Wednesday, November 2, 2011

ओ पंछी प्यारे - इस्पात नगरी से 50

कमरे में चुपचाप बैठकर बाहर डैक पर मस्ती कर रहे पक्षियों को निहारने का अपना आनन्द है। और यह काम पूर्वोत्तर अमेरिका में बड़े मज़े से किया जा सकता है। सर्दी बढती जायेगी तब यह डेक सूनी हो जायेगी। पेड़ों से पत्ते गिरते ही घोंसले खाली हो जाते हैं और अधिकांश पक्षी चले जाते हैं गर्म स्थानों में। जो रह जाते हैं उनके दर्शन भी ऐसे सुलभ नहीं रह जाते। मौसम की पहली बर्फ़ तो पड़ ही चुकी है। बल्कि देश के कई भागों में तो इतनी बर्फ़ गिरी कि बहुत से पेड़ों की शाखायें उसके भार से गिर गयीं। कई क्षेत्रों ने बिजली की कटौती भी देखी। सन्योग से पिट्सबर्ग इन सब संकटों से बचा रहा। आइये मुलाकात करते हैं कुछ सहज सुलभ पक्षियों से, चित्रों के माध्यम से।
चिमनी जैसा दिखने वाला यह उपकरण एक बर्डफ़ीडर है। यहाँ लगभग हर घर में आप एक बर्डफ़ीडर पायेंगे जिसे पक्षियों के पसन्दीदा बीजों से भर दिया जाता है। वे आते हैं, इसमें बने सुराखों में चोंच डालकर बीज खाते हैं और उड़ जाते हैं। कुछ विशिष्ट पक्षियों के लिये विशेष प्रकार के बर्ड फ़ीडर होते हैं जैसे हमिंगबर्ड के लिये नेक्टार (मकरंद) फ़ीडर। बर्डफ़ीडर व उनमें भरने की सामग्री निकट के हार्डवेयर स्टोर, ड्रग स्टोर, ग्रोसरी स्टोर आदि में सर्वसुलभ है। एक बार तो मैने यह बीज एक पेट्रोलपम्प पर भी बिकते देखे थे।

नन्हीं चिड़िया चिकैडी [chickadee (Poecile atricapillus)]

गौरैया सी दिखने वाली चिकैडी सर्दियों में भी दिखती है 

रैड बैलीड वुडपैकर (Melanerpes carolinus)

चिकैडी सोचे, क्या खाऊँ

श्वेत व स्लेटी गल
गल्स का वही जोड़ा


[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Snowfall as captured by Anurag Sharma]
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* इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
* आपका आभार! काला जुमा, बेचारी टर्की
* अई अई आ त्सुकू-त्सुकू
* पर्यावरण दिवस 2011

32 comments:

  1. पक्षियों का आनन्द भी कितना आनन्द दे जाता है।

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  2. हमें भी जरा इन ‘फिरंगी’ पक्षियों के नाम बता दो। और यह उल्टी लटकी चिमनी सी क्या है?

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  3. हांय! एक पंछी वहां भी टंकी पर चढ़ रहा है!!

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  4. ओह! उल्टी लटकी चिमनी है...मैं ही उल्टा-पुल्टा समझ लेता हूँ।

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  5. खूबसूरत पक्षी और चित्र भी !

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  6. सभी पक्षी नाम के हकदार हैं और इनके कुल तो यहाँ भी दिखते हैं.....

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  7. जी, चिमनी जैसा दिखने वाला यह उपकरण एक बर्डफ़ीडर है। यहाँ लगभग हर घर में आप एक बर्डफ़ीडर पायेंगे जिसे पक्षियों के पसन्दीदा बीजों से भर दिया जाता है। वे आते हैं, इसमें बने सुराखों में चोंच डालकर बीज खाते हैं और उड़ जाते हैं। कुछ विशिष्ट पक्षियों के लिये विशेष प्रकार के बर्ड फ़ीडर होते हैं जैसे हमिंगबर्ड के लिये नेक्टार फ़ीडर।

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  8. हमारे आँगन मे भी आजकल कबूतरों की चहल पहल है घोंसले मे बच्चे हैं सरा दिन उनको देखती रहती हूँ। सच मे बहुत सकून मिलता है इन्हें चहचहाते हुये देख कर।

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  9. नीरज व अरविन्द जी, नाम जितने मुझे पता थे, लगा दिये हैं। याद दिलाने का आभार

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  10. बहुत अच्छी पोस्ट!
    वहाँ पक्षियों के लिये भी स्पेशल व्यवस्था है.मैंने कई बार ध्यान दिया है भारत की तरह अपने खाने में से कुछ देना चाहो तो वे खाते ही नहीं !

