रुहेलखंड प्रवास के कुछ चित्र
दातागंज, रामपुर, बरेली, बदायूँ, पापड, फीरोज़पुर आदि की एक चित्रमय यात्रा
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]
दातागंज, रामपुर, बरेली, बदायूँ, पापड, फीरोज़पुर आदि की एक चित्रमय यात्रा
गली के मोड पे, सूना सा ... |
सर्दी में वसंत |
राजमार्ग पर यातायात पुलिस |
बरेली में पौष के चिल्ला जाडे |
बरेली का प्रसिद्ध मांझा |
अपने गाँव की बिल्लियाँ |
गाँव का सूरज |
गाँव के खेत में बजरबट्टू |
मेरा विद्यालय - सात वर्षों का गहन नाता |
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]
कितना सुखद होता है, पीछे देखना भी.
ReplyDeleteकितना अपनापन लगा होगा इन नजारों में आपको, और इन सबने भी तो पहचान लिया होगा ’एन इंडियन इन पिट्सबर्ग’ को..!!
ReplyDelete......ऐसा नहीं लगता समय कुछ ज्यादा तेज भाग रहा हो ?
ReplyDeleteवाह! आप तो बहुत सधे हुये फोटोग्राफर हैं!
ReplyDeleteगांव का सूरज तो मोह ले गया!
दातागंज की याद दिला दी यार .....
ReplyDeleteतुम कहाँ के हो भैया ?? पहले बरेली सुना था ...अब दातागंज भी पंहुच गए ??
१९६६ में मैंने दाता गंज जूनियर हाई स्कूल से आठवां पास किया था !
कुछ होते हैं 'शब्द चित्र।' ये हैं 'चित्र शब्द।' वतन से दूर, बहुत याद आता है यह सब। 'हाण्ट' करता है, रह-रह कर।
ReplyDeleteचित्र बोल रहे हैं अनुराग जी ... और आपके विद्यालय का चित्र देख कर मुझे भी याद आ गया ... इस बार के ट्रिप में मैं भी आगरा अपने पुराने स्कूल और कोलेज हो कर आया हूँ ... फोटो भी लाया हूँ ... लगता है उम्र बढ़ने के साथ साथ यादें(दिल) पीछे लौटने लगता है ..
ReplyDeleteअच्छी फोटोग्राफी है आपने,
ReplyDeleteफोटो शेयर करने के लिए धन्यवाद
सर फ़ोटोज़ बहुत ही सुन्दर हैं.. मनमोहक :)
ReplyDeleteनेट कनेक्ट होते ही पिताजी ने भेज दिये क्या ? अच्छे फोटो हैं।
ReplyDeleteमुज़फ्फर अली, प्रसिद्ध फ़िल्मकार,ने एक बार कहा था कि मुझे फ़िल्मों के लिये उत्तर प्रदेश से अच्छी कोई लोकेशन नहीं लगती..
ReplyDeleteआज आपकी तस्वीरों ने यह स्थापित कर दिया. अनुराग जी, बस झुमका नहीं दिखा कहीं!:)
चित्रमयी यात्रा।
ReplyDeleteबहुत सुंदर लगा आप का गांव, पुरानी यादो से जुडना बहुत अच्छा लगता हे, सभी चित्र बहुत सुंदर लगे, धन्यवाद
ReplyDeleteवाह,चित्रमय झांकी.
ReplyDeleteएम.बी.इंटर कालेज ही है यह यहा मेरा हाईस्कूल का सेन्टर पडा था .बडे सख्त प्रिन्सीपल थे जिन्हे ताऊ कहते थे .उस समय यह मान्यता थी जिसने ऎम बी से पास कर लिया वह सचमुच पढने वाला है और मै पास हो गया था .
ReplyDeleteऔर एक बात मै भी दातागंज तहसील के एक गांव का रहने वाला हूं
अरे वाह.. खूबसूरत चित्र...
ReplyDelete@सतीश सक्सेनाsaid...
ReplyDeleteदातागंज की याद दिला दी यार .....
तुम कहाँ के हो भैया ?? पहले बरेली सुना था ...अब दातागंज भी पंहुच गए ??
