहीं मारता, टिप्पणी तो दूर की बात है।
टिप्पणी: यह परिवर्तन केवल हमारे XYZ-वाद से ही आ सकता है
मतलब: आपमें काफ़ी पोटेंशियल है ठगे जाने का, वहीं रुकें हम सदस्यता फॉर्म भेज रहे हैं।
टिप्पणी: सटीक विश्लेषण
मतलब: अन्धे के आगे रोये, अपने नयना खोये।
टिप्पणी: प्रणाम/नमस्कार/नतमस्तक/दंडवत
मतलब: तुम जैसे से तो दूर की नमस्ते ही अच्छी।
टिप्पणी: -abc- हमारी राज्य/राज/राष्ट्रभाषा है
मतलब: सब कहते हैं तो कुछ न कुछ तो होगी ही, रिस्क ले लेते हैं।
टिप्पणी: हमारे ब्लॉग पर पधारकर हमारा मार्गदर्शन करें
मतलब: मार्गदर्शन माय फ़ुट! आओगे तो हमसे ही कुछ सीखकर जाओगे बच्चू।
टिप्पणी: अच्छा प्रयास/प्रयोग है
मतलब: जनम भर प्रयोग करके भी हम जैसे नहीं हो पाओगे।
टिप्पणी: nice/ice/spice/dice
मतलब: यह तो आपको ही बताना पडेगा।
अभी तो यही कुछ शब्दार्थ याद आये। आप भी कुछ टिप्पणियों के निहितार्थ बताकर हमारा ज्ञानवर्धन कीजिये न!
good morning sr.
ReplyDeleteaapke blopr pr aata rhta hun lakin tippani pest kraney se phley yahi sb sochna padta hai ki kahi main bin bulaye maehmaan n bn jaun,aaj aapne jo such likha hai wh kuch jyada hi kaduwa laga lihaja muh ka swad theek krney hetu tippani tipya rha hun.
wastav main kuch post aisi hoti hain jinhen padkr pratikirya jaruri ho jati hain,or kahin pr n chahtey huye bhi nice, sunder prastuti.aadi likhkr mahaj apni upastithi drz karani hoti hai,
overalll main aapka ek niymit pathak jo hun,itna adhikaar to mujhey milna hi chahiye......
thanks.......
बड़ा सही खाका खिंचा है आपने...... कुछ शब्द पढ़कर लगता है की रचना को पढ़ा ही नहीं गया ....फिर क्या अर्थ रह जाता है....कमेंट्स का
ReplyDeleteबड़ा सही खाका खिंचा है आपने...... कुछ शब्द पढ़कर लगता है की रचना को पढ़ा ही नहीं गया ....फिर क्या अर्थ रह जाता है....कमेंट्स का
ReplyDeleteभाकुनी जी,
ReplyDeleteआपका स्वागत है।
ब्लॉग का उद्देश्य ही विचार विनिमय है, इसलिये बिन-बुलाया मेहमान होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है।
आपने दिल की बात इतनी स्पष्टता से कही उसका आभार। यहाँ-वहाँ बिखरी बहुतेरी टिप्पणियों में इसी स्पष्टता की कमी ने ही उपरोक्त व्यंग्य के लिये जगह दी।
धन्यवाद!
aaha ....baal ki khaal nikaal li aapane to ...lage raho :)
ReplyDeleteबहुत अच्छी/उम्दा/सुन्दर प्रस्तुति/अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआप हिन्दी की सेवा कर रहे हैं
हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है
आपकी पोस्ट (हमने) चिलमची पुरस्कार के लिये चुन ली है :) :)
आपने तो सारे कमेंट्स के राज खोल दिए..हा..हा..हा..!
ReplyDeleteकभी 'पाखी की दुनिया' की भी सैर पर आयें .
