कमरे में चुपचाप बैठकर बाहर डैक पर मस्ती कर रहे पक्षियों को निहारने का अपना आनन्द है। और यह काम पूर्वोत्तर अमेरिका में बड़े मज़े से किया जा सकता है। सर्दी बढती जायेगी तब यह डेक सूनी हो जायेगी। पेड़ों से पत्ते गिरते ही घोंसले खाली हो जाते हैं और अधिकांश पक्षी चले जाते हैं गर्म स्थानों में। जो रह जाते हैं उनके दर्शन भी ऐसे सुलभ नहीं रह जाते। मौसम की पहली बर्फ़ तो पड़ ही चुकी है। बल्कि देश के कई भागों में तो इतनी बर्फ़ गिरी कि बहुत से पेड़ों की शाखायें उसके भार से गिर गयीं। कई क्षेत्रों ने बिजली की कटौती भी देखी। सन्योग से पिट्सबर्ग इन सब संकटों से बचा रहा। आइये मुलाकात करते हैं कुछ सहज सुलभ पक्षियों से, चित्रों के माध्यम से।
चिमनी जैसा दिखने वाला यह उपकरण एक बर्डफ़ीडर है। यहाँ लगभग हर घर में आप एक बर्डफ़ीडर पायेंगे जिसे पक्षियों के पसन्दीदा बीजों से भर दिया जाता है। वे आते हैं, इसमें बने सुराखों में चोंच डालकर बीज खाते हैं और उड़ जाते हैं। कुछ विशिष्ट पक्षियों के लिये विशेष प्रकार के बर्ड फ़ीडर होते हैं जैसे हमिंगबर्ड के लिये नेक्टार (मकरंद) फ़ीडर। बर्डफ़ीडर व उनमें भरने की सामग्री निकट के हार्डवेयर स्टोर, ड्रग स्टोर, ग्रोसरी स्टोर आदि में सर्वसुलभ है। एक बार तो मैने यह बीज एक पेट्रोलपम्प पर भी बिकते देखे थे।नन्हीं चिड़िया चिकैडी [chickadee (Poecile atricapillus)] |
गौरैया सी दिखने वाली चिकैडी सर्दियों में भी दिखती है |
रैड बैलीड वुडपैकर (Melanerpes carolinus) |
चिकैडी सोचे, क्या खाऊँ |
श्वेत व स्लेटी गल |
गल्स का वही जोड़ा |
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Snowfall as captured by Anurag Sharma]
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
* आपका आभार! काला जुमा, बेचारी टर्की
* अई अई आ त्सुकू-त्सुकू
* पर्यावरण दिवस 2011
पक्षियों का आनन्द भी कितना आनन्द दे जाता है।
ReplyDeleteहमें भी जरा इन ‘फिरंगी’ पक्षियों के नाम बता दो। और यह उल्टी लटकी चिमनी सी क्या है?
ReplyDeleteहांय! एक पंछी वहां भी टंकी पर चढ़ रहा है!!
ReplyDeleteओह! उल्टी लटकी चिमनी है...मैं ही उल्टा-पुल्टा समझ लेता हूँ।
ReplyDeleteखूबसूरत पक्षी और चित्र भी !
ReplyDeleteसभी पक्षी नाम के हकदार हैं और इनके कुल तो यहाँ भी दिखते हैं.....
ReplyDeleteजी, चिमनी जैसा दिखने वाला यह उपकरण एक बर्डफ़ीडर है। यहाँ लगभग हर घर में आप एक बर्डफ़ीडर पायेंगे जिसे पक्षियों के पसन्दीदा बीजों से भर दिया जाता है। वे आते हैं, इसमें बने सुराखों में चोंच डालकर बीज खाते हैं और उड़ जाते हैं। कुछ विशिष्ट पक्षियों के लिये विशेष प्रकार के बर्ड फ़ीडर होते हैं जैसे हमिंगबर्ड के लिये नेक्टार फ़ीडर।
ReplyDeleteहमारे आँगन मे भी आजकल कबूतरों की चहल पहल है घोंसले मे बच्चे हैं सरा दिन उनको देखती रहती हूँ। सच मे बहुत सकून मिलता है इन्हें चहचहाते हुये देख कर।
ReplyDeleteनीरज व अरविन्द जी, नाम जितने मुझे पता थे, लगा दिये हैं। याद दिलाने का आभार
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट!
ReplyDeleteवहाँ पक्षियों के लिये भी स्पेशल व्यवस्था है.मैंने कई बार ध्यान दिया है भारत की तरह अपने खाने में से कुछ देना चाहो तो वे खाते ही नहीं !