मैं एक भारतीय
@ बडे सख्त प्रिन्सीपल थे जिन्हे ताऊ कहते थे
ReplyDeleteजब अपने सहपाठी पुष्कर टंडन के साथ हमने "ताऊ" नामकरण किया था तब पता नहीं था कि यह नाम श्रीमान आइ डी सक्सेना की आइ डी ही बन जायेगा।
अनुराग भाई,
ReplyDeleteअब तो लगता है कि आप से दूसरा नाता ही हो गया है...बरेली के मॉडल टाउन में मैं शहीद हुआ था यानि कि मेरा ससुराल है वहां...आप बरेली के हैं, इसलिए मेरी पत्नी के भाई हुए...अब पत्नी के भाई को क्या कहते हैं...इसलिए आगे से आपसे मज़ाक करने की पूरी छूट मिल गई है मुझे...
जय हिंद...
@अब पत्नी के भाई को क्या कहते हैं...इसलिए आगे से आपसे मज़ाक करने की पूरी छूट मिल गई है
ReplyDeleteखुशदीप पुत्तर, हम बिटिया के भाई नहीं चाचा हैं (रामपुरिया ताऊ के अनुज हैं - कन्फर्म कर लेना) अब मज़ाक का रिश्ता तो ज़रूर रहा है मगर वह मॉडल टाउन वाली भाभिओं के साथ था - नाम बतायेंगे तो उन्हें याद आ जायेगा।
;)
चित्र बहुत ही अच्छे है। बंदर तो बेचारा सर्दी को सहन ही कर रहा है। बढिया है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्रमयी वर्णन..... अपने गाँव का सब कुछ बड़ा अच्छा लगता है......हृदयस्पर्शी...
ReplyDeleteचाचा जी,
ReplyDeleteगलती हो गई, मैंने पूछ लिया है...
ताऊ ते चाचे कोलो पंगा लै के मरना कोई ए मैणूं...
जय हिंद...
अपने जन्मस्थली जा कर कितना अच्छा लगता है अच्छे से जानती हु क्योकि अब मै भी अपने जन्मस्थली सालो बाद ही जा पाती हु |
ReplyDeleteबहुत बढ़िया. मैं भी जाता हूँ जल्दी ही अब :)
ReplyDeleteतस्वीरें और उनसे जुडी हुईं यादें, सब कुछ महसूस करने की बात है !
ReplyDeleteअपने गाँव की याद आ गयी !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
Nostalgic.
ReplyDeleteसूरज वाला फोटो सबसे ज्यादा भाया ! क्या इन्हीं कौव्वों को गिरिजेश जी लुप्त होता हुआ बता रहे थे !
ReplyDeleteयादों में फिर से जीकर लौट जाना थोड़ा सुखद और ज्यादा दुखद होता होगा शायद ?
मकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.........
ReplyDeleteअच्छी फोटोग्राफी है|सभी चित्र बहुत सुंदर लगे| धन्यवाद|
ReplyDeleteyour identity is 'national' like
ReplyDelete'main ek bhartiye' but as much as i
uderstand your above post your identity is international like 'main
ek insan'.....balak just kidding you
.....sorry.....
pranam.
आपके भारत आने के बाद पता चला की आप आये ..आये और गए और ये सौगात हमें दे गए !
ReplyDeleteवाह....आनंदमय...
ReplyDeleteअतीत हमें सदैव आमंत्रित करता है
ReplyDeleteसभी चित्र आकर्षक हैं
बहुत सुन्दर पोस्ट
आभार
नोस्टाल्जिया की झलक !
ReplyDeleteबचपन के दिनों की तो बात ही कुछ और है.
ReplyDeleteआप से मिलने का अवसर खो दिया मैने.....जब आप दिल्ली थे, मैं कैरो में था.आप अभी भी है भारत में?
दिलीप जी,
ReplyDeleteमुझे भी आपसे मुलाक़ात न हो सकने का दुःख है. भगवान ने चाहा तो अगली बार ज़रूर मिलेंगे. वापस आ गया हूँ और बर्फ का आनंद उठा रहा हूँ.
anjaney ab nahi rahe tum ,
ReplyDeleteapnon se bhi apney lagte..
bhart aakr chley gaye tum
gt atteet sb spney lagtey...
I am vishnu kant mishra ..I usully read your blog per day ..due to some reason i could not open your blogg..I feel you very nice . I want to describe contradactarry detail of my own relative who are nowdays at LUcknow . After comming from U.S.A. they have paid immediate visit to their native family Gulramoun in Distt.Sitapur.
He had taken so many snaps of poverty of villagers..and it has told by some villager that they even enjoyed with those conditions. Some villagers brought some LAYa Ke Laddu about 100 they have taken with the right but they did not consider to pay even any poorest any single paisa...or word of sympathy...
बहुत खूब! मजा आया तस्वीरें देखकर!
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