मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ ... मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६)
मुंशी प्रेमचंद का हिन्दी कथा संकलन मानसरोवर |
जिस युग में उन्होंने लिखना आरंभ किया, उस समय हिंदी कथा-साहित्य जासूसी और तिलस्मी कौतूहली जगत् में ही सीमित था। उसी बाल-सुलभ कुतूहल में प्रेमचंद उसे एक सर्व-सामान्य व्यापक धरातल पर ले आए। ~ महादेवी वर्मा
प्रेमचंद की हिन्दी कथाओं की ऑडियो सीडी |
मुंशी प्रेमचंद की 57 कहानियों के ऑडियो का भंडार, 4 देशों से 9 वाचकों के स्वर में
(31 जुलाई 1880 - 8 अक्तूबर 1936) |
निर्वासन (अर्चना चावजी और अनुराग शर्मा)
आत्म-संगीत (शोभा महेन्द्रू और अनुराग शर्मा)प्रेरणा (शोभा महेन्द्रू, शिवानी सिंह एवं अनुराग शर्मा)
बूढ़ी काकी (नीलम मिश्रा)
ठाकुर का कुआँ' (डॉक्टर मृदुल कीर्ति)
स्त्री और पुरुष (माधवी चारुदत्ता)
शिकारी राजकुमार (माधवी चारुदत्ता)
मोटर की छींटें (माधवी चारुदत्ता)
अग्नि समाधि (माधवी चारुदत्ता)
मंदिर और मस्जिद (शन्नो अग्रवाल)
बड़े घर की बेटी (शन्नो अग्रवाल)
पत्नी से पति (शन्नो अग्रवाल)
पुत्र-प्रेम (शन्नो अग्रवाल)
माँ (शन्नो अग्रवाल)
गुल्ली डंडा (शन्नो अग्रवाल)
दुर्गा का मन्दिर' (शन्नो अग्रवाल)
आत्माराम (शन्नो अग्रवाल)
नेकी (शन्नो अग्रवाल)
मन्त्र (शन्नो अग्रवाल)
पूस की रात (शन्नो अग्रवाल)
स्वामिनी (शन्नो अग्रवाल)
कायर (अर्चना चावजी)
दो बैलों की कथा (अर्चना चावजी)
खून सफ़ेद (अर्चना चावजी)
अमृत (अनुराग शर्मा)
अपनी करनी (अनुराग शर्मा)
अनाथ लड़की (अनुराग शर्मा)
अंधेर (अनुराग शर्मा)
आधार (अनुराग शर्मा)
आख़िरी तोहफ़ा (अनुराग शर्मा)
इस्तीफा (अनुराग शर्मा)
ईदगाह (अनुराग शर्मा)
क़ातिल (अनुराग शर्मा)
घरजमाई (अनुराग शर्मा)ज्योति (अनुराग शर्मा)
बंद दरवाजा (अनुराग शर्मा)
बांका ज़मींदार (अनुराग शर्मा)बालक (अनुराग शर्मा)
बोहनी (अनुराग शर्मा)
देवी (अनुराग शर्मा)
दूसरी शादी (अनुराग शर्मा)
नमक का दरोगा (अनुराग शर्मा)
नसीहतों का दफ्तर (अनुराग शर्मा)
वैराग्य (अनुराग शर्मा)
शंखनाद (अनुराग शर्मा)शादी की वजह (अनुराग शर्मा)
सभ्यता (अनुराग शर्मा)
समस्या (अनुराग शर्मा)सवा सेर गेंहूँ (अनुराग शर्मा)
कफ़न (अमित तिवारी) [१९३६]
उनहे नमन। "ठाकुर का कुवा" याद आ गया।
ReplyDeleteबहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं साधुवाद । अमर कथाकार को नमन और श्रद्धासुमन ।
ReplyDeleteआपके इस कार्य की जितनी प्रशंसा की जाये कम है..मैंने तो तय कर लिया है आज से रोज प्रेमचन्द जी की एक कहानी सुनेंगे..बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteबहुत कुछ पढ़ा है उनका साहित्य, प्रशंसनीय कार्य कर रहे है
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो आपको !
अमर कथाकार को नमन
ReplyDeleteबहुत आभार ... इसमें शामिल करने के लिए
ReplyDeleteआभार शास्त्री जी
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, २ महान विभूतियों के नाम है ३१ जुलाई - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार!
Deleteकहानियाँ सुनना अपने आप में कौशल है, वह भी इस वक़्त जब हम सुनना छोड़ रहे हैं। लेकिन प्रेमचंद इसी तरह सुने जाते रहेंगे। आगे के संदर्भों के लिए आपकी इस पोस्ट का लिंक सेव कर लिया है। कुछ और कहानियाँ जुड़ें तो सूचित कीजिएगा।
ReplyDeleteशुक्रिया, फिर से प्रेम चंद को सहजता से उपलब्ध करवाने के लिए
ReplyDeleteबहुत आभार, साधुवाद।
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय, लाजवाब, उम्दा कार्य ...................... बधाई और हार्दिक आभार
ReplyDeleteखजाना दे दिया आपने... आभार।
ReplyDeleteयह प्रयास उन लोगों के लिए वरदान है जो नेत्र-व्याधि से पीड़ित हैं।
ReplyDeleteis suchee main bade bhai sahab bhi jud jaye to bahut achchha hoga. bahut achchha prayas
ReplyDeleteज़रूर करेंगे, धन्यवाद!
Deleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
अद्भुत प्रयास !
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