Friday, December 24, 2010

हनूका पर्व की बधाई! [इस्पात नगरी से - 34]

ठंड के गहराने के साथ ही पश्चिम में उत्सवों का मौसम शुरू हो जाता है। जो क्रिसमस से नववर्ष तक अपने चरम पर होता है। क्रिसमस और नव वर्ष से तो हम सभी परिचित हैं। लगभग इसी समय यहाँ दो अन्य उत्सव भी मनाये जाते हैं - हनूका और क्वांज़ा।

बर्फ में जमी चार्ल्स नदी 
हनूका, ज़्हनूका, या चनूका, (Hanukkah, χanuˈka, Chanukah or Chanuka) यहूदियों का प्रकाशोत्सव है जो आठ दिन तक चलता है। यह उत्सव हिब्रू पंचांग के किस्लेव मास की 25 तारीख को आरम्भ होता है और इस प्रकार सामान्यतः नवम्बर-दिसम्बर में ही पडता है। नौ मोमबत्तियों वाले एक विशेष दीपदान "मनोरा (Menorah) को आठ दिन तक ज्योतिर्मय रखा जाता है। हर दिन की एक रोशनी और नवीं "शमश" हर दिन के लिये अतिरिक्त प्रयोग के लिये। क्योंकि हनूका की मोमबत्तियों का प्रयोग अन्य किसी भी काम के लिये वर्जित है। हनूका शब्द की उत्पत्ति हिब्रू की क्रिया "समर्पण" से हुई है।

जमी नदी का एक और दृश्य
हनूका का उद्गम दंतकथाओं में छिपा है परंतु उसमें भी तत्कालीन शासकों द्वारा यहूदी धार्मिक विश्वासों के दमन की टीस है। 167 ईसा पूर्व में विदेशी शासन द्वारा यहूदी धार्मिक कृत्य खतना को प्रतिबन्धित कर दिया गया और उनके मन्दिर में प्रतिबन्धित पशु सुअर की बलि देना आरम्भ कर दिया था। यहूदी इस दमन के खिलाफ एकत्र हुए। हिंसक विरोध सफल होने में एक वर्ष लगा। मन्दिर मुक्त हुआ और बाद में इस मुक्ति को एक वार्षिक उत्सव के रूप में स्थापित किया गया। मन्दिर का दीप जलाने के लिये प्रयुक्त होने वाला जैतून का तेल केवल एक दिन के लिये काफी था। नई आपूर्ति आठ दिन के बाद आयी परंतु जन-विश्वास है कि मन्दिर का दीप उन आठ दिनों तक उस एक दिन के तेल से ही जलता रहा।

हनूका की मोमबत्तियाँ अन्धेरा घिरने के एक घंटे बाद (या उसके भी बाद) ही जलाई जाती हैं और उस समय हनेरोट हलालु गीत गाया जाता है जिसमें प्रभु को पूर्वजों और पूर्व पुजारियों की रक्षा और सफलता के लिये आभार प्रकट किया जाता है, साथ ही यह प्रण भी कि इन पवित्र मोमबत्तियों का प्रयोग अपने दैनन्दिन सामान्य कार्यों में नहीं करेंगे।

हनूका पर मेरी पिछले वर्ष की पोस्ट यहाँ है।

आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें!
.
=======================================
इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
=======================================
.

14 comments:

  1. मेरे लिए तो यह सर्वथा अनूठी जनकारी है। सच है - दुनिया रंग रंगीली बाबा, दुनिया रंग रंगीली।

    ReplyDelete
  2. रोचक जानकारी।
    इस पर्व की आपको भी बधाई।

    ReplyDelete
  3. इस पर्व और आगामी नव-वर्ष की शुभकामनाये..

    ReplyDelete
  4. मेरी लिए नई जानकारी. धन्यवाद.

    नव वर्ष और क्रिसमस कि बधाई.

    ReplyDelete
  5. एक नये पर्व से परिचय कराने का शुक्रिया

    ReplyDelete
  6. रोचक ज्ञान, आपको भी बधाई हो।

    ReplyDelete
  7. इस पर्व के विषय में जानकारी अच्छी रही।

    आभार
    भाई साहब

    ReplyDelete
  8. मेरे लिए यह नई जानकारी रही. धन्यवाद.

    ReplyDelete
  9. अति सुंदर जानकारी जी धन्यवाद

    ReplyDelete
  10. अनूठी जानकारी,

    यहुदी-पर्व हनूका की यह प्रथा पहली बार जानी।

    आभार्।

    ReplyDelete
  11. ब्लॉग जगत में रहने का सबसे बड़ा फायदा ये है की आप को इस तरह की नई नई जानकारिया मिलती रहती है | धन्यवाद |

    ReplyDelete
  12. अनूठी , रोचक और नयी जानकारी ..
    आभार !

    ReplyDelete
  13. पर्व के बारे में जानकारी तो थी पर देश में इसे मनाने वालों की संख्या इतनी कम है कि बात अनदेखी सी रह गई!आपको पर्व और नव वर्ष की शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  14. सही में दुनिया रंग रगीली !

    ReplyDelete

मॉडरेशन की छन्नी में केवल बुरा इरादा अटकेगा। बाकी सब जस का तस! अपवाद की स्थिति में प्रकाशन से पहले टिप्पणीकार से मंत्रणा करने का यथासम्भव प्रयास अवश्य किया जाएगा।