Monday, October 10, 2011

एक नये संसार की खोज - इस्पात नगरी से 46


स्थानीय पत्र में कोलम्बस पर विमर्श
एक ज़माना था जब हर समुद्री मार्ग भारत तक पहुँचता था। विश्व का लगभग हर देश सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत के साथ आध्यात्मिक, व्यापारिक, और सामरिक सम्बन्ध रखने को आतुर था। विशेषकर यूरोप के राष्ट्रों में भारत आने का  छोटा और सुरक्षित मार्ग ढूंढने के लिये गलाकाट प्रतियोगिता चल रही थी। पाँच शताब्दी पहले यूरोप से भारत की ओर चले एक बेड़े के भौगोलिक अज्ञान के कारण एक ऐसे नये संसार की खोज हुई जो अब तक यूरोप से अपरिचित था। भारत की जगह आकस्मिक रूप से कोलम्बस और उसके साथी उस अज्ञात स्थल पर पहुँचे थे जो आने वाले समय में भारत की जगह विश्व की विचारधारा और कृतित्व का केन्द्र बनने वाला था।

12 अक्टूबर 1492 को क्रिस्टोफ़र कोलम्बस और उसके साथियों ने धरती के गोलाकार होने की नई वैज्ञानिक जानकारी का प्रयोग करते हुए पश्चिम दिशा से भारत का नया मार्ग ढूंढने का प्रयास किया। बेचारों को नहीं पता था कि यूरोप के पश्चिम में उत्तर से दक्षिण तक एक लम्बी दीवार के रूप में एक अति विशाल भूखण्ड भारत पहुँचने में बाधक बनने वाला है।

कोलम्बस का तैलचित्र
1451 में जेनोआ इटली में डोमेनिको कोलम्बो नामक बुनकर के घर जन्मा कोलम्बस 22 वर्ष की आयु में एक समुद्री कप्तान बनने का स्वप्न लेकर अपने घर से निकला। उसने तत्कालीन यूरोप के सर्वोत्तम समुद्री अन्वेषक राष्ट्र माने जाने वाले पुर्तगाल की भाषा सीखी, मार्को पोलो की यात्राओं का अध्ययन किया और नक्शानवीसी भी सीखी। पृथ्वी के गोलाकार रूप के बारे में जानने के बाद उसे भारत का पश्चिमी मार्ग ढूंढने का विचार आया।

अपने अभियान के लिये पुर्तगाल राज्य द्वारा सहायता नकारे जाने के बाद उसने स्पेन से वही अनुरोध किया और स्वीकृति मिलने पर नीना, पिंटा और सैंटा मारिया नामक तीन जलपोतों का दस्ता लेकर पैलोस बन्दरगाह से स्पेनी झंडे के साथ 3 अगस्त 1492 को पश्चिम दिशा में चल पड़ा।

कोलम्बस के अभियान के साथ ही आरम्भ हुआ अमेरिका के मूल स्थानीय नागरिकों और उनकी संस्कृति के विनाश की उस अंतहीन गाथा का जिसके कारण कुछ लोग आज कोलम्बस को एक खोजकर्ता कम और विनाशक अधिक मानते हैं। वैसे भी अमेरिगो वेस्पूशी जैसे नाविक पहले ही अमेरिका आ चुके थे और जिस महाद्वीप पर लोग पहले से ही रहते हों, उसकी "खोज" ही अपने आप में एक विवादित विषय है।

फिर भी संयुक्त राज्य अमेरिका में अक्टूबर मास का दूसरा सोमवार प्रतिवर्ष कोलम्बस डे के रूप में मनाया जाता है और एक राष्ट्रीय अवकाश है। क्षेत्र के अन्य कई राष्ट्र भी किसी न किसी रूप में इसे मान्यता देते हैं। वैसे अमेरिका की उपभोगवादी परम्परा में किसी भी पर्व का अर्थ अक्सर शॉपिंग, सेल, छूट, प्रमोशन आदि ही होता है। अमेरिका में बैठे एक भारतीय के लिये यह देखना रोचक है कि समय के साथ किस प्रकार विश्व के केन्द्र में रहने वाले राष्ट्र स्थानापन्न होते रहते हैं।

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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
* कोलम्बस, कोलम्बस! छुट्टी है आयी

23 comments:

  1. बहुत सी सूचनाएं हैं आपकी इस पोस्ट में एक संग्रहणीय आलेख .....!

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  2. राह भूलना, भटकना और खोज लेना व्‍याख्‍या आश्रित होता है.