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  11. बर्डफीडर... सही है, यहाँ तो एक खुले पात्र में थोडा पानी और बाजरा दाल दिया जाता है.. :)

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  12. यानि फिरंगी भी संवेदनशील होते हैं . शायद हमसे भी ज्यादा .
    वैसे ज़रूरी भी है क्योंकि वहां वैसे ही पक्षी बड़ी मुश्किल से मिलते हैं .

    सुन्दर तस्वीरें , सुन्दर प्रस्तुति .

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  13. कभी कभी बस उन्हें यूँ ही निहारते रहना. बहुत सुकून देता है.
    सुन्दर पोस्ट.

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  14. जानकारीवरक पोस्ट,सुन्दर प्रस्तुतीकरण।

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  15. मनभावन है यह पोस्ट। मन खुश हो गया।

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  16. बेचारे नन्हे पंछी - कैसे ठिठुर जाते होंगे इस ठण्ड से .... और भोजन कैसे मिलता होगा उन्हें इस बर्फ के बीच ?

    oh - bird feeders - very very nice :)

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  17. कलात्मक चित्र संयोजन ....खुबसूरत प्रस्तुति..

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  18. वाह जितनी सुंदर जानकारी उतने ही सुंदर चित्र.
    पंछी बनो उडते फिरो ।

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  19. वहां परदेश में जीव-दया के इतने उन्नतभाव देखकर दिल गदगद हो गया। आपने कहा ऐसे बर्डफीडर लगभग प्रत्येक घर में होते है। हम क्या खाक कभी कभी कबूतरों को दाना डालते है।

    और कितना खूबसूरत यह चुग्गायंत्र है। विशेषता यह कि पक्षियों की सुविधा भी देखी जाती है।

    इस जानकारी का आभार और कोमल हृदय के लिए अभिनन्दन

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  20. चुग्गा चुगाऊ यंत्र!

    जानकारी देने के लिए आभार।

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  21. कैचर इन द राई में लड़का सबसे पूछता रहता है कि ठण्ड में जब सेंट्रल पार्क में बर्फ जम जाती है तो वहां के बत्तख जाते कहाँ हैं? क्या चिड़ियाघर वाले उन्हें बक्से में बंद कर ले जाते हैं ? :)

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  22. सुंदर सचित्र पोस्ट,मज़ा आ गया.

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  23. बहुत सुंदर चित्र ... मनभावन पोस्ट

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  24. पठनीयता और दर्शनीयता की सुन्‍दर प्रस्‍तुति होती है आपकी पोस्‍टें। यह भी उनमें से एक है। नयनाभिराम और जानकारियॉं देनेवाली।

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  25. सुज्ञ जी, देवेन्द्र जी,
    चुग्गायंत्र व चुग्गाचुगाऊ यंत्र जैसे शब्दों की खोज के लिये धन्यवाद।

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  26. खूबसूरत।
    गल्स का जोड़ा देखकर लगता है जैसे पहले के समय के मियाँ बीबी जा रहे हों, मियाँ आगे आगे और बीबी पीछे पीछे)

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  27. बहुत सुंदर, इस अपरिचित देश में ये पंछी कितने परिचित लग रहे हैं जैसे हमारी आंगन से ही उड़कर सात समंदर पार चले गए हों।

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  28. बड़ी बढ़िया चीज लगी यह बर्डफीडर! अच्छा हो यह हिन्दुस्तान में मिलने लगे और उसका कोई संस्कृतनिष्ठ नाम दे कर धर्म से जोड़ दें हम। तब हर घर में चिड़ियां आया करें!

    वुडपेकर/कठफोड़वा को बिना लकड़ी ठोंके खाना मिलता होगा तो कैसा महसूस करता होगा वह!

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  29. मासूम से परिंदों के बारे में बताती एक मासूम और कोमल सी पोस्ट!! चित्र और जानकारी मन को सुकून पहुंचाते हैं, तो फिर इन्हें निहारना कितना खुशनुमा होता होगा!!

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  30. वाह हमारे यहाँ दाने छीटें जाते हैं यहाँ एक उपकरण ही बना दिया गया। मुझे लगता है कुछ दिनों में भारत में भी यही नज़ारा देखने को मिलेगा। चित्र बेहतरीन हैं।

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  31. o panchi pyaare shaam sakaare bole tu kaun si boli ..............(asha bhosla ka khoobsoorat gana hai )title ke liye sujhav :):)

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  32. नीलम जी,
    सुझाव के लिये आभार। अब शीर्षक बदल दिया है।

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