फूलों की सुन्दरता किसी पत्थर हृदय को भी द्रवित करने के लिये काफ़ी होती है। फूलों की असंख्य प्रजातियों में भी अपनी विविधता के कारण अनेक वर्ग-प्रवर्ग हैं। ऐसा ही एक प्रवर्ग है ऑर्किड (ओर्किड, Orchidaceae, Orchid)।
फूलो के पौधों का सबसे बड़ा परिवार ऑर्किड समुदाय ही है। ऑर्किड कई वर्षों तक जीवित रहते हैं और भूमि के साथ-साथ पेड़ों पर भी उगते हैं। कई ऑर्किड कुकुरमुत्तों की तरह मृतजीवी भी होते हैं और वृक्षों की टूटी टहनियों आदि पर पनपते हैं। ऐसे और्किडों में पर्णहरिम (क्लोरोफ़िल) नही होता।
वृक्षों पर पनपने वाले ऑर्किड अपनी जड़ों की बाहरी तह के जलशोषक तंतुओं द्वारा नमी ग्रहण करते हैं। शुष्क मरुस्थलों के सिवाय आर्किड सारी दुनिया में पाये जाते हैं - विशेषकर समोष्ण वनों में। और्किडों की लगभग 450 प्रजातियाँ (जॉनर) और 15,000 जातियाँ (स्पीशीज़) हैं तथा ये सब एक ही कुल (फ़ैमिली) के अंतर्गत हैं।
और्किडों के फूल चिरजीवी होने के लिए प्रसिद्ध हैं। यदि परागण न हो तो ये महीने डेढ़ महीने अथवा इससे भी अधिक दिनों तक पौधे पर सुरक्षित रहते हैं। परागण के पश्चात् फूल मुर्झा जाते हैं और इनसे अत्यंत नन्हे बीज बनते हैं। अधिकांश और्किडों की जड़ों में कवक (फ़ंगस) पाये जाये है जोकि इनके बीजों के अंकुरण में सहायता करते हैं।
छोटे भाई अमित शर्मा ने कुछ महत्वपूर्ण भारतीय ऑर्किडों के विषय में एक पोस्ट "ऋषभक का परिचय" के नाम से सामूहिक ब्लॉग निरामिष पर लिखी है, मेरा सुझाव - अवश्य पढिये!
साथ ही पिछले दिनों प्रसिद्ध साहित्यकार पंकज सुबीर जी की कहानी एक रात को स्वर देने का अवसर मिला जिसके ऑडियो को रेडियो प्लेबैक इंडिया के साथी सजीव सारथी ने साउंड एफ़ैक्ट्स द्वारा निखार दिया है। आप चाहें तो हमारे इस प्रयास का आनन्द भी अवश्य उठाइये।
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आप सभी को पिट्सबर्ग से हार्दिक शुभकामनायें!
[ओर्किडों के सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Orchids captured by Anurag Sharma at Phipps Conservatory]
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