बर्फ़ नहीं तो वर्षा - आखिर यह पिट्सबर्ग है |
रक्तदान तो नियमित ही है, मगर वार्षिक स्वास्थ्य जांच के लिये खून देना खलता है। ऊपर से दो-दो वैक्सीन का समय हो रहा था। इतने भर से पीछा छूट जाता तो भी ग़नीमत थी। आसमान काली घटाओं से भरा ही रहा। दो सप्ताह से लगातार हो रही बारिश में घास बाँस से टक्कर लेने लगी थी। लॉन पतझड़ के पत्तों से भरा हुआ भी था। उस पर पैदल चलने का रास्ता चौड़ा करने की योजना भी टलती जा रही थी। श्रमसाध्य कार्य करने से पहले अपनी बढती आयु को भी ध्यान में रखना पड़ता है। भारत में होते थे तो दीवाली पर वार्षिक सफ़ाई कार्यक्रम चलता था, यहाँ रहते उपरोक्त सारे काम पूरे हुए।
तीन चार दिन लगातार जुटकर सारे काम पूरे करने के शारीरिक श्रम और टीकों से दुखती बाहें लेकर सोने के बाद आज सुबह उठकर वर्ष का पहला हिमपात देखना अलौकिक अनुभव रहा।
क्वांज़न चेरी ब्लॉसम के अन्य रूप तो आपने पहले देखे हैं |
हिमपात ने प्रभात के सौन्दर्य को निखार दिया |
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Snowfall as captured by Anurag Sharma]
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
* कुछ भी असम्भव नहीं है - फौजा सिंह
प्रभात स्वयम् ही सुंदर होता है..यह मौसम और स्नोफॉल के बाद का निखरा-निखरा प्रभात..कल्पना ही रोमांचित करती है। आप तो छू भी रहे, हैं देख भी रहे हैं और फोटू भी हींच रहे हैं!
ReplyDeleteवैक्सीन लेते समय भारत जरुर याद आया होगा !
ReplyDeleteरेगिस्तान में बर्फ की तस्वीरें देखना भी अलौकिक दृश्य ही है !
फौजा सिंह दा जवाब नईं :)
ReplyDeleteआपकी सुबह ऊर्जामयी हों, सौन्दर्यमयी हों।
ReplyDeleteहिमपात हो मगर हौसलों पर नहीं ! शुभ हिमपात और शीघ्र सुस्वास्थ्य !
ReplyDeleteहिमपात एक बार तो सुन्दर लगता ही होगा ।
ReplyDeleteलेकिन बढती उम्र में श्रम करना भी अखरता है ।
इस मामले में यहाँ ऐश है । पर भुगतना भी पड़ता है ।
सुन्दर!
ReplyDeleteआपकी यह ब्लॉग थीम शानदार है। उसमें चित्रो के ये रन्ग बड़ा शानदार फ्यूज़न पेश कर रहे हैं। पता नहीं यह सयास हुआ है, या स्वत:!
सुबह ऐसी खूबसूरत हो जाए तो फिर क्या बात :)
ReplyDeleteआपकी हर सुबह ऊर्जामयी हों, सौन्दर्यमयी हो।
ReplyDeleteचित्र सुन्दर हैं|
अंतिम चित्र को देख कर सहसा "होम अलोन" [मूवी ] की याद आ गयी
मौसम की पहली हिमपात? बड़ा मनोरम दृश्य है। यहां तो वैसे भी उमस है, ईर्ष्या ने ताप बढ़ा दिया।
ReplyDeleteसोंठ शरद में उष्मावर्धक है,और शक्तिवर्धक भी।
बढती उम्र शब्द शायद सोंठ खाकर ही हजम हो... आप पर तो उम्र ला असर ही नहीं.. चित्र सचमुच मनभावन हैं!!
ReplyDeleteदृश्य तो बहुत खूबसूरत लगे !!
ReplyDeleteवाह ... मौसम के पहले हिमपात का आनद कुछ अलग ही होता होगा ...
ReplyDeleteखूबसूरत समां है ब्लोग पर.
ReplyDeleteसुन्दर दृश्य!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर दृश्य ! मेरे ब्लॉग का अब नया लिंक -
ReplyDeleteबालाजी के लिए --www.gorakhnathbalaji.blogspot.com
@सोंठ.
ReplyDeleteसही कह रहे है .
सुबह सच में नई ऊर्जा लाती है .... सुंदर चित्र हैं... हम अभी इंतजार में हैं इस मौसम के हिमपात के लिए ....
ReplyDeleteअन्त भला सो सब भला। इस धवल सुबह ने सारी कष्टानुभूति भुला दी होगी। चित्र यूँ तां रंगीन हैं किन्तु 'सीपीया टोन' में श्वेत-श्याम का आनन्द देते हें।
ReplyDeleteचावल छोड़ दिये हैं, पकौड़े छोड़ देंगे लेकिन परांठे मुझे नहीं छोड़ते:)
ReplyDeleteक्वांज़न चेरी ब्लॉसम के अन्य रूप पहले भी देखे और पसंद किये थे, ये वाला रूप भी मनभावन है।
तस्वीरें बहुत कुछ बयां कर रही हैं। और आप जो न भी बयां कर रहे हैं वह महसूसा जा सकता है, महसूस कर रहा हूं।
ReplyDeletepadhke jo bhaw jage o 'sugyji' ne kahe......
ReplyDeletepranam.
achha drishya hai
ReplyDeleteबुढ़ापे में भी टिकियाते रहें और हाँ,स्वस्थ भी रहें !
ReplyDeleteतो.... हिमपात से पिट्सबर्ग के सारे पिट भर जाते होंगे :)
ReplyDeleteअभी से बर्फ पड़ने लगी इस साल तो न्यूयोर्क में भी ! लम्बी ठण्ड पड़ने वाली है इस बार :(
ReplyDeleteसुंदर चित्र और ऊपर से हिमपात देखने को मिल जाये तो बस .......
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