Saturday, October 29, 2011

मर्द को दर्द नहीं होता -इस्पात नगरी से 49


बर्फ़ नहीं तो वर्षा - आखिर यह पिट्सबर्ग है
कहावतें हैं कहावतों का क्या?
रक्तदान तो नियमित ही है, मगर वार्षिक स्वास्थ्य जांच के लिये खून देना खलता है। ऊपर से दो-दो वैक्सीन का समय हो रहा था। इतने भर से पीछा छूट जाता तो भी ग़नीमत थी। आसमान काली घटाओं से भरा ही रहा। दो सप्ताह से लगातार हो रही बारिश में घास बाँस से टक्कर लेने लगी थी। लॉन पतझड़ के पत्तों से भरा हुआ भी था।  उस पर पैदल चलने का रास्ता  चौड़ा करने की योजना भी टलती जा रही थी। श्रमसाध्य कार्य करने से पहले अपनी बढती आयु को भी ध्यान में रखना पड़ता है। भारत में होते थे तो दीवाली पर वार्षिक सफ़ाई कार्यक्रम चलता था, यहाँ रहते उपरोक्त सारे काम पूरे हुए।

तीन चार दिन लगातार जुटकर सारे काम पूरे करने के शारीरिक श्रम और टीकों से दुखती बाहें लेकर सोने के बाद आज सुबह उठकर वर्ष का पहला हिमपात देखना अलौकिक अनुभव रहा।
क्वांज़न चेरी ब्लॉसम के अन्य रूप तो आपने पहले देखे हैं

हिमपात ने प्रभात के सौन्दर्य को निखार दिया
करुणा, आरोग्य और शाकाहार के उद्देश्य से बनाये गये सामूहिक ब्लॉग निरामिष पर 100 साल के दौड़ाक फौजा सिंह के बारे में पढा तो उनकी दृढता के क़ायल हो गये। चावल, पराँठा और पकौड़े तो नहीं छोड़ सकता हूँ पर फ़ौजा सिंह से प्रेरणा लेकर सोंठ खाना तो शुरू किया ही जा सकता है।

[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Snowfall as captured by Anurag Sharma]
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
* कुछ भी असम्भव नहीं है - फौजा सिंह

27 comments:

  1. प्रभात स्वयम् ही सुंदर होता है..यह मौसम और स्नोफॉल के बाद का निखरा-निखरा प्रभात..कल्पना ही रोमांचित करती है। आप तो छू भी रहे, हैं देख भी रहे हैं और फोटू भी हींच रहे हैं!

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  2. वैक्सीन लेते समय भारत जरुर याद आया होगा !
    रेगिस्तान में बर्फ की तस्वीरें देखना भी अलौकिक दृश्य ही है !

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  3. आपकी सुबह ऊर्जामयी हों, सौन्दर्यमयी हों।

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  4. हिमपात हो मगर हौसलों पर नहीं ! शुभ हिमपात और शीघ्र सुस्वास्थ्य !

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  5. हिमपात एक बार तो सुन्दर लगता ही होगा ।
    लेकिन बढती उम्र में श्रम करना भी अखरता है ।
    इस मामले में यहाँ ऐश है । पर भुगतना भी पड़ता है ।

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  6. सुन्दर!
    आपकी यह ब्लॉग थीम शानदार है। उसमें चित्रो‍ के ये रन्ग बड़ा शानदार फ्यूज़न पेश कर रहे हैं। पता नहीं यह सयास हुआ है, या स्वत:!

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  7. सुबह ऐसी खूबसूरत हो जाए तो फिर क्या बात :)

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  8. आपकी हर सुबह ऊर्जामयी हों, सौन्दर्यमयी हो।
    चित्र सुन्दर हैं|
    अंतिम चित्र को देख कर सहसा "होम अलोन" [मूवी ] की याद आ गयी

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  9. मौसम की पहली हिमपात? बड़ा मनोरम दृश्य है। यहां तो वैसे भी उमस है, ईर्ष्या ने ताप बढ़ा दिया।

    सोंठ शरद में उष्मावर्धक है,और शक्तिवर्धक भी।

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  10. बढती उम्र शब्द शायद सोंठ खाकर ही हजम हो... आप पर तो उम्र ला असर ही नहीं.. चित्र सचमुच मनभावन हैं!!

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  11. दृश्‍य तो बहुत खूबसूरत लगे !!

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  12. वाह ... मौसम के पहले हिमपात का आनद कुछ अलग ही होता होगा ...

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  13. खूबसूरत समां है ब्लोग पर.

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  14. बहुत ही सुन्दर दृश्य ! मेरे ब्लॉग का अब नया लिंक -
    बालाजी के लिए --www.gorakhnathbalaji.blogspot.com

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  15. सुबह सच में नई ऊर्जा लाती है .... सुंदर चित्र हैं... हम अभी इंतजार में हैं इस मौसम के हिमपात के लिए ....

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  16. अन्‍त भला सो सब भला। इस धवल सुबह ने सारी कष्‍टानुभूति भुला दी होगी। चित्र यूँ तां रंगीन हैं किन्‍तु 'सीपीया टोन' में श्‍वेत-श्‍याम का आनन्‍द देते हें।

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  17. चावल छोड़ दिये हैं, पकौड़े छोड़ देंगे लेकिन परांठे मुझे नहीं छोड़ते:)
    क्वांज़न चेरी ब्लॉसम के अन्य रूप पहले भी देखे और पसंद किये थे, ये वाला रूप भी मनभावन है।

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  18. तस्वीरें बहुत कुछ बयां कर रही हैं। और आप जो न भी बयां कर रहे हैं वह महसूसा जा सकता है, महसूस कर रहा हूं।

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  19. padhke jo bhaw jage o 'sugyji' ne kahe......

    pranam.

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  20. बुढ़ापे में भी टिकियाते रहें और हाँ,स्वस्थ भी रहें !

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  21. तो.... हिमपात से पिट्सबर्ग के सारे पिट भर जाते होंगे :)

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  22. अभी से बर्फ पड़ने लगी इस साल तो न्यूयोर्क में भी ! लम्बी ठण्ड पड़ने वाली है इस बार :(

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  23. सुंदर चित्र और ऊपर से हिमपात देखने को मिल जाये तो बस .......

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