इस पोस्ट ने थका दिया - हँसा-हँसा कर। पढने और टिपियाने के बीच भरपूर अन्तराल है। बडी कठिनाई से की बोर्ड पर अंगुलियॉं चल पा रही हैं।
ReplyDeleteभकुनीजी के मुँह का जायका भले ही कडवा हो गया हो किन्तु आपने कई लोगों के रास्ते बन्द कर दिए - कम से कम आपके ब्लॉग पर तो। 'प्ले ट्रुथ' इतना मजेदार, इतना आनन्ददायी भी हो सकता है, यह आपकी इस पोस्ट ने ही साबित कर दिया है।
बाकी लोगों की बात तो मैं नहीं करता किन्तु मुझे मो सावधान रहना पडेगा कि कहीं अनजाने में ही, आपके दिए उदाहरणोंवाल कोई टिप्पणी नहीं कर दूँ।
हॉं, आप यह मत समझिएगा कि लोग आपका मन्तव्य नहीं समझे हैं। कुछ बातें ऐसी होती हैं जो पहली ही बार में समझ में आ जाती हैं, जिन्हें समझने के लिए घुटनों की मालिश जरूरी नहीं होती।
आप ने जो समझाया वह है - 'स्सालों, ऐसी टिप्पणियॉं मेरे ब्लॉग पर मत करना। सब समझता हूँ।'
आज का पूरा दिन अब आपके नाम। आपने मजा ला दिया। पूरे दिन ताजगी बनी रहेगी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ... क्या बात है ... आपने एकदम सच कहा है ... मैं आपसे सहमत हूँ ...
ReplyDeleteइतना मर्मस्पर्शी लेख बहुत दिनों बाद पढ़ रहा हूँ ... दिल को छुं गई ...बधाई हो ... आभार स्वीकार करें ...
by the way ...
आपने लिखा क्या है ? :)
बहुत खूब...आज तो घेर लिया आपने, सबको...:):)
ReplyDeleteकुछ बन्दे होतें है तो एक धासू, लच्छेदार, मस्का मारा हुआ, अलंकारों से सुशोभित, गुणगान से लबरेज, चाशनी में भिगोया हुआ comment आपकी पोस्ट पर करतें है , आप बड़े खुश होतें है की वाह, आज तो हमने तो खूब लिखा ; पर आपका मज़ा तब हतोत्साहित हो जाता है, जब आप वहीँ comment, same to same, ditto, हु ब हु, शक्ल-ब-शक्ल, खालिस का खालिस वहीँ comment , करीबन १०-१२ ब्लॉग में पातें है. तब आपको पता चलता है की भाईतो सबको एक ही चिपका रहा है .....
ReplyDeleteखेत की सुनेगें तो खलिहान अन्न से भरपूर होंगे!
ReplyDeleteअब कान में कन्वर्टर लगवाना पड़ेगा।
ReplyDeleteकुछ दिन पोस्ट लिखना बन्द कर विविध टिप्पणियों की समीक्षा की जाय तो पोस्ट लिखने को बहुत मसाला मिल जाएगा। :)
ReplyDeleteवैसे आप ने खूब फींचा है!
बढ़िया है ;)
हम जब भी 'चर्चा' करना शुरू करेंगे, इस पोस्ट को अपनी पहली चर्चा का विषय बनाएँगे।
हम जब भी पुरस्कार देना शुरू करेंगे, इस पोस्ट को पहला पुरस्कार देंगे।
टिप्पणी का एक और प्रकार होता है जिसमें कहा क्या जा रहा है, उल्टा, सीधा, खड़ा, पलटा कुछ समझ में नहीं आता। उदाहरण - आप की यह पोस्ट कृषि और कृषक विरोधी है, समाज के हित में इसे हटा दें।
कमेंट करने का एक मेरा अंदाज भी है...
ReplyDeleteपूरा पढ़ें और क्या लिखूं समझ में ही न आए तो सिर्फ चार बिन्दी जड़ देता हूँ-
....
मजेदार समीक्षा ..
ReplyDeleteबहुत अच्छी/उम्दा/सुन्दर प्रस्तुति/अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है
ReplyDelete-बाकी मतलब आप निकाल लेना..हा हा!! :)
मस्त चुना!!