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  3. कोलंबस की यह खोज और उसके पश्चात हुयी त्रासदी मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी है। दो महाद्विपो की सभ्यताओं, संस्कृतिओं का समूल विनाश!
    यह विनाश हीरोशीमा, नागासाकी के परमाणु बम, दोनो विश्व युद्धो से भी भयावह था!

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  4. सुन्दर प्रस्तुति ||
    बहुत-बहुत बधाई ||

    http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/10/blog-post_10.html

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  5. कोलम्बस दिवस पर एक रोचक आलेख ...कोलम्बस के काफी पहले ही वाहना मनुष्य के चरण पड़ चुके थे ..और जहां जहाँ बाद में उसके चरण पड़े बंटाधार ही हुआ है यह सच है !

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  6. कोलंबस डे पर राष्ट्रीय अवकाश ...सुखद आश्चर्य !
    नवीन जानकारी!

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  7. अमेरिका की उपभोगवादी परम्परा में किसी भी पर्व का अर्थ अक्सर शॉपिंग, सेल, छूट, प्रमोशन आदि ही होता है।
    सही कहा ।
    वैसे अब यहाँ भी कुछ कुछ ऐसा ही होने लगा है । ५०+५० % छूट देखकर अपने गणित ज्ञान पर भी शक होने लगता है ।

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  8. कोलम्बस डे...एक नई जानकारी।

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  9. आज भी लोग असली अमेरिका पाने को भाग रहे हैं।

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  10. यह तो ऐतिहासिक सत्‍य है कि यूरोपियन्‍स ने अमेरिका के मूल निवासियों का बड़ी तादाद में कत्‍लेआम किया था।

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  11. कोलंबस डे के बारे में जानकर आश्चर्य हुआ ! अछि जानकारी मिली इस लेख से ! आभार !!

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  12. Thanks for sharing this information with us. :)

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  13. कोलम्बस एक साहसी नाविक था,'अमेरिका' के होने और उसे भोगने का ठीकरा उसके माथे क्यों? वह न ढूँढ निकालता तो देर-सबेर कोई और खोज लेता ! अच्छी जानकारी !

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  14. काफी जानकारी से युक्त पोस्ट.वैसे पर्वो के नाम पर सेल और शौपिंग हर जगह का ही चलन बन गया है अब.

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  15. अमेरिका की खोज का यह दृष्टिकोण पठनीय है।

    यह जानना भी रोचक होता कि कोलंबस के पास भारत के बारे में क्या क्या सूचनाएं थी?

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  16. @ उसकी "खोज" ही अपने आप में एक विवादित विषय है।

    धन्यवाद ये वाक्य लिखने के लिए जहा पहले से ही जीवन मानव जी रहा है उसका तो मार्ग ही खोजा जा सकता है उसे नहीं वैसे ही भारत भूमि का मार्ग की खोजने चला था भारत को नहीं पर कई बार लोग इन बातो को समझ नहीं पाते है | जानकारी के लिए आभार |

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  17. हरिऔध जी की एक कविता में आसमान से गिरती बूँद की मनोदशा और उसका अद्भुत अंत याद आ गया... कोलंबस दिवस की जानकारी संग्रहणीय है!!

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  18. सचमुच यह खोज तो हमेशा से विवादित ही रही है।

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  19. याने कि खोजने के लिए भूलना पहली शर्त है। सूचनाओं से भरी रोचक पोस्‍ट।

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  20. ’खोज’ की जगह ’उपलब्धि’ शायद ज्यादा उपयुक्त शब्द है - एक नया मार्ग खोजने की उपलब्धि।
    दो तीन माह पहले ’अहा जिन्दगी’ पत्रिका में कोलंबस पर बहुत बड़ा आर्टिकल था, बेहद रोचक और बेहद रोमांचक।
    हमारी सरकार भी कभी तो ’वास्को-डि-गामा’ डे घोषित करेगी:)

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  21. बड़ा लेट से आपके ब्लॉग से मैं जुड़ा...ये अफ़सोस है...जानकारियां इतनी सारी हैं आपके ब्लॉग पे की क्या कहूँ...इस्पात नगरी से वाली श्रृंखला देखा अभी...काफी रोचक सी लग रही है,पढूंगा वो सब भी धीरे धीरे!!

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  22. रोचक है और सुखद भी कि आप कितना विस्तृत लिखते हैं।

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  23. पुनः जानना भी जानना है । ये बातें मालूम थीं पर फिर पढीं तो भी अच्छी लगीं ।

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