.
क्वांज़ा पर जारी डाकटिकट् |
क्वांज़ा पर्व का नाम स्वाहिली भाषा के वाक्यांश "माटुंडा या क्वांज़ा" अर्थात "उपज का फल" से लिया गया था और इसकी जडें अश्वेत राष्ट्र आन्दोलन से जुडी थीं। यह उत्सव कैलिफोर्निआ राजकीय विश्वविद्यालय (लॉंग बीच) के "मौलाना कैरेंगा" व्यक्ति द्वारा 1966 के दिसम्बर में आरम्भ किया गया था। अमेरिका के इतिहास में अफ्रीकी मूल के लोगों का यह पहला अलग उत्सव था, शायद यही मौलाना कैरेंगा का उद्देश्य भी था। इस्लाम को मानने वाले मौलाना ने ईसाइयत को केवल गोरों का धर्म बताया था। मौलाना ने आरम्भ में क्वांज़ा को क्रिसमस के अश्वेत विकल्प के रूप में प्रस्तुत करते समय प्रभु यीशु के बारे में भी काफी कुछ कहा था। परंतु समय के साथ यह अलगाव बीती बात बन चुका है।
हाँ, अब यह अफ्रीकी समुदाय के आत्मगौरव और परम्पराओं से पुनर्मिलन का प्रतीक बनने की दिशा में अग्रसर है। यह पर्व गूँज़ो सबा (Nguzo Saba) नामक सात कृष्ण सिद्धांतों पर आधारित है: एकता, आत्मनिर्णय, संघ, आर्थिक सहकारिता, उद्देश्य, रचनात्मकता एवम् श्रद्धा। आज भी क्वांज़ा को क्रिसमस जैसी प्रसिद्धि भले ही न मिली हो, अमेरिका का एक बडा तबका चार दशकों से इसे मनाता रहा है।
हनूका, क्रिसमस और क्वांज़ा की हार्दिक बधाई!
.
======================================
इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
======================================
.
आपको भी...
ReplyDeleteनए -नए पर्वों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई ...
ReplyDeleteआपको भी बहुत बधाई!
क्वान्जा पर्व के बारे में नयी जानकारी मिली-शुक्रिया !
ReplyDeleteआपको भी हनूका, क्रिसमस और क्वांज़ा की हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteमेरे ब्लाग पर आपके लिये कुछ है..
ReplyDeleteरोचक जानकारी।
ReplyDelete@परंतु समय के साथ यह अलगाव बीती बात बन चुका है।
मौलाना लोग जिस सिद्धांत को लेकर चलते हैं, उसमें अलगाव शाश्वत सत्य है, बीती बात नहीं।
हाँ, यह सुकून देता है कि 'बीती ताहि बिसार दे' मानने वाले बहुमत में हैं।
@यह पर्व गूँज़ो सबा (Nguzo Saba) नामक सात कृष्ण सिद्धांतों पर आधारित है: एकता, आत्मनिर्णय, संघ, आर्थिक सहकारिता, उद्देश्य, रचनात्मकता एवम् श्रद्धा।
'कृष्ण सिद्धांत' पर कुछ और प्रकाश डालेंगे।
अनुराग जी! कल सए इस पोस्ट का पीछा कर रहा था.. किसी तकनीकी दुर्घटना का शिकार होने के कारण मिलना नहीं हो पाया. आज सुबह जब स्वस्थ देखा तो पूरा ध्यान से पढा... आज पहली बार आया हूँ यहाँ और एक नये त्यौहार से परिचित हुआ... एक सुलझा हुआ विवरण और बहुत अच्छी जानकारी...
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दी आपने...
ReplyDeleteआपको भी हनूका, क्रिसमस और क्वांज़ा की हार्दिक बधाई!
क्रिसमस और क्वांज़ा की हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteअच्छा! अफ्रीका में इस समय शायद फसल कट कर आती है।
ReplyDeleteभारत में समकक्ष पर्व हुआ बैसाखी?
इस पर्व के बारे में ज्ञानवर्द्धक जानकारी दी है ...आभार
ReplyDeleteबहुत नयी जानकारी मिली..........शुक्रिया
ReplyDeleteहमारे लिए तो यह एकदम नयी जानकारी रही...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार...
सरजी, हम भी दो दिन टक्कर मारते रहे इस पोस्ट की तलाश में, page not found आ जाता था।
ReplyDeleteहनूका, क्वांज़ा अब कौन सी बधाईयों की बारी है?
बाई द वे, क्वांज़ा पर्व की आपको भी बधाई।
उम्दा पोस्ट !
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति..
नव वर्ष(2011) की शुभकामनाएँ !
आपको एवं आपके परिवार को नव वर्ष की मंगल कामनाएं।
ReplyDeleteसुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
ReplyDeleteयह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...
जय हिंद...
इस पर्व के बारे में जानकर अच्छा लगा!
ReplyDelete