बर्डफीडर... सही है, यहाँ तो एक खुले पात्र में थोडा पानी और बाजरा दाल दिया जाता है.. :)
ReplyDeleteयानि फिरंगी भी संवेदनशील होते हैं . शायद हमसे भी ज्यादा .
ReplyDeleteवैसे ज़रूरी भी है क्योंकि वहां वैसे ही पक्षी बड़ी मुश्किल से मिलते हैं .
सुन्दर तस्वीरें , सुन्दर प्रस्तुति .
कभी कभी बस उन्हें यूँ ही निहारते रहना. बहुत सुकून देता है.
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट.
जानकारीवरक पोस्ट,सुन्दर प्रस्तुतीकरण।
ReplyDeleteमनभावन है यह पोस्ट। मन खुश हो गया।
ReplyDeleteबेचारे नन्हे पंछी - कैसे ठिठुर जाते होंगे इस ठण्ड से .... और भोजन कैसे मिलता होगा उन्हें इस बर्फ के बीच ?
ReplyDeleteoh - bird feeders - very very nice :)
कलात्मक चित्र संयोजन ....खुबसूरत प्रस्तुति..
ReplyDeleteवाह जितनी सुंदर जानकारी उतने ही सुंदर चित्र.
ReplyDeleteपंछी बनो उडते फिरो ।
वहां परदेश में जीव-दया के इतने उन्नतभाव देखकर दिल गदगद हो गया। आपने कहा ऐसे बर्डफीडर लगभग प्रत्येक घर में होते है। हम क्या खाक कभी कभी कबूतरों को दाना डालते है।
ReplyDeleteऔर कितना खूबसूरत यह चुग्गायंत्र है। विशेषता यह कि पक्षियों की सुविधा भी देखी जाती है।
इस जानकारी का आभार और कोमल हृदय के लिए अभिनन्दन
चुग्गा चुगाऊ यंत्र!
ReplyDeleteजानकारी देने के लिए आभार।
कैचर इन द राई में लड़का सबसे पूछता रहता है कि ठण्ड में जब सेंट्रल पार्क में बर्फ जम जाती है तो वहां के बत्तख जाते कहाँ हैं? क्या चिड़ियाघर वाले उन्हें बक्से में बंद कर ले जाते हैं ? :)
ReplyDeleteसुंदर सचित्र पोस्ट,मज़ा आ गया.
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्र ... मनभावन पोस्ट
ReplyDeleteपठनीयता और दर्शनीयता की सुन्दर प्रस्तुति होती है आपकी पोस्टें। यह भी उनमें से एक है। नयनाभिराम और जानकारियॉं देनेवाली।
ReplyDeleteसुज्ञ जी, देवेन्द्र जी,
ReplyDeleteचुग्गायंत्र व चुग्गाचुगाऊ यंत्र जैसे शब्दों की खोज के लिये धन्यवाद।
खूबसूरत।
ReplyDeleteगल्स का जोड़ा देखकर लगता है जैसे पहले के समय के मियाँ बीबी जा रहे हों, मियाँ आगे आगे और बीबी पीछे पीछे)
बहुत सुंदर, इस अपरिचित देश में ये पंछी कितने परिचित लग रहे हैं जैसे हमारी आंगन से ही उड़कर सात समंदर पार चले गए हों।
ReplyDeleteबड़ी बढ़िया चीज लगी यह बर्डफीडर! अच्छा हो यह हिन्दुस्तान में मिलने लगे और उसका कोई संस्कृतनिष्ठ नाम दे कर धर्म से जोड़ दें हम। तब हर घर में चिड़ियां आया करें!
ReplyDeleteवुडपेकर/कठफोड़वा को बिना लकड़ी ठोंके खाना मिलता होगा तो कैसा महसूस करता होगा वह!
मासूम से परिंदों के बारे में बताती एक मासूम और कोमल सी पोस्ट!! चित्र और जानकारी मन को सुकून पहुंचाते हैं, तो फिर इन्हें निहारना कितना खुशनुमा होता होगा!!
ReplyDeleteवाह हमारे यहाँ दाने छीटें जाते हैं यहाँ एक उपकरण ही बना दिया गया। मुझे लगता है कुछ दिनों में भारत में भी यही नज़ारा देखने को मिलेगा। चित्र बेहतरीन हैं।
ReplyDeleteo panchi pyaare shaam sakaare bole tu kaun si boli ..............(asha bhosla ka khoobsoorat gana hai )title ke liye sujhav :):)
ReplyDeleteनीलम जी,
ReplyDeleteसुझाव के लिये आभार। अब शीर्षक बदल दिया है।