टिप्पणियों के प्रचार प्रसार में आपका महत्त्व पूर्ण योगदान है ....आभार
ReplyDeleteअब सारे कमेन्ट तो आपने खुद ही डाल दिए, हम क्या लिखेंm, समझदार को इशारा काफी. हा.....हा.......हा
ReplyDeleteएक अच्छा संकलन तैयार कर दिया है आपने टिप्पणियों का ... अब नयी टिप्पणी लिखने में आसानी होगी ....
ReplyDelete.
ReplyDeleteमेरी पिछली टिपण्णी की व्याख्या अपेक्षित है :)
ReplyDeleteवाह... वाह.... मजा आ गया... आपकी अनुमति हो तो इसे दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम पर आपके नाम सहित लगा दूँ. इस चिट्ठे में हर अपने का स्वागत है... जो न सीखना चाहे न सिखाना... बस एक-दूसरे को जानना चाहे.
ReplyDeleteहिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है
ReplyDelete-बाकी मतलब आप निकाल लेना..हा हा!! :)
बहुत अच्छी /उम्दा / सुन्दर प्रस्तुति / अभिव्यक्ति तो नही ही है :)
ReplyDelete@देवेन्द्र पाण्डेय said...
ReplyDeleteकमेंट करने का एक मेरा अंदाज भी है...
पूरा पढ़ें और क्या लिखूं समझ में ही न आए तो सिर्फ चार बिन्दी जड़ देता हूँ-
....
@अभिषेक ओझा said...
.
मेरी पिछली टिपण्णी की व्याख्या अपेक्षित है :)
आप दोनों आपस में ही तय कर लो न, हमें बीच में पडने की क्या ज़रूरत है?
दिव्य नर्मदा divya narmada said...
ReplyDeleteवाह... वाह.... मजा आ गया... आपकी अनुमति हो तो इसे दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम पर आपके नाम सहित लगा दूँ.
जो आज्ञा!
@गिरिजेश राव said...
ReplyDeleteउदाहरण - आप की यह पोस्ट कृषि और कृषक विरोधी है, समाज के हित में इसे हटा दें।
प्रेम के घटित होने के लिए भैंस या उसी तरह की कोई चीज आवश्यक है।
वाह....बढ़िया लपेटा आपने...
ReplyDeleteएकदम सटीक...सही...
मन चेहरा सब खिला ही नहीं खिलखिला दिया आपने...
ReplyDeleteक्षमा करें, आपकी इस पोस्ट पर देर से आ पाया,
मेरी मौसी की छोटी बहन का विवाह था, पूरी रिपोर्ट मेरे ब्लॉग http://bhopu_pandit.blogspot.com पर पढ़ें और नवदम्पत्ति को अपने आशीर्वचनों से कृतार्थ करें !
आह..
ReplyDeleteटिप्पणी तो ठोंक दी,
माडरेशन अभी बाकी है...
ब्लाह.. ब्ला... ब्ला... ब्ला...
टिप्पणी: मॉडरेशन हटा दीजिये
मतलब: सम्पादक नहीं, पत्रकार नहीं, महिला नहीं, सम्मान समिति वाला भी नहीं फिर भी मॉडरेशन? हम टाइम खोटी क्यों करें?
हैय...
टिप्पणी तो ठोंक दी,
पोस्ट पढ़ना बाकी है...
ब्लाह.. ब्ला... ब्ला... ब्ला...
बहुत अच्छी/उम्दा/सुन्दर प्रस्तुति/अभिव्यक्ति
ReplyDeletekhoobsoorat jazbaat
dil ko chhoo gayi yah post
aagya ho to apni facebook par ek post par yah link chep doon ?
sorry - yah rah gayaa thaa
ReplyDeleteपोस्ट दिल को छू गयी.......
कितने खुबसूरत जज्बात ....
बहुत खूब...
:D aaj fir padha :D
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