(अनुराग शर्मा)
जीवन क्या है एक तमाशा
थोड़ी आशा खूब निराशा
सब लीला है सब माया है
कुछ खोया है कुछ पाया है
न कुछ आगे न कुछ पीछे
कुछ ऊपर ही न कुछ नीचे
जो चाहे वो अब सुन कहले
उस बिन्दु से न कुछ पहले
उस बिन्दु के बाद नहीं कुछ
होगा भी तो याद नहीं कुछ
जो कुछ है वह सभी यहीं है
जितना सुधरे वही सही है.
जीवन क्या है एक तमाशा
थोड़ी आशा खूब निराशा
सब लीला है सब माया है
कुछ खोया है कुछ पाया है
न कुछ आगे न कुछ पीछे
कुछ ऊपर ही न कुछ नीचे
जो चाहे वो अब सुन कहले
उस बिन्दु से न कुछ पहले
उस बिन्दु के बाद नहीं कुछ
होगा भी तो याद नहीं कुछ
जो कुछ है वह सभी यहीं है
जितना सुधरे वही सही है.
सेतु हिंदी काव्य प्रतियोगिता में आपका स्वागत है, संशोधित अंतिम तिथि: 10 नवम्बर, 2016