अमेरिका आने के बाद से बहुत से पाणिग्रहण समारोहों में उपस्थिति का अवसर मिला है जिनमें भारतीय और अमेरिकन दोनों प्रकार के विवाह शामिल हैं। किसी विवाह में वर पक्ष से, किसी में वधू पक्ष से, किसी में दोनों ओर से शामिल हुआ हूँ और एक विवाह में संचालक बनकर कन्या-वर को पति-पत्नी घोषित भी किया है। यह सभी विवाह अपनी तड़क-भड़क, शान-शौकत और सज्जा में एक से बढकर एक थे।
मगर यह वर्णन है एक सादगी भरे विवाह का। जब हमारे दो पारिवारिक मित्रों ने बताया कि वे क्वेकर विधि से विवाह करने वाले हैं और उसमें हमारी उपस्थिति आवश्यक है तो मैंने तीन महीने पहले ही अपनी छुट्टी चिन्हित कर ली। इसके पहले देखे गये भारतीय विवाह तो होटलों में हुए थे परंतु अब तक के मेरे देखे अमरीकी विवाह चर्च में पादरियों की उपस्थिति में पारम्परिक ईसाई विधियों से सम्पन्न हुए थे। यह उत्सव उन सबसे अलग था।
नियत दिन हम लोग पहाड़ियों पर बसे पिट्सबर्ग नगर के सबसे ऊंचे बिन्दु माउंट वाशिंगटन के लिये निकले। पर्वतीय मार्गों को घेरे हुए काली घटाओं का दृश्य अलौकिक था। कुछ ही देर में हम वाशिंगटन पर्वत स्थित एक भोजनालय के सर्वोच्च तल पर थे। समारोह में अतिथियों की संख्या अति सीमित थी। बल्कि यूँ कहें कि केवल परिजन और निकटस्थ सम्बन्धी ही उपस्थित थे तो अतिश्योक्ति न होगी। और उस पर भारतीय तो बस हमारा परिवार ही था। वर वधू दोनों ही अमरीकी उत्साह के साथ अतिथियों का स्वागत करते दिखे। हम उनके परिजनों के साथ-साथ उनके पिछले विवाहों से हुए वर के 18 वर्षीय पुत्र और वधू की 16 वर्षीय पुत्री से भी मिले। अन्य अतिथियों की तरह वे दोनों भी सजे धजे और बहुत उत्साहित थे।
समारोह स्थल जलचरीय भोजन के लिये प्रसिद्ध है। लेकिन जब एक शाकाहारी को बुलायेंगे तो फिर अमृत शाकाहार भी कराना पड़ेगा, उस परम्परा का निर्वाह बहुत गरिमामय ढंग से किया जा रहा था। समारोह में कोई पादरी या धार्मिक प्रतिनिधि नहीं था। पूछने पर पता लगा कि क्वेकर परम्परा में पादरी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि प्रभु और मित्र ही साक्षी होते हैं। आरम्भ में वर के भाई ने ईश्वर और अतिथियों का धन्यवाद देने के साथ-साथ अपने महान राष्ट्र का धन्यवाद दिया और उसकी गरिमा को बनाये रखने की बात कही। जाम उछाले गये। वर-वधू ने वचनों का आदान-प्रदान किया। वर की माँ ने एक संक्षिप्त भाषण पढकर उन्हें पति-पत्नी घोषित किया। वर ने वधू का चुम्बन लिया और दोनों ने विवाह का केक काटा।
सभी अतिथियों ने एक बड़े कागज़ पर पति-पत्नी द्वारा कलाकृति की तरह लिखे गये अति-सुन्दर किन्तु सादे विवाह घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करके अपनी साक्षी दर्ज़ की। पेंसिल्वेनिया राज्य के नियमों के अनुसार क्वेकर विवाह में इस प्रकार का घोषणापत्र हस्ताक्षरित कर देना ही विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करता है। इसके बाद भोजन लग गया और सभी पेटपूजा में जुट गये। मेज़ पर हमारे सामने बैठे वृद्ध दम्पत्ति हमें देखकर ऐसे उल्लसित थे मानो कोई खोया हुआ सम्बन्धी मिल गया हो। पता लगा कि वे लोग मेरे जन्म से पहले ही आइ आइ टी कानपुर के आरम्भिक दिनों में तीन वर्षों तक वहाँ रहे थे। उसके बाद उन्होंने नेपाल में भी निवास किया। उनकी बेटी और पौत्र के नाम संस्कृत में है। बातों में समय कहाँ निकल गया, पता ही न लगा।
जब चलने लगे तब एक युवती ने रोककर बात करना आरम्भ किया। पता लगा कि वे एक योग-शिक्षिका हैं और अभी दक्षिण भारत की व्यवसाय सम्बन्धित यात्रा से वापस लौटी थीं। वे बहुत देर तक भारत की अद्वितीय सुन्दरता और सरलता के बारे में बताती रहीं। 25-30 लोगों के समूह में तीन भारत-प्रेमियों से मिलन अच्छा लगा और हम लोग खुश-खुश घर लौटे।
होटल से नगर का दृश्य सुन्दर लग रहा था। हमने कई तस्वीरें कैमरा में क़ैद कीं। नीचे आने पर जॉर्ज वाशिंगटन व सेनेका नेटिव अमेरिकन नेता गुयासुता की 29 दिसम्बर 1790 मे हुई मुलाकात का दृश्य दिखाने वाले स्थापत्य का सुन्दर नज़ारा भी कैमरे में उतार लिया। इस ऐतिहासिक सभा में जॉर्ज वाशिंगटन ने एक ऐसे अमेरिका की बात की थी जिसमें यूरोपीय मूल के अमरीकी, मूल निवासियों के साथ मिलकर भाईचारे के साथ रहने वाले थे। अफ़सोस कि बाद में ऐसा हुआ नहीं। जॉर्ज वाशिंगटन के साथ वार्तारत सरदार गुयासुता की यह मूर्ति 25 अक्टूबर 2006 को लोकार्पित की गयी थी।
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
काली घटा छायी, प्रेम रुत आयी |
नियत दिन हम लोग पहाड़ियों पर बसे पिट्सबर्ग नगर के सबसे ऊंचे बिन्दु माउंट वाशिंगटन के लिये निकले। पर्वतीय मार्गों को घेरे हुए काली घटाओं का दृश्य अलौकिक था। कुछ ही देर में हम वाशिंगटन पर्वत स्थित एक भोजनालय के सर्वोच्च तल पर थे। समारोह में अतिथियों की संख्या अति सीमित थी। बल्कि यूँ कहें कि केवल परिजन और निकटस्थ सम्बन्धी ही उपस्थित थे तो अतिश्योक्ति न होगी। और उस पर भारतीय तो बस हमारा परिवार ही था। वर वधू दोनों ही अमरीकी उत्साह के साथ अतिथियों का स्वागत करते दिखे। हम उनके परिजनों के साथ-साथ उनके पिछले विवाहों से हुए वर के 18 वर्षीय पुत्र और वधू की 16 वर्षीय पुत्री से भी मिले। अन्य अतिथियों की तरह वे दोनों भी सजे धजे और बहुत उत्साहित थे।
मनोहारी पिट्सबर्ग नगर |
सभी अतिथियों ने एक बड़े कागज़ पर पति-पत्नी द्वारा कलाकृति की तरह लिखे गये अति-सुन्दर किन्तु सादे विवाह घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करके अपनी साक्षी दर्ज़ की। पेंसिल्वेनिया राज्य के नियमों के अनुसार क्वेकर विवाह में इस प्रकार का घोषणापत्र हस्ताक्षरित कर देना ही विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करता है। इसके बाद भोजन लग गया और सभी पेटपूजा में जुट गये। मेज़ पर हमारे सामने बैठे वृद्ध दम्पत्ति हमें देखकर ऐसे उल्लसित थे मानो कोई खोया हुआ सम्बन्धी मिल गया हो। पता लगा कि वे लोग मेरे जन्म से पहले ही आइ आइ टी कानपुर के आरम्भिक दिनों में तीन वर्षों तक वहाँ रहे थे। उसके बाद उन्होंने नेपाल में भी निवास किया। उनकी बेटी और पौत्र के नाम संस्कृत में है। बातों में समय कहाँ निकल गया, पता ही न लगा।
चीफ़ गुयासुता व जॉर्ज वाशिंगटन |
होटल से नगर का दृश्य सुन्दर लग रहा था। हमने कई तस्वीरें कैमरा में क़ैद कीं। नीचे आने पर जॉर्ज वाशिंगटन व सेनेका नेटिव अमेरिकन नेता गुयासुता की 29 दिसम्बर 1790 मे हुई मुलाकात का दृश्य दिखाने वाले स्थापत्य का सुन्दर नज़ारा भी कैमरे में उतार लिया। इस ऐतिहासिक सभा में जॉर्ज वाशिंगटन ने एक ऐसे अमेरिका की बात की थी जिसमें यूरोपीय मूल के अमरीकी, मूल निवासियों के साथ मिलकर भाईचारे के साथ रहने वाले थे। अफ़सोस कि बाद में ऐसा हुआ नहीं। जॉर्ज वाशिंगटन के साथ वार्तारत सरदार गुयासुता की यह मूर्ति 25 अक्टूबर 2006 को लोकार्पित की गयी थी।
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
बहुत अच्छी जानकारी।
ReplyDeleteलेकिन जब एक शाकाहारी को बुलायेंगे तो फिर शाकाहार भी कराना पड़ेगा, उस परम्परा का निर्वाह बहुत गरिमामय ढंग से किया जा रहा था।
ReplyDeleteपेंसिल्वेनिया राज्य के नियमों के अनुसार क्वेकर विवाह में इस प्रकार का घोषणापत्र हस्ताक्षरित कर देना ही विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करता है
25-30 लोगों के समूह में तीन भारत-प्रेमियों से मिलन अच्छा लगा और हम लोग खुश-खुश घर लौटे
खूबसूरत प्रस्तुति |
त्योहारों की नई श्रृंखला |
मस्ती हो खुब दीप जलें |
धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
दीप जलाने चले चलें ||
बहुत बहुत बधाई ||
'क्वेकर विवाह' मेरे लिए सर्वथा अनूठी जानकारी है। कितना अच्छा हो कि इसे वेश्विक स्वीकार्य मिल जाए। भोंडे प्रदर्शन और अकारण अनावश्यक व्यय से मुक्ति मिले और गरीबों का जीना तनिक आसान हो।
ReplyDeleteकुछ कुछ गंधर्व विवाह जैसा।
ReplyDeletebahut rochak jankari dhanyavad.
ReplyDeleteक्वेकर विवाह के बारे में पता नहीं था. बढिया. भारतीय विवाह एक होटल में तो मैंने भी एक बार अटेंड किया है. उस शादी में ली गयी एक गणेश भगवान की प्रतिमा की तस्वीर भी मेरे पास है बिल्कुल हडसन किनारे बने मंडप में.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगता है जब हम दूसरों की संस्कृति से रूबरू होते हैं. क्वेकर-विवाह पहली बार सुना और आपके विवरण से पता लगा कि पाश्चात्य जीवन में भी कहीं-कहीं हमसे मिलती-जुलती चीज़ें हैं,अपनी जड़ों की तलाश है !
ReplyDeleteचित्र देखकर मन मोह गया !
आप की यह पोस्ट मेरे लिए तो संग्रहणीय ही है. क्वेकर्स मेरे लिए प्रिय हैं. मैं भी उनसे एक तरह से जुड़ा हूँ. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteसुन्दर वर्णन, नई जानकारी !
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी है |
ReplyDeleteचित्र मनमोहक हैं |
thanks for sharing the info :)
ReplyDeleteक्वेकर विवाह अपने गन्धर्व विवाह से मिलता जुलता है क्वेकर मे साक्षी होते है और गन्धर्व मे नही
ReplyDeleteमैं यही सोच रहा था कि आखिर क्यूंकर हुआ क्वेकर ? विकी से पढ़ा -ठीक तो है !
ReplyDeleteबढियां रहा यह संस्मरण !
किसी दूसरी संस्कृति और उसके विवाहिक रस्मो को देख मन अधिक जानने के लिए उतसुक हो जाता है ! सुन्दर जानकारी
ReplyDelete'क्वेकर विवाह' के बारे में पहली बार ही सुनने को मिला .. जानकारी के लिए आभार !!
ReplyDeleteमेरे लिए ये नयी जानकारी रही, बहुत आभार आपका।
ReplyDeleteआपके माध्यम से पाश्चात्य संस्कृति से रूबरू होते रहते हैं ...
ReplyDeleteरोचक जानकारी !
बहुत अच्छा लगा-वैसे तो अब विवाह एक संस्कार न रह एक दिखावटी आयोजन बन गया है ,पैसे की बर्बादी सो अलग!
ReplyDeleteअरे वाह ये तो बड़ी प्यारी विधि है.... क्वेकर विवाह । काश कोई ल़डकी मुझे प्यार करती मुझसे मुहब्बत का इज़हार करती ।
ReplyDeleteक्वेकर्स विवाह का वर्णन करने के लिए आभार.
ReplyDeleteक्वेकर्स का इतिहास कठिन रहा किन्तु उनकी शायद उनका आपसी सहयोग इतने समय तक उनकी मान्यताओं व परम्पराओं को जीवित रख सका.
विवाह का यह तरीका सरल व सुंदर है.भारत के रजिस्टर्ड विवाह भी यूँ ही सहज होते हैं.उसके बाद मित्रों के साथ मिलकर नाच गाना भोज किया जा सकता है या जो उचित लगे.
दीपावली की शुभकामनाएँ।
आपको भी प्रकाश पर्व दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें...
ReplyDeleteसुंदर जानकारी